Anti-Terror Mock Drills: देश की राजधानी दिल्ली 17 और 18 जुलाई को एक बेहद अहम सुरक्षा अभ्यास का गवाह बनेगी।
दिल्ली पुलिस और कई केंद्रीय एजेंसियां दो दिनों तक आतंकवाद-रोधी मॉक ड्रिल्स (Anti-Terror Mock Drills) का आयोजन कर रही हैं, जिनका मकसद है — यह जांचना कि अगर शहर में कभी आतंकी हमला हो जाए, तो हम कितनी तेजी और तालमेल से उसका मुकाबला कर सकते हैं।
इस अभ्यास में दिल्ली के 10 से अधिक महत्वपूर्ण स्थानों को चिन्हित किया गया है जहां सुरक्षा एजेंसियां वास्तविक हालात का अभ्यास करेंगी।
क्यों हो रहे हैं ये मॉक ड्रिल्स?
भारत एक ऐसा देश है जहां आतंकवाद का खतरा कभी पूरी तरह खत्म नहीं होता।
दिल्ली जैसे शहर में जहां VIP मूवमेंट, भीड़भाड़ वाले इलाके, मेट्रो नेटवर्क और बड़ी इमारतें हैं, वहां हर समय सतर्क रहना ज़रूरी है।
इसी मकसद से दिल्ली पुलिस और अन्य सुरक्षा एजेंसियां समय-समय पर मॉक ड्रिल्स आयोजित करती हैं, ताकि संकट की घड़ी में कैसे प्रतिक्रिया देनी है, उसका रियल टाइम मूल्यांकन हो सके।
समाचार एजेंसी ANI के मुताबिक, इस अभ्यास का उद्देश्य है —
“एजेंसियों के बीच समन्वय और तैयारियों को परखना और आतंकी हालातों में त्वरित और सटीक रिस्पॉन्स सुनिश्चित करना।”
किस-किस एजेंसी की भागीदारी?
इस सुरक्षा अभ्यास में सिर्फ दिल्ली पुलिस ही नहीं, बल्कि कई केंद्रीय और स्थानीय एजेंसियां शामिल होंगी।
इनमें शामिल हैं:
- दिल्ली पुलिस और SWAT टीमें
- CISF (केंद्रीय औद्योगिक सुरक्षा बल)
- NDRF (राष्ट्रीय आपदा प्रतिक्रिया बल)
- NSG (नेशनल सिक्योरिटी गार्ड/ब्लैक कैट कमांडो)
- DMRC और दिल्ली मेट्रो रेल पुलिस
- फायर और मेडिकल सर्विस टीमें
- IB (इंटेलिजेंस ब्यूरो)
- NDMC, DCD, ट्रैफिक पुलिस और अन्य सहयोगी संस्थाएं
इन एजेंसियों का उद्देश्य है यह सुनिश्चित करना कि किसी भी बड़े हमले की स्थिति में सभी एकसाथ समन्वित और प्रभावी प्रतिक्रिया दे सकें।
आम जनता को क्या करना चाहिए?
इस अभ्यास के दौरान दिल्ली में कई जगहों पर भारी पुलिस बल और आपातकालीन वाहन दिखाई दे सकते हैं।
इसलिए लोगों से आग्रह है:
- डरने की जरूरत नहीं है – यह केवल एक अभ्यास है।
- किसी भी अफवाह या वायरल मैसेज पर भरोसा न करें।
- अगर आसपास किसी इलाके में मॉक ड्रिल हो रहा है तो सहयोग करें।
- ट्रैफिक में थोड़ी परेशानी हो सकती है, लेकिन सुरक्षा के लिए यह ज़रूरी है।
इससे पहले कहां-कहां हुए ऐसे ड्रिल्स?
यह पहला मौका नहीं है जब दिल्ली में इतना बड़ा मॉक ड्रिल किया जा रहा है।
पिछले महीने 27-28 जून की रात, राजीव चौक मेट्रो स्टेशन पर एक बड़े स्तर का रात्रिकालीन मॉक ड्रिल आयोजित किया गया था।
यह अभ्यास रात 1:05 बजे से सुबह 4:25 बजे तक चला और इसका उद्देश्य था:
- CBRN (Chemical, Biological, Radiological, and Nuclear) हमलों से निपटना
- आतंकी हमले, बंधक स्थिति, आईईडी ब्लास्ट जैसे परिदृश्यों की लाइव प्रैक्टिस
इस मॉक ड्रिल में कुल 594 अधिकारी और कर्मी शामिल हुए थे।
मॉक ड्रिल का दृश्य: जैसे असली में हमला हो
राजीव चौक के मॉक ड्रिल में जो देखा गया, वो किसी फिल्मी सीन से कम नहीं था:
- मेट्रो स्टेशन बंद कर दिया गया था
- ट्रेन रोक दी गई
- सुरक्षा बलों ने आतंकी की तलाश में घेराबंदी की
- मेडिकल टीमें तैयार थीं
- डमी बम और आतंकी किरदारों का उपयोग हुआ
- अभ्यास के बाद डी-ब्रीफिंग सेशन भी हुआ जिसमें सीनियर अधिकारियों ने रिव्यू किया
यह सब जनता की सुरक्षा के लिए किया गया था ताकि असली हालातों में कोई चूक न हो।
किसने ली अगुवाई?
