Aap Jaisa Koi movie review: बॉलीवुड की नई फिल्म “Aap Jaisa Koi” एक साहसी विषय को उठाती है – महिला यौन इच्छा। इस विषय पर कम ही फिल्में बनी हैं और निर्देशक समीर सान्याल ने इसे संवेदनशीलता और आत्मनिरीक्षण के साथ पेश करने की कोशिश की है। हालांकि, कहानी के मूल उद्देश्य और प्रभाव को बहुत अधिक संवाद और थ्योरी ने धुंधला कर दिया है।

फिल्म की कहानी:
“Aap Jaisa Koi” की कहानी समीरा (फातिमा सना शेख) के इर्द-गिर्द घूमती है, जो एक शिक्षित, आत्मनिर्भर लेकिन अंदर से अधूरी महिला है। वह एक आदर्श विवाह में फंसी हुई है जिसमें भावनात्मक और शारीरिक संतुष्टि का अभाव है। एक दिन उसकी मुलाकात होती है आरव (आर. माधवन) से, जो एक मनोविश्लेषक है। आरव के साथ बातचीत और अंतरंगता समीरा को उसके अंदर छुपी इच्छाओं और ज़रूरतों से परिचित कराती है।
फिल्म में समीरा की मानसिक उलझन, समाज द्वारा लगाए गए नैतिक प्रतिबंध और एक महिला के अंदर की दबाई गई इच्छाओं को बारीकी से दिखाने की कोशिश की गई है।
अभिनय की समीक्षा:
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फातिमा सना शेख ने अपने किरदार में गहराई और आत्मसंघर्ष को बखूबी पेश किया है। उनके चेहरे की भाव-भंगिमाएं और आंखों की भाषा प्रशंसा योग्य है।
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आर. माधवन एक सधे हुए थेरेपिस्ट के रूप में सहज नजर आते हैं। वे न तो ज़्यादा हावी लगते हैं और न ही कमज़ोर – उनके किरदार का संतुलन अच्छा बना है।
लेकिन बाकी सह-कलाकारों को बहुत कम स्क्रीन टाइम दिया गया, जिससे कहानी की परतें एकतरफा रह जाती हैं।

निर्देशन और लेखन:
निर्देशक समीर सान्याल का प्रयास सराहनीय है। उन्होंने साहसिक विषय को चुना और एक महिला की कामनाओं को ‘पुरुष निगाह’ से नहीं बल्कि एक आत्मिक नजर से दिखाने की कोशिश की। लेकिन दिक्कत आती है स्क्रिप्ट में।
फिल्म में संवादों की अधिकