Jagdeep Dhankhar Resigns: भारत के उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने अचानक अपने पद से इस्तीफा देकर पूरे देश को चौंका दिया है। उनका इस्तीफा स्वास्थ्य कारणों के आधार पर आया है, लेकिन इसके पीछे की सच्चाई को लेकर राजनीति के गलियारों में जोरदार चर्चाएं हो रही हैं। उन्होंने अपने त्यागपत्र में प्रधानमंत्री मोदी और राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू के सहयोग के लिए आभार जताया है।
उनके इस अचानक लिए गए फैसले के पीछे क्या कारण हैं, इसे लेकर कई सवाल उठ खड़े हुए हैं। खासतौर पर तब, जब सिर्फ सात महीने पहले ही उनके खिलाफ विपक्ष की ओर से देश के इतिहास का पहला अविश्वास प्रस्ताव लाया गया था।
आइए, जानते हैं इस पूरे घटनाक्रम को, और समझते हैं कि क्या है इस इस्तीफे की पूरी कहानी।
धनखड़ का इस्तीफा: क्या कहा अपने त्यागपत्र में?
जगदीप धनखड़ ने राष्ट्रपति को संबोधित अपने त्यागपत्र में लिखा कि वे स्वास्थ्य कारणों की वजह से पद से हट रहे हैं। उन्होंने कहा कि अब वे “स्वास्थ्य सेवाओं को प्राथमिकता देना” चाहते हैं और डॉक्टर्स की सलाह का पालन करना उनके लिए जरूरी हो गया है।
उन्होंने अपने इस्तीफे में लिखा:
“संविधान के अनुच्छेद 67(ए) के अनुसार, मैं भारत के उपराष्ट्रपति पद से तत्काल प्रभाव से इस्तीफा देता हूं। प्रधानमंत्री मोदी का सहयोग अमूल्य रहा और उनसे मैंने अपने कार्यकाल के दौरान बहुत कुछ सीखा। राष्ट्रपति महोदया के साथ कार्य करने का अनुभव मेरे जीवन की अमूल्य पूंजी बना रहेगा।”
धनखड़ ने यह भी कहा कि उन्हें सभी सांसदों से जो सम्मान, स्नेह और भरोसा मिला, वह उनकी स्मृति में हमेशा बना रहेगा। उन्होंने भारत की आर्थिक प्रगति और वैश्विक पहचान में योगदान देने पर संतोष जताया और इसे “सच्चा सम्मान” बताया।
संसद का सत्र जारी, फिर क्यों लिया अचानक फैसला?
सवाल यही है कि जब संसद का मानसून सत्र शुरू हो चुका है और खुद उपराष्ट्रपति कार्य मंत्रणा समिति (BAC) की बैठक तय कर चुके थे, तब ऐसा क्या हो गया कि उन्हें अचानक इस्तीफा देना पड़ा?
सोमवार को उन्होंने कई सांसदों के साथ मीटिंग की और मंगलवार की दोपहर 1 बजे अगली बड़ी बैठक रखी थी। 23 जुलाई को जयपुर में CREDAI राजस्थान के कार्यक्रम में भी हिस्सा लेने का उनका कार्यक्रम तय था।
इतना ही नहीं, उपराष्ट्रपति कार्यालय को भी उनके इस्तीफे की जानकारी पहले से नहीं थी। यह सब अचानक हुआ – जिससे अंदाजा लगाया जा सकता है कि यह फैसला बिल्कुल अप्रत्याशित था।
धनखड़ के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव: 1952 के बाद पहली बार
साल 2024 में जब विपक्ष ने जगदीप धनखड़ के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव लाया, तो यह देश के संसदीय इतिहास में एक अनोखी और पहली घटना बन गई।
10 दिसंबर 2024 को विपक्षी दलों की ओर से एक औपचारिक नोटिस राज्यसभा महासचिव को सौंपा गया था, जिसमें 60 सांसदों के हस्ताक्षर थे। इस प्रस्ताव में आरोप लगाया गया कि उपराष्ट्रपति के रूप में धनखड़ ने राज्यसभा की कार्यवाही का संचालन पक्षपातपूर्ण तरीके से किया।
कांग्रेस नेता जयराम रमेश और सांसद नसीर हुसैन ने यह नोटिस पेश किया था। इसमें कांग्रेस, तृणमूल कांग्रेस, समाजवादी पार्टी, राजद, डीएमके, सीपीआई, सीपीएम, झामुमो और आम आदमी पार्टी जैसे दलों के सांसदों के हस्ताक्षर थे।
यह पहली बार हुआ जब किसी उपराष्ट्रपति के खिलाफ महाभियोग जैसा कदम उठाया गया।
अविश्वास प्रस्ताव क्यों हुआ खारिज?