इस अभ्यास का नेतृत्व किया CISF ने। DIG/DMRC जी. शिवकुमार और सीनियर कमांडेंट अशोक जलवानिया जैसे वरिष्ठ अधिकारी इसमें शामिल रहे।
उनके मार्गदर्शन में यह सुनिश्चित किया गया कि हर एजेंसी की भूमिका स्पष्ट हो और समन्वय बेहतर तरीके से हो।
क्या है CBRN खतरा?
बहुत से लोग “CBRN” शब्द से परिचित नहीं हैं।
इसका मतलब होता है:
- C – Chemical (रासायनिक हमला)
- B – Biological (जैविक हमला)
- R – Radiological (रेडियोधर्मी हमला)
- N – Nuclear (परमाणु हमला)
ये चारों ही हमले किसी देश की सुरक्षा को खतरे में डाल सकते हैं।
इसलिए सुरक्षा एजेंसियां चाहती हैं कि इन हर प्रकार के खतरों से निपटने की तैयारी पुख्ता हो।
एंटी-टेरर मॉक ड्रिल का मतलब क्या होता है?
एंटी-टेरर मॉक ड्रिल का मतलब होता है आतंकवादी हमले जैसी किसी भी आपातकालीन स्थिति से निपटने की पूर्व तैयारी का अभ्यास। इसे हिंदी में “आतंकवाद-रोधी नकली अभ्यास” कहा जा सकता है।
इस ड्रिल में सुरक्षा एजेंसियां जैसे कि पुलिस, SWAT, NSG, CISF, NDRF आदि काल्पनिक (नकली) आतंकी हमले की स्थिति तैयार करती हैं और उस पर कैसे प्रतिक्रिया देनी है, उसका लाइव अभ्यास करती हैं। इस दौरान ये देखा जाता है कि:
- हमले की स्थिति में एजेंसियां कितनी जल्दी प्रतिक्रिया देती हैं
- आपसी समन्वय कितना मजबूत है
- आम जनता की सुरक्षा कैसे सुनिश्चित की जा सकती है
- कौन सी कमियां हैं जिन्हें सुधारने की जरूरत है
आसान शब्दों में समझें तो:
जैसे स्कूल में फायर ड्रिल होती है वैसे ही एंटी-टेरर मॉक ड्रिल होती है, लेकिन इसमें आतंकवादी हमले जैसी बड़ी घटनाओं से निपटने की प्रैक्टिस की जाती है।
इसका मकसद होता है कि अगर असली में कोई हमला हो जाए, तो कोई घबराहट या देरी न हो और जान-माल की हानि रोकी जा सके।
मॉक ड्रिल्स क्यों हैं ज़रूरी?
हम अक्सर सोचते हैं कि अभ्यास की ज़रूरत क्यों है।
जवाब सीधा है — संकट का समय चेतावनी देकर नहीं आता।
- क्या होता अगर मेट्रो में ब्लास्ट हो जाए?
- क्या होगा अगर भीड़ में आतंकी गोली चलाने लगे?
- बंधक बना लिए जाएं तो पुलिस कैसे कार्रवाई करे?
इन सवालों के जवाब तब तक नहीं मिल सकते जब तक एजेंसियां रियल टाइम ड्रिल्स न करें।
आम जनता की सुरक्षा, सरकार की प्राथमिकता
भारत सरकार और दिल्ली प्रशासन की पहली प्राथमिकता है — जनता की सुरक्षा।
इसलिए मॉक ड्रिल्स के ज़रिए यह जांचा जा रहा है कि:
- क्या सिस्टम सही से काम कर रहा है?
- क्या सभी एजेंसियां एक-दूसरे से समन्वय कर पा रही हैं?
- क्या जवाब देने का समय कम हो रहा है?
हर अभ्यास के बाद समीक्षा की जाती है और जो कमियां निकलती हैं, उन्हें दूर किया जाता है।
सुरक्षित दिल्ली, सतर्क नागरिक
17 और 18 जुलाई को दिल्ली में होने वाले ये मॉक ड्रिल्स न सिर्फ सुरक्षा बलों की तैयारियों का प्रमाण हैं, बल्कि आम जनता को भी यह संदेश देते हैं कि:
“हम तैयार हैं, लेकिन आपकी जागरूकता भी उतनी ही ज़रूरी है।”
अगर आप इन तारीखों को दिल्ली में हैं और किसी अभ्यास स्थल के पास से गुजरते हैं, तो सहयोग करें।
अपने फोन में शेयर की जा रही किसी भी अफवाह पर यकीन न करें।
दिल्ली को सुरक्षित बनाए रखना सिर्फ सरकार की नहीं, हम सबकी जिम्मेदारी है।
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