पटना के पारस हॉस्पिटल में चंदन मिश्रा की हत्या: 17 जुलाई 2025 की सुबह पटना के प्रतिष्ठित पारस HMRI हॉस्पिटल में एक भयानक घटना ने शहर को झकझोर दिया: 36 वर्षीय कुख्यात अपराधी चंदन मिश्रा की अपराधियों ने अस्पताल परिसर में घुसकर गोलियों से हत्या कर दी गयी। यह हमला सिर्फ एक मर्डर नहीं, बल्कि सुरक्षा प्रबंधन की विफलता, गिरोह राजनीति और कानून-व्यवस्था की शर्मनाक स्थिति को उजागर करता है।

घटना की रूपरेखा:
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सुबह करीब 7:15 बजे पांच हथियारबंद बदमाश अस्पताल के बाहर वाहन छोड़कर सीधा वार्ड नंबर 209 (दूसरी मंज़िल) पहुंचे और लगभग 30 सेकंड में चंदन मिश्रा को गोलियों से भूना। बदमाश बिना एरर मोटर के अस्पताल से फरार हो गए।
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वारदात को सीसीटीवी कैमरे में पूर्ण रूप से कैद किया गया, जिसमें हमलावरों के चेहरे भी स्पष्ट थे।
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घटना स्थल से 12 खोखे व ताबड़तोड़ गोलियों के निशान बरामद हुए।
चंदन मिश्रा कौन थे?
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मिश्रा बक्सर जिले के सोनवर्षा गांव के निवासी थे और 2011 में कारोबारी राजेंद्र केसरी की हत्या के जुर्म में उम्रकैद की सजा काट रहे थे।
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वे शेरू सिंह के साथ “चंदन–शेरू गिरोह” के तौर पर जाने जाते थे। बाद में दोनों में झगड़े के कारण अलग हुए और बनिया समूहों की गठजोड़ के बीच चलन बढ़ा। चंदन मिश्रा पर कुल मिलाकर 24 से अधिक गंभीर आपराधिक मामले दर्ज थे।
सुरक्षा कैसी रही? – चौंकाने वाले पहलू:
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वार्ड का दरवाज का लॉक खराब था, जिसके चलते बदमाश बिना रोक‑टोक के अंदर घुस गए। पता चलता है कि उन्हें घटना से पहले ही वार्ड की पूरी जानकारी थी।
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वारदात करीब 30 सेकंड में पूरी हो गई, जिससे यह स्पष्ट होता है कि सुरक्षा कवच पूरी तरह ढीला था।
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आरोप है कि हॉस्पिटल स्टाफ या सुरक्षा कर्मियों की मिलभगत भी हुई हो सकती है—इस एंगल की भी पुलिस जांच कर रही है।
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केंद्रीय मंत्री जिति राम मांझी ने भी अस्पताल सुरक्षा की चूक को लेकर सख्त सवाल उठाए हैं।
गिरोह राजनीति या पुरानी दुश्मनी?
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पुलिस का मानना है यह हमला पुरानी गिरोह दुश्मनी—विशेषकर शेरू सिंह गुट द्वारा योजनाबद्ध हत्या—का परिणाम है।
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जांच में सामने आया कि तीन‑चार दिन पहले से साजिश की तैयारी की गई थी—वे आरोपी अस्पताल की अंदर‑बाहर की स्थिति से परिचित थे।
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घटना के बाद हत्या की साजिश रचने वाले तौसीफ बादशाह सहित 5 शूटर्स की पहचान पुलिस ने कर ली है। कुछ को हिरासत भी मिली है।

राजनीतिक प्रतिक्रियाएँ और सामाजिक असर:
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आरजेडी नेता तेजस्वी यादव ने Nitish सरकार की कानून-व्यवस्था पर निंदा की, सवाल किया – “बिहार में कोई सुरक्षित है?”
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चिराग पासवान ने कहा कि अपराधियों का मनोबल आसमान छू रहा है और प्रशासन लायक नहीं रहा।
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कांग्रेस ने घटना का वीडियो साझा कर राज्य पुलिस और प्रशासन पर फोकस किया।
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इस घटना ने राष्ट्रपति शासन की मांग भी सोशल व राजनीतिक स्तर पर तेज कर दी है।
सुरक्षा व्यवस्था पर गंभीर प्रश्न:
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यह सुनियोजित हत्या अस्पताल परिसर जैसे संवेदनशील क्षेत्र में घुसपैठ, सुरक्षा चूक और निगरानी प्रणाली की कमजोरी को उजागर करती है।
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सिर्फ अस्पताल ही नहीं, बल्कि राज्य के कानून-व्यस्था थाने भी सवालों के घेरे में हैं—जहां तक उनके खिलाफ कार्रवाई होगी।
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घटना ने नीति निर्धारकों और पुलिस प्रशासन को नया ध्यान और सुधारात्मक कदम उठाने के लिए मजबूर किया है।
पटना के पारस हॉस्पिटल में हुई इस हत्या से साफ है कि अपराधियों का नेटवर्क कितना जटिल है, और सुरक्षा प्रणालियाँ कितनी कमजोर। सबसे बड़ी बात – एक कुख्यात अपराधी जेल से पैरोल पर अस्पताल आया था, लेकिन वहां उसकी मौत ने समाज को सवालों से भर दिया—क्या अस्पताल सुरक्षित नहीं रहे, क्या प्रशासन नींद में था?
यह हमला सिर्फ एक मर्डर केस नहीं—यह सुविधा का अभाव, गिरोहियों की ताक़त और प्रशासन की कमजोरी की कहानी है।
आपके विचार:
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क्या आप समझते हैं कि निजी अस्पतालों में सुरक्षा व्यवस्था में सुधार होगा?
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क्या राज्य सरकार इस घटना के बाद कानून-व्यवस्था सुधार में सक्षम होगी?
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और क्या चंदन मिश्रा की यह हत्या बिहार की पर्यावरण (law‑order) सुधार की दिशा में प्रेरणा बनेगी?
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