लौकी के कोफ्ते: भारतीय व्यंजन विविधता में अद्वितीय हैं। हर राज्य, हर समुदाय और हर रसोईघर की अपनी खासियत होती है। इन्हीं व्यंजनों में से एक है “लौकी के कोफ्ते” — एक ऐसा व्यंजन जिसे सामान्यत: रोज़मर्रा के खाने में भी बनाया जाता है, परंतु इसका स्वाद और बनावट इतनी रिच होती है कि यह खास मौकों और दावतों की शान भी बनता है। लौकी (घीया, दूधी या बॉटल गॉर्ड) को अक्सर कम महत्व का समझा जाता है, लेकिन लौकी के कोफ्ते ने इसे शाही व्यंजन के स्तर पर पहुँचा दिया है।

इतिहास और उत्पत्ति:
लौकी का जन्म अफ्रीका में हुआ, लेकिन इसकी प्राचीन खेती भारत में हजारों साल पहले शुरू हो गई थी। भारतीय संस्कृति, आयुर्वेद और भोजन परंपरा में लौकी का अहम स्थान है।
लौकी के कोफ्ते की जड़ें भारतीय उपमहाद्वीप की प्राचीन रसोई परंपराओं में मिलती हैं। “कोफ्ता” शब्द फ़ारसी भाषा से आया है, जिसका अर्थ है “कुटा हुआ या पीसा हुआ मांस या मिश्रण”। जब मुग़ल भारत आए, तो उन्होंने अपने साथ कोफ्ते की परंपरा भी लाई — जो मुख्यतः मांस आधारित हुआ करती थी। लेकिन भारतीय शाकाहारी परंपरा ने इसे एक नया आयाम दिया।
मुग़ल काल में शाही बावर्चियों ने शाकाहारी कोफ्तों का आविष्कार किया, जो बिना मांस के भी उतने ही स्वादिष्ट और आकर्षक हों। ऐसे में “लौकी के कोफ्ते” का जन्म हुआ। लौकी की सौम्यता, उसमें मिलने वाली नमी और पौष्टिकता ने इसे आदर्श विकल्प बना दिया।
क्या कोई राजा इसे बनवाता था?
इतिहासकारों के अनुसार, मुग़ल सम्राट जहांगीर और औरंगज़ेब जैसे बादशाहों के दरबार में शाकाहारी पकवानों की विशेष मांग थी। औरंगज़ेब व्यक्तिगत रूप से शाकाहारी थे, और उनकी रसोई में कई शाकाहारी व्यंजनों का आविष्कार हुआ। ऐसा माना जाता है कि “लौकी के कोफ्ते” जैसी डिश को भी शाही बावर्चियों ने उनके लिए तैयार किया था, ताकि शाही थाली में भी सादगी और भव्यता दोनों का संतुलन रहे।
इसके अलावा राजस्थान के कुछ राजघरानों की रसोई में भी लौकी के कोफ्तों को पसंद किया जाता था, विशेषतः गर्मियों में, जब लौकी शरीर को ठंडक देती है। जयपुर और मेवाड़ की रसोई में लौकी के कोफ्तों को दही आधारित ग्रेवी में परोसा जाता था।
लौकी के कोफ्ते की रेसिपी:
सामग्री:
कोफ्तों के लिए:
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लौकी (बॉटल गॉर्ड) – 500 ग्राम (कद्दूकस की हुई)
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बेसन – 3-4 टेबलस्पून
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हरी मिर्च – 2 (बारीक कटी हुई)
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अदरक – 1 इंच (कद्दूकस की हुई)
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धनिया पत्ती – 2 टेबलस्पून (बारीक कटी हुई)
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नमक – स्वादानुसार
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हल्दी – 1/4 टीस्पून
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लाल मिर्च पाउडर – 1/2 टीस्पून
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तेल – तलने के लिए
ग्रेवी के लिए:
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टमाटर – 3 (पीसे हुए)
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प्याज – 2 (बारीक कटे या पेस्ट)
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हरी मिर्च – 2
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अदरक-लहसुन पेस्ट – 1 टेबलस्पून
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हल्दी – 1/4 टीस्पून
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धनिया पाउडर – 1 टीस्पून
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गरम मसाला – 1/2 टीस्पून
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लाल मिर्च पाउडर – 1 टीस्पून
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कसूरी मेथी – 1 टीस्पून
