Madhuri Elephant: हाथी ‘माधुरी’ की विदाई पर उमड़ा कोल्हापुर का गुस्सा, Jio का बहिष्कार, जानिए पूरा मामला

Madhuri Elephant: महाराष्ट्र के कोल्हापुर जिले के शिरोल तालुका में एक हाथी की विदाई ने पूरे इलाके को भावनात्मक रूप से झकझोर कर रख दिया है। यह मामला इतना बढ़ गया कि लोगों ने Jio मोबाइल नेटवर्क का बहिष्कार शुरू कर दिया। पूरा विवाद ‘माधुरी’ उर्फ ‘महादेवी’ नामक हाथी को लेकर है, जो शिरोल के नंदिनी गांव स्थित जैन मठ में वर्षों से रह रही थी।

madhuri elephant story

क्या है मामला? Madhuri Elephant Case

यह विवाद तब शुरू हुआ जब PETA (People for Ethical Treatment of Animals) नामक पशु अधिकार संगठन ने बॉम्बे हाईकोर्ट में याचिका दायर की। PETA ने दावा किया कि हाथी की तबीयत ठीक नहीं है और उसे बेहतर इलाज और पुनर्वास की ज़रूरत है। अदालत ने इस पर संज्ञान लेते हुए हाथी को गुजरात के वंतारा एनिमल रेस्क्यू सेंटर में भेजने का आदेश दिया। बाद में सुप्रीम कोर्ट ने भी इस आदेश को बरकरार रखा।

जैन मठ और स्थानीय लोगों की भावनाएं

कोल्हापुर जिले का नंदिनी गांव एक ऐतिहासिक जैन मठ का केंद्र है, जहाँ भट्टारक श्री जिनसेन स्वामीजी जैसे धर्मगुरु रहते हैं। स्थानीय लोगों के मुताबिक, इस मठ में 600 वर्षों से हाथी पालने की परंपरा रही है। ‘माधुरी’ मठ की धार्मिक शोभायात्राओं और रस्मों का अहम हिस्सा रही है। इसलिए जब उसे वंतारा भेजा गया, तो पूरे गांव में भावनात्मक आक्रोश फैल गया।

विदाई का भावुक दृश्य और विरोध

बुधवार को जब वंतारा की टीम हाथी को ले जाने के लिए आई, तो लोगों ने हाथी को विदाई देने से इनकार कर दिया। हाथी को फूलों और आभूषणों से सजाया गया था, और भट्टारक स्वामीजी खुद उसे विदाई दे रहे थे। यह दृश्य सोशल मीडिया पर वायरल हो गया और लोगों की भावनाएं उफान पर आ गईं।

Jio नेटवर्क बना विरोध का निशाना

जैसे ही यह पता चला कि वंतारा सेंटर रिलायंस इंडस्ट्रीज और रिलायंस फाउंडेशन द्वारा चलाया जा रहा है, लोगों का गुस्सा Jio मोबाइल नेटवर्क की ओर मुड़ गया। शिरोल में कई लोगों ने Jio से अपने नंबर पोर्ट करवा लिए, और सोशल मीडिया पर Jio का बहिष्कार करने की मुहिम शुरू हो गई।

एक स्थानीय मोबाइल विक्रेता ने तो यहां तक किया कि जो लोग Jio से नंबर पोर्ट करवा रहे थे उन्हें एक हाथी की तस्वीर वाला कॉफी मग गिफ्ट में दिया गया।

प्रशासन और वंतारा की प्रतिक्रिया

स्थानीय विरोध को देखते हुए कोल्हापुर जिले के संरक्षक मंत्री और महाराष्ट्र के स्वास्थ्य मंत्री प्रकाश आबिटकर ने इस मामले में दखल दिया। शुक्रवार को उन्होंने वंतारा के वरिष्ठ अधिकारियों और जैन मठ के प्रमुखों के साथ बैठक की। वंतारा की ओर से बताया गया कि अगर कानूनी प्रक्रिया पूरी होती है, तो वे हाथी को वापस भेजने के लिए तैयार हैं।

आगे की राह क्या है?

पूर्व सांसद और किसान नेता राजू शेट्टी, जो खुद भी जैन समुदाय से आते हैं, उन्होंने इस कदम का कड़ा विरोध किया है। उन्होंने कहा कि यह फैसला स्थानीय लोगों की भावनाओं को दरकिनार करके लिया गया है। शेट्टी ने हाथी की वापसी की मांग को लेकर एक शांतिपूर्ण मोर्चा निकालने का आह्वान किया है।

बैठक के बाद मंत्री आबिटकर ने कहा –
“हम माधुरी को वापस लाने के लिए हर जरूरी कानूनी कदम उठाएंगे।”

निष्कर्ष

यह मामला केवल एक हाथी के स्थानांतरण का नहीं है, बल्कि स्थानीय संस्कृति, धार्मिक परंपरा और भावनाओं से जुड़ा हुआ है। जबकि अदालतें पशु के स्वास्थ्य और देखभाल को ध्यान में रख रही हैं, स्थानीय लोग अपनी सांस्कृतिक धरोहर के छिन जाने को लेकर आहत हैं। Jio का बहिष्कार इस गुस्से का प्रतीक बन गया है। अब देखना होगा कि प्रशासन और अदालत मिलकर कैसे इस संवेदनशील मुद्दे का समाधान निकालते हैं।

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