निमिषा प्रिया को यमन में फांसी का खतरा: निमिषा प्रिया, 38 वर्षीय केरल की एक नर्स, हाल‑फिलहाल समाचारों में इसलिए बनी हैं क्योंकि उन्हें यमन में 16 जुलाई 2025 को फांसी की सजा देने की तैयारी चल रही है, और भारत सरकार द्वारा उनके जीवन को बचाने के लिए उच्च‑स्तरीय हस्तक्षेप की मांग तेज हो गई है। इस पूरे मामले की जटिलता को समझने के लिए इसके मुख्य पहलुओं पर हिंदी में विस्तार से चर्चा करते हैं:

मामला क्या है?
निमिषा प्रिया कौन हैं?
केरला के पलक्कड़ ज़िले के कोल्लेंगोड़े की रहने वाली, निमिषा ने शुरुआत में सरकारी अस्पतालों में नर्स का काम किया, फिर सना (यमन) में अपना क्लिनिक खोला । 2014 में गृहयुद्ध की वजह से उनके पति और बेटी भारत लौट आए, लेकिन वह यमन में ही रहीं।
क्या आरोप है?
उनका क्लिनिक पार्टनर, तालाल अब्दो महदी, कथित रूप से उनकी यातना करता था—उनकी पासपोर्ट ज़ब्त की, उन्हें धमकाया, और उनकी क्लिनिक की आय में हेरफेर की। 2017 में निमिषा ने कथित रूप से उन्हें सेडेटिव इंजेक्ट करके उनकी हाइडिंग या दस्तावेज लौटाने का प्रयास किया, लेकिन इंजेक्शन के चलते उनकी मृत्यु हो गई। इसके बाद डेड बॉडी को काट‑कपट कर पानी की टंकी में फेंक दिया गया ।
कानूनी कार्यवाही क्या हुई?
2018 में उन्हें हत्या के आरोप में दोषी ठहराया गया और मौत की सजा सुनाई गई। उनकी अपील 2023 में यमन की सुप्रीम ज्यूडिशियल काउंसिल ने खारिज कर दी । यमनी फ़ैसले के अनुसार, इस सजा को ‘क़िसास’ रूप में भी देखा जा सकता था, लेकिन यमन में ‘दियात’ यानी ब्लड मनी (compensation) की व्यवस्था भी है—जिससे परिवार मुआवज़ा लेकर दोषी को माफ कर सकता है ।
फांसी की आशंका और फांसी की तारीख:
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16 जुलाई 2025 को फांसी की गयात्मक (tentative) तारीख तय की गई है ।
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यमन की जेल प्रशासन और यमन की सर्वोच्च न्यायिक परिषद ने इस तारीख को सुनिश्चित किया है ।
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हालांकि MEA और भारतीय दूतावास (सऊदी अरब आधारित) ने इसे आधिकारिक तौर पर कन्फर्म नहीं किया है ।
बचाव के प्रयास:
परिवार की लड़ाई
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उनकी माँ, प्रेमा कुमारी, फिलहाल सना में मौजूद हैं और उन्होंने मृतक परिवार से दियात (लगभग $1 मिलियन, ₹8.6 करोड़) के लिए बातचीत शुरू की।
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परिजन और सामाजिक कार्यकर्ता “Save Nimisha Priya International Action Council” के माध्यम से लगातार कानूनी और वित्तीय समर्थन जुटा रहे हैं।
राजनीतिक और राजनयिक दबाव:
भारत में सभी प्रमुख राजनैतिक दलों के नेताओं ने आवाज़ उठाई:
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कांग्रेस नेता K.C. वेणुगोपाल ने प्रधानमंत्री मोदी को पत्र लिखा, जिसमें उन्होंने निमिषा को “अनियंत्रित अत्याचार और घरेलू हिंसा का पीड़ित” बताया और तत्काल हस्तक्षेप की अपील की । उन्होंने ट्वीट में लिखा,
“The death sentence against Nimisha Priya is a grave travesty of justice. She is a victim of unimaginable cruelty … She doesn’t deserve to die.”