यह प्रस्ताव 19 दिसंबर 2024 को उपसभापति हरिवंश नारायण सिंह द्वारा तकनीकी आधार पर खारिज कर दिया गया। उन्होंने कहा कि नोटिस में निर्धारित 14 दिनों की समयसीमा का पालन नहीं किया गया, जो इस तरह के प्रस्तावों के लिए जरूरी होता है।
इस फैसले में कहा गया कि यह नोटिस संविधानिक प्रक्रिया को कमजोर करने का प्रयास है। इससे संवैधानिक संस्थानों की गरिमा को ठेस पहुंच सकती है।
विपक्ष ने इसे “लोकतंत्र को बचाने की मजबूरी” बताया, लेकिन सत्ताधारी पक्ष ने इसे ‘संविधान के खिलाफ’ और ‘प्रेरित प्रयास’ बताया।
इस्तीफे के बाद जयराम रमेश का बयान: “ये सिर्फ स्वास्थ्य नहीं है”
जब धनखड़ ने अचानक इस्तीफा दिया, तो कांग्रेस नेता जयराम रमेश ने कहा,
“उपराष्ट्रपति का इस्तीफा चौंकाने वाला और अकल्पनीय है। सोमवार को शाम 5 बजे तक वे कई सांसदों के साथ बैठक में थे और रात 7:30 बजे मुझसे फोन पर बात की थी। जाहिर है, स्वास्थ्य प्राथमिकता हो सकता है, लेकिन इसके पीछे कुछ और भी है।”
उन्होंने यह भी कहा कि देश को धनखड़ जैसे निर्भीक और संतुलित नेता की जरूरत है।
रमेश ने यह भी उम्मीद जताई कि प्रधानमंत्री उन्हें मनाकर इस्तीफा वापस लेने के लिए राजी करेंगे क्योंकि इससे देश और खासतौर पर किसान समुदाय को राहत मिलेगी।
धनखड़ का कार्यकाल और योगदान
धनखड़ ने 2022 में उपराष्ट्रपति पद की शपथ ली थी। उनका कार्यकाल 2027 तक होना था, लेकिन उन्होंने तीन साल पूरे करने से पहले ही पद छोड़ दिया। अपने कार्यकाल में उन्होंने कई बार सरकार और विपक्ष दोनों को कड़ाई से जवाब दिए, और संसद में अनुशासन बनाए रखने की कोशिश की।
उनकी कानून और न्यायपालिका से जुड़ी कई पहलें सराही गईं। वे एक ऐसे नेता रहे जिन्होंने अपने कार्यकाल में बोलने और सुनने – दोनों का संतुलन बनाए रखा।
क्या है आगे की प्रक्रिया? कौन बनेगा नया उपराष्ट्रपति?
अब जब पद खाली हो गया है, तो संविधान के तहत राष्ट्रपति को नया उपराष्ट्रपति चुनने की प्रक्रिया शुरू करनी होगी।
जल्द ही संसद में नए उम्मीदवार के नाम की घोषणा हो सकती है और उपराष्ट्रपति चुनाव आयोग की देखरेख में चुनाव होंगे। इसमें लोकसभा और राज्यसभा – दोनों सदनों के सांसद मतदान करते हैं।
क्या धनखड़ का इस्तीफा सिर्फ स्वास्थ्य कारणों से था?
उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ का इस्तीफा एक ऐतिहासिक और असामान्य घटना है। एक ओर वे स्वास्थ्य कारणों का हवाला दे रहे हैं, लेकिन दूसरी ओर उनकी सक्रियता, हालिया मीटिंग्स और भविष्य की योजनाएं किसी भी तरह से बीमारी की ओर इशारा नहीं करतीं।
इस पूरे घटनाक्रम से एक बात तो साफ है – भारतीय राजनीति में हमेशा कुछ अनकहा रह जाता है। क्या यह इस्तीफा वाकई केवल स्वास्थ्य के लिए था या फिर इसके पीछे कोई और राजनीतिक संकेत हैं – इसका जवाब आने वाला समय ही देगा।
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