Janaki V vs State of Kerala: जुलाई 2025 में रिलीज़ हुई मलयालम फिल्म “Janaki V vs State of Kerala” (JSK) एक महिला सुरक्षा और न्याय की कहानी, सेंसर्स बोर्ड विवाद और कलात्मक स्वतंत्रता की लड़ाई का केंद्र बनी। फिल्म ने न केवल बॉक्स ऑफिस पर शुरुआत में अच्छी कमाई की, बल्कि यह भारत में सेंसर नियमों पर बहस छेड़ने वाली बनी — विशेष रूप से फिल्म का शीर्षक—जिसमें “Janaki” नाम का इस्तेमाल विवादास्पद रहा।

मुख्य मुद्दा: नाम क्यों विवादित?
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CBFC ने आरंभ में फिल्म का नाम और किरदार का नाम ‘Janaki’ हटाने या बदलने की मांग की, यह कहते हुए कि यह नाम हिन्दू देवी सीता का पर्याय है और इसे एक बलात्कार पीड़िता के रूप में प्रस्तुत करना धार्मिक भावनाओं को आहत कर सकता है. बोर्ड ने 96 कट और शीर्षक बदलाव की मांग की थी।
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CBFC की आपत्तियाँ: उन्होंने यह दावा किया कि फिल्म में एक दूसरी धार्मिक पृष्ठभूमि के वकील द्वारा Janaki को ड्रग्स, पोर्न और प्रेम जीवन संबंधी कटु प्रश्न पूछना “धर्मात्मक विभाजन” और सामाजिक तनाव पैदा कर सकता है।
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केरल उच्च न्यायालय ने CBFC की तर्कशक्ति पर सवाल उठाया और कहा कि ‘Janaki’ जैसे सामान्य नाम पर आपत्तियाँ हास्यास्पद हैं—उदाहरण दिए जैसे ‘Seeta Aur Geeta’ और ‘Ram Lakhan’ ने कभी विवाद नहीं किया। अदालत ने CBFC से कारण स्पष्ट करने को कहा।
न्यायालयीन लड़ाई और समाधान:
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Cosmos Entertainments (निर्माता) ने केरल HC में याचिका दायर की, जिसमें बोर्ड द्वारा प्रमाण पत्र जारी करने में देरी और शीर्षक-नियंत्रण के आदेशों को चुनौती दी गई थी।
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अदालत ने 2 जुलाई को कहा कि CBFC को स्पष्ट करना होगा कि वो फिल्म का शीर्षक और पात्र नाम क्यों विवादास्पद मानते हैं।
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30 जून को फिल्म जगत का विरोध: केरल फिल्म संघ (FEFKA), AMMA और अन्य समुदायों ने सीबीएफसी कार्यालय के बाहर विरोध प्रदर्शन किया, जिसमें उन्होंने सेंसर बोर्ड की “मनमानी” निर्णय पर आपत्ति जताई।
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9 जुलाई को समझौता: निर्माता ने CBFC की उन दो माँगों को स्वीकार किया —
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शीर्षक को संशोधित कर “Janaki V vs State of Kerala” रखना
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फिल्म में दो सीन में Janaki नाम शब्द को म्यूट करना
अदालत ने ये स्वीकार कर दिया और CBFC ने 11 जुलाई तक U/A प्रमाणपत्र जारी किया।
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बॉक्स ऑफिस और विमर्श:
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फिल्म 17 जुलाई 2025 को रिलीज़ हुई और पहले दिन भारत में लगभग ₹1 करोड़ की कमाई की।
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प्रतिक्रियाएँ मिली-जुली रहीं: दर्शकों ने इसका सामाजिक संदेश और courtroom drama हिस्से की सराहना की, जबकि आलोचकों ने पटकथा और संपादन की कमी को चिन्हित किया।
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Suresh Gopi ने स्क्रीनिंग में कहा कि यह विवाद फिल्म के संदेश को धुंधला ना कर दे—उन्होंने दर्शकों से अनुरोध किया कि कहानी पर ध्यान दें।
क्यों यह ख़बर में है?
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सेंसर विवाद — धार्मिक नाम पर कटौती और बदलाव की सीबीएफसी की शुरुआत से ही विवाद हुआ और यह फिल्म स्वतंत्रता एवं अभिव्यक्ति पर बड़ा मुद्दा बन गया।
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उच्च न्यायालय की भूमिका — HC द्वारा सीबीएफसी की कार्रवाई की आलोचना और खातों में स्पष्टता की मांग ने पूरे मामले को कानूनी दृष्टिकोण दे दिया।
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फ़िल्मी समुदाय का समर्थन — फिल्म उद्योग ने एकजुट होकर आवाज उठाई कि कलात्मक स्वतंत्रता पर प्रतिबंध नहीं लगाया जाना चाहिए।
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न्यायप्रिय विषय — फिल्म की कहानी महिला सुरक्षा, न्याय और सामाजिक व्यवस्था के संवेदनशील पहलुओं को छूती है, जो दर्शकों और आलोकों दोनों के लिए महत्वपूर्ण है।
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सार्वजनिक उत्सुकता — सीबीएफसी विवाद → शीर्षक बदलाव → बॉक्स ऑफिस की प्रतिक्रिया जैसी घटनाओं ने मीडिया में इसे प्रमुखतम विषय बना दिया।

कुल मिलाकर, “Janaki V vs State of Kerala” सिर्फ एक फिल्म नहीं—यह भारत में सांस्कृतिक, धार्मिक और न्यायिक विमर्श की प्रक्रिया का हिस्सा बन चुकी है। CBFC की आरंभिक मांगों, न्यायालय की आलोचना, फिल्म जगत की प्रतिक्रिया, और अंततः रचनात्मक समाधान ने इसे एक केस स्टडी बना दिया है कि कैसे एक नाम पर स्वतंत्रता और कला की लड़ाई लड़ी जा सकती है।
यह कहानी सिनेमा प्रेमियों, कानूनी विद्वानों, सेंसर नीति विश्लेषकों और सामाजिक कार्यकर्ताओं—सभी के लिए विचारणीय और प्रेरणादायक है।
आपका विचार:
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क्या फिल्म का शीर्षक “Janaki” वाकई धार्मिक भावनाओं को आहत कर सकता था?
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CBFC जैसी संस्था को कलात्मक स्वतंत्रता पर किस हद तक नियंत्रण करना चाहिए?
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क्या HC ने इस मामले में सही दिशा दी?
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