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सीपीआई नेता के. राधाकृष्णन और सांसद सांडोश कुमार ने भी विदेश मंत्रालय को तत्काल कार्रवाई के लिए लिखा, यह रेखांकित करते हुए कि सरकार और Yeman में किसी प्रकार की औपचारिक राजनयिक व्यवस्था नहीं है ।
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विपक्ष के नेता V. डी. सतेशान सहित, कई अन्य नेताओं ने राष्ट्रपति और राज्यपाल से हस्तक्षेप की अपील की है ।
सुप्रीम कोर्ट में याचिका:
“Save Nimisha Priya Action Council” ने सर्वोच्च न्यायालय में याचिका दाखिल की है, जिसमें केंद्र सरकार से यमन के साथ तत्काल राजनयिक सम्पर्क स्थापित करके उन्हें रोकने का निर्देश देने की मांग है। कोर्ट ने इस याचिका को 14 जुलाई को सुनवाई के लिए सूचीबद्ध किया है।
क़ानूनी और राजनयिक चुनौती:
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भारत और यमन, विशेषकर हूती-कंट्रोल्ड सना में, के बीच कोई औपचारिक राजनयिक संबंध नहीं है, जिससे दियात हस्तांतरण, कानूनी सुनवाई या राहत के रास्ते अँधेरे में हैं ।
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यमन में मुस्लिम क़ानून (शरिया) के अंतर्गत qisas (प्रतिशोध) और diyat (रक्तपैसे) की व्यवस्था आरोपी को सजा से बचने का कानूनी द्वार भी उपलब्ध कराती है—हिंदी में इसे ‘खूनी रक़म,’ ‘रक्तपैसा’ भी कहते हैं।
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यमन में गृहयुद्ध, राजनीतिक अस्थिरता और विदेशी हस्तक्षेप के चलते प्रक्रिया और भी पेचीदा है।
मानवीय और सामाजिक आयाम:
केरल में निमिषा की वापसी को लेकर व्यापक भावनात्मक जुड़ाव है। उनके गाँव पूंकायम की महिलाएं, स्कूल-कॉलेज की साथी और सोशल मीडिया पर हजारों लोग प्रार्थना कर रहे हैं ।
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परिवार के अनुसार, उन्होंने वर्षों तक केवल नर्स बनने का सपना देखा था, बेहतर जीवन के लिए यमन भी गई थीं—पर वहां अकेलेपन और हिंसा के शिकार बन गईं ।
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बेटी (अब 12 वर्ष) माँ की वापसी की उम्मीद जगाए बैठी है, जबकि पति टॉमी थॉमस रोज‑रोज संघर्ष कर रहा है ।

आगामी कदम और संभावित परिणाम:
दियात की व्यवस्था – परिवार और परिवार की ओर से दियात की रकम जमा करने की प्रक्रिया यमन की स्थानीय क़ानूनी और सामाजिक मान्यताओं के अनुरूप चल रही है
14 जुलाई, 2025 को सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई होगी, जिसमें केंद्र से कार्यवाहियों की जानकारी मांगी गई है ।
राजनयिक पहल – प्रधानमंत्री, राष्ट्रपति, विदेश मंत्रालय और राज्य सरकारों स्तर पर बातचीत तेज हो रही है। मकसद है यमन की सत्ता में प्रभावी संपर्क बनाना।
निमिषा प्रिया का मामला सिर्फ एक व्यक्तिगत संघर्ष नहीं है, बल्कि यह अंतरराष्ट्रीय कानून, इंसानी गरिमा, और विदेश में काम करने वाले भारतीयों की सुरक्षा जैसे जटिल मुद्दों का मसला भी बन गया है। यमन की मृत्युदंड की सजा और दियात व्यवस्था की प्रक्रिया बेहद संवेदनशील और समयबद्ध है। भारत सरकार, सुप्रीम कोर्ट, राजनीतिक दल और सामाजिक संगठनों की ओर से चल रही कोशिशें यह स्पष्ट करती हैं कि इस मामले में इंसानियत और कूटनीति को मिलाकर मोर्चा खोला गया है।
परिणाम 14 जुलाई की सुप्रीम कोर्ट सुनवाई में आएगा, और उसके बाद ही स्पष्ट होगा कि भारत सरकार, यमन प्रशासन और मृतक परिवार के बीच कितनी समझ बनेगी—जिससे निमिषा को ज़िंदगी मिल सके या वह फांसी से बचे।
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