खड़ी दाल कैसे बनाएं: सबुत मिक्स दाल की रेसिपी और इसका इतिहास

खड़ी दाल: भारतीय रसोई की शान कही जाने वाली “खड़ी दाल” या “सबुत मिक्स दाल” स्वाद, पौष्टिकता और पारंपरिकता का अद्भुत मेल है। यह दाल खासकर उत्तर भारत, विशेषकर पंजाब, हरियाणा, उत्तराखंड और राजस्थान में बहुत पसंद की जाती है। इसका उपयोग न केवल रोज़मर्रा के भोजन में होता है, बल्कि त्योहारों, धार्मिक आयोजनों और विशेष अवसरों पर भी यह प्रमुख रूप से बनाई जाती है। इस लेख में हम जानेंगे कि खड़ी दाल क्या है, इसे कैसे बनाया जाता है और इसका ऐतिहासिक व सांस्कृतिक महत्व क्या है।

खड़ी दाल
                             खड़ी दाल

सबुत मिक्स दाल का इतिहास (History of Sabut Mix Dal)

भारत में दालें हजारों वर्षों से आहार का मुख्य हिस्सा रही हैं। आयुर्वेद में दालों को शरीर के तीनों दोषों – वात, पित्त और कफ – को संतुलित करने में सहायक बताया गया है।

खड़ी दाल का चलन खासकर ग्रामीण भारत में हुआ जहाँ एक ही बार में अलग-अलग प्रकार की दालों को मिलाकर पकाना सुविधाजनक था। यह न केवल समय बचाता था, बल्कि पोषण भी कई गुना बढ़ा देता था।

खड़ी दाल का चलन मुख्य रूप से पंजाब और उत्तर भारत से हुआ। पुराने ज़माने में जब मिट्टी के चूल्हों पर धीमी आंच पर खाना पकता था, तो सबुत दालें खूब फूलती थीं और उनका स्वाद भी गाढ़ा होता था। यही से ‘धीमी आंच की खड़ी दाल’ एक पारंपरिक व्यंजन बन गई।

राजमहल, लोबिया, मसूर, मूंग, चना और उड़द जैसी दालों को एक साथ पकाकर एक मोटी, गाढ़ी और तृप्तिकर दाल बनाई जाती थी। यह विशेष रूप से सर्दियों में बनाई जाती थी क्योंकि यह शरीर को गर्मी प्रदान करती है और पाचन में भी सहायक होती है।

सबुत मिक्स दाल (खड़ी दाल) में उपयोग होने वाली दालें

  1. साबुत उड़द दाल

  2. साबुत मूंग दाल

  3. साबुत मसूर दाल

  4. साबुत चना दाल

  5. लोबिया (राजमा वैकल्पिक रूप से)

  6. हरा चना (सीजनल)

यह सभी दालें प्रोटीन, आयरन, फाइबर, विटामिन B और मिनरल्स से भरपूर होती हैं।

खड़ी दाल
                     खड़ी दाल

खड़ी दाल बनाने की सामग्री (Ingredients)

सामग्री मात्रा
मिक्स सबुत दालें (उड़द, मूंग, मसूर, चना) 1 कप
टमाटर (बारीक कटे हुए) 2
प्याज (बारीक कटे हुए) 1 (वैकल्पिक)
अदरक-लहसुन का पेस्ट 1 बड़ा चम्मच
हरी मिर्च 1-2
हल्दी पाउडर ½ छोटा चम्मच
धनिया पाउडर 1 छोटा चम्मच
लाल मिर्च पाउडर स्वादानुसार
जीरा 1 छोटा चम्मच
हींग एक चुटकी
घी या सरसों का तेल 2-3 बड़े चम्मच
नमक स्वादानुसार
हरा धनिया सजावट के लिए

खड़ी दाल बनाने की विधि (Step-by-Step Recipe)

1. दालों को भिगोना:

मिक्स दालों को अच्छी तरह धोकर 6-8 घंटे या रातभर भिगो दें। यह दाल को नर्म बनाता है और पकाने में कम समय लगता है।

2. दाल को पकाना:

एक प्रेशर कुकर में भीगी हुई दाल डालें। उसमें 3-4 कप पानी, थोड़ा नमक और हल्दी डालें। मध्यम आंच पर 4-5 सीटी आने तक पकाएं।
प्रेशर पूरी तरह निकलने के बाद ढक्कन खोलें और दाल को अच्छे से मसलें नहीं, उसका रूप थोड़ा साबुत ही रहने दें।

3. तड़का तैयार करना:

एक कढ़ाही में घी या तेल गरम करें। उसमें जीरा, हींग और फिर अदरक-लहसुन का पेस्ट डालें। हल्का भूनें। अब बारीक प्याज डालें और सुनहरा होने तक भूनें।

4. मसाले डालना:

अब कटे टमाटर, नमक, मिर्च, धनिया पाउडर डालकर मसाले को तेल छोड़ने तक पकाएं।

5. दाल में तड़का मिलाना:

पकी हुई दाल को इस तैयार मसाले में डालें और 5-7 मिनट धीमी आंच पर पकने दें। ज़रूरत हो तो थोड़ा पानी और डालें। गाढ़ी दाल का स्वाद ज्यादा अच्छा होता है।

6. परोसना:

ऊपर से हरा धनिया डालें और एक चम्मच घी। गरमागरम दाल को रोटी, पराठा या चावल के साथ परोसें।

खड़ी दाल खाने के फायदे (Health Benefits)

  1. उच्च प्रोटीन स्रोत: मांसाहार न करने वालों के लिए उत्तम विकल्प।

  2. फाइबर से भरपूर: पाचन में मददगार।

  3. लो कोलेस्ट्रॉल: दिल के लिए लाभकारी।

  4. शुगर कंट्रोल: डायबिटीज़ मरीजों के लिए सुरक्षित।

  5. ग्लोइंग स्किन: त्वचा के लिए आवश्यक पोषक तत्व उपलब्ध कराती है।

पारंपरिक दृष्टिकोण से महत्व (Cultural Significance)

  • उत्तराखंड व हिमाचल जैसे पहाड़ी क्षेत्रों में इसे “घी वाली दाल” के रूप में जाना जाता है।

  • शादी-ब्याह, त्योहारों में यह विशेष व्यंजन के रूप में परोसी जाती है।

  • ब्रह्मभोज व धार्मिक प्रसाद में भी इसका स्थान है क्योंकि यह सात्विक, सुपाच्य और पौष्टिक होती है।

नवाचार और आधुनिक ट्विस्ट (Modern Variations)

  • आजकल लोग इसमें पालक, मैथी, या मिक्स वेजिटेबल भी मिलाकर हेल्दी ट्विस्ट देते हैं।

  • तंदूरी रोटियों या बाजरे की रोटी के साथ इसका संगम बेहद लोकप्रिय हो गया है।

  • इंस्टेंट पॉट में भी यह 15 मिनट में बन जाती है।

खड़ी दाल केवल एक रेसिपी नहीं बल्कि एक परंपरा, एक स्वाद और एक स्वास्थ्यवर्धक भोजन का प्रतीक है। यह हर घर की थाली में शामिल होनी चाहिए – चाहे आम दिन हो या खास अवसर। इसकी सुगंध, गाढ़ापन और देशी घी के साथ इसका स्वाद हर उम्र के लोगों को पसंद आता है। यदि आपने अब तक खड़ी दाल नहीं खाई, तो इसे ज़रूर आज़माएँ – स्वाद और सेहत दोनों की गारंटी है।

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