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काजू पेस्ट (वैकल्पिक) – 1 टेबलस्पून
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नमक – स्वादानुसार
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तेल – 2-3 टेबलस्पून
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हरा धनिया – सजाने के लिए
विधि:
1. कोफ्ते तैयार करना:
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सबसे पहले लौकी को धोकर छील लें और कद्दूकस करें।
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कद्दूकस की हुई लौकी को हाथों से दबाकर उसका अतिरिक्त पानी निकाल लें (पर इसे फेंकें नहीं, ग्रेवी में उपयोग करेंगे)।
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अब इस लौकी में बेसन, हरी मिर्च, अदरक, धनिया पत्ती, नमक, हल्दी, और लाल मिर्च पाउडर मिलाएं। गाढ़ा मिश्रण तैयार करें।
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अब अपने हाथों को थोड़ा गीला करके गोल-गोल कोफ्ते के बॉल्स बना लें।
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एक कढ़ाई में तेल गरम करें और इन कोफ्तों को मीडियम आंच पर सुनहरा होने तक तलें। फिर इन्हें टिशू पेपर पर निकाल लें।
2. ग्रेवी तैयार करना:
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एक कढ़ाई में तेल गरम करें और उसमें बारीक कटा प्याज डालें। सुनहरा होने तक भूनें।
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अब अदरक-लहसुन पेस्ट डालें और 2 मिनट भूनें।
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इसके बाद टमाटर की प्यूरी डालें। साथ में हल्दी, धनिया पाउडर, लाल मिर्च पाउडर और नमक डालकर मसाले को अच्छे से भूनें जब तक तेल न छोड़ दे।
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अब काजू पेस्ट डालें और 2-3 मिनट और भूनें।
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बचे हुए लौकी के पानी को अब ग्रेवी में डालें और जरूरत अनुसार पानी और मिलाएं। इसे 5-7 मिनट तक मध्यम आंच पर पकने दें।
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अंत में गरम मसाला, कसूरी मेथी और हरा धनिया डालें।
3. कोफ्तों को ग्रेवी में डालना:
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गैस बंद करने से ठीक पहले कोफ्तों को ग्रेवी में डालें ताकि वे टूटें नहीं।
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ढककर 5 मिनट के लिए छोड़ दें जिससे कोफ्ते ग्रेवी में स्वाद सोख लें।
परोसने का तरीका:
लौकी के कोफ्ते को आप ताजे गरम फुलके, पराठे, नान या जीरा राइस के साथ परोस सकते हैं। यह व्यंजन किसी भी खास अवसर पर बनाया जा सकता है। दावतों में यह एक स्टार डिश की तरह चमकता है।
पोषण और स्वास्थ्य लाभ:
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लौकी विटामिन C, फाइबर और पोटैशियम से भरपूर होती है।
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यह पेट के लिए बेहद फायदेमंद है, पाचन तंत्र को सुधारती है और शरीर को ठंडक देती है।
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बेसन में प्रोटीन होता है, जिससे यह डिश स्वाद के साथ-साथ पौष्टिक भी बनती है।
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तलने की बजाय अगर आप चाहें तो कोफ्तों को एयर फ्रायर में भी बना सकते हैं।
लौकी के कोफ्ते एक ऐसी डिश है जो भारत की सांस्कृतिक विविधता, पाक-कौशल और इतिहास को दर्शाती है। यह रेसिपी केवल स्वाद तक सीमित नहीं है बल्कि इसके पीछे एक गहरी शाही परंपरा, पाक कला का विकास और स्वास्थ्य का समावेश भी है। चाहे वह औरंगज़ेब का दरबार हो या आज का कोई घरेलू रसोईघर — लौकी के कोफ्ते हर समय के भोजन का हिस्सा रहे हैं और भविष्य में भी रहेंगे।
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