उत्तराखंड के पारंपरिक भोजन में मिठाइयों का भी विशेष स्थान है, और जब बात हो गढ़वाली व्यंजनों की, तो अरसू (Arsa) एक ऐसी मिठाई है जिसे पीढ़ियों से त्यौहार, शादी-ब्याह और खास अवसरों पर बड़े प्रेम से बनाया जाता है। चावल और गुड़ से तैयार होने वाली यह मिठाई न केवल स्वाद में लाजवाब है, बल्कि इसका इतिहास और सांस्कृतिक महत्व भी गहरा है।

अरसू (Arsa) का इतिहास:
अरसू उत्तराखंड, विशेषकर गढ़वाल और कुमाऊं क्षेत्रों की एक बेहद पुरानी मिठाई है। इसका जिक्र लोककथाओं और पारंपरिक लोकगीतों में भी मिलता है। जब उत्तराखंड राज्य नहीं बना था और गढ़वाल एक अलग सांस्कृतिक इकाई के रूप में प्रसिद्ध था, तब गांव की महिलाएँ इसे खास अवसरों पर सामूहिक रूप से तैयार करती थीं।
अरसू का मुख्य आधार है — चावल और गुड़, जो पहाड़ों में आसानी से मिल जाते हैं। पहले के समय में चीनी का प्रयोग सीमित था, इसलिए गुड़ ही मिठास का मुख्य स्रोत हुआ करता था। चावल को पीस कर उसके आटे से बनी यह मिठाई घी में तली जाती है, जिससे इसका स्वाद और भी समृद्ध हो जाता है।
राजाओं और अरसू का संबंध (Royal Connection):
गढ़वाल की रियासत के दौरान राजाओं और राजपरिवारों के भोजों में स्थानीय व्यंजनों को उच्च सम्मान दिया जाता था। विशेष रूप से महाराज अजयपाल (गढ़वाल के संस्थापक राजा) के काल में यह परंपरा थी कि शाही भोजों में पहाड़ी व्यंजन भी शामिल किए जाएं।
राजा अजयपाल को जनता के करीब रहना पसंद था और वह अपने दरबार में स्थानीय स्वादों को बढ़ावा देते थे। दस्तावेज़ों और लोककथाओं में यह उल्लेख मिलता है कि जब गढ़वाल दरबार में किसी बड़े अतिथि का स्वागत होता, तो उन्हें अरसू जैसे पारंपरिक पकवान भी परोसे जाते। यह दिखाता है कि अरसू सिर्फ एक मिठाई नहीं थी, बल्कि सांस्कृतिक गौरव का प्रतीक थी।
🍽️ अरसू (Arsa) की पारंपरिक रेसिपी:
📝 आवश्यक सामग्री:
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चावल – 1 कप
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गुड़ – 1 कप (कद्दूकस किया हुआ या छोटे टुकड़ों में)
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सौंफ – 1 छोटा चम्मच (ऐच्छिक)
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घी – तलने के लिए
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पानी – गुड़ पिघलाने के लिए (1/4 कप लगभग)
👩🍳 बनाने की विधि (Step-by-Step Arsa Recipe):
1. चावल भिगोना
सबसे पहले चावल को अच्छे से धोकर रातभर या कम से कम 6 घंटे के लिए पानी में भिगो दें।
2. चावल पीसना
भीगे हुए चावल से पानी निकालें और मिक्सी में बिना पानी डाले दरदरा पीस लें। पेस्ट बहुत महीन नहीं होना चाहिए, हल्का मोटा रहें।
3. गुड़ घोल बनाना
एक पैन में 1/4 कप पानी गरम करें और उसमें कद्दूकस किया हुआ गुड़ डालकर पिघला लें। इसे मध्यम आंच पर चलाते रहें जब तक एक पतला चाशनी जैसा घोल न बन जाए।
4. मिश्रण तैयार करना
अब चावल के आटे में गुड़ का घोल धीरे-धीरे मिलाएं। मिश्रण न ज्यादा पतला हो न बहुत गाढ़ा। इसमें सौंफ मिलाएं जो स्वाद और खुशबू के लिए उपयुक्त होती है।
5. घी गरम करना
एक कढ़ाही में घी गरम करें। घी इतना हो कि अरसू पूरी तरह उसमें तले जा सकें।
6. अरसू तलना
अब एक चम्मच की मदद से या हाथ से मिश्रण को छोटे-छोटे गोल आकार में डालें। आंच मध्यम रखें ताकि अरसू बाहर से कुरकुरे और अंदर से नरम बनें। इन्हें दोनों तरफ से सुनहरा होने तक तलें।
7. परोसना
तले हुए अरसू को निकालकर टिशू पेपर पर रखें ताकि अतिरिक्त घी निकल जाए। अब इन्हें गरमा गरम या ठंडा होने के बाद परोसा जा सकता है।
🧠 अरसू के स्वास्थ्य लाभ:
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ऊर्जा से भरपूर – गुड़ और चावल से तैयार, यह शरीर को ऊर्जा देता है
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रक्त शुद्धिकरण – गुड़ शरीर से विषैले तत्व निकालने में सहायक होता है
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पाचन में सहायक – सौंफ मिलाने से पाचन तंत्र को राहत मिलती है
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प्राकृतिक मिठास – इसमें कोई रासायनिक मिठास नहीं होती
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लंबे समय तक टिकने वाली मिठाई – पर्वों के दौरान कई दिन तक खाई जा सकती है
🎉 पर्वों और अवसरों पर अरसू:
अरसू खासतौर पर इन पर्वों में बनाया जाता है:
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शादी-ब्याह के अवसरों पर
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भाई दूज या रक्षाबंधन
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नववर्ष या अन्य स्थानीय त्योहारों में
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कृषि पर्व जैसे ‘हरेला’ या ‘फूलदेई’ पर
अरसू सिर्फ एक मिठाई नहीं है, यह गढ़वाली समाज की आत्मा है — सादगी में लिपटी हुई समृद्धि। यह दिखाता है कि सीमित संसाधनों से भी स्वाद और परंपरा को कैसे सहेजा जा सकता है।
चावल और गुड़ से बनने वाला यह मीठा पकवान न सिर्फ स्वाद में अव्वल है, बल्कि राजाओं के समय से लेकर आज तक एक सांस्कृतिक धरोहर के रूप में जीवित है। यदि आपने अभी तक अरसू का स्वाद नहीं चखा है, तो अगली बार जब आप किसी पर्व में कुछ खास बनाना चाहें, तो इसे जरूर आज़माएँ।
अरसू – मिठास, परंपरा और गौरव का संगम।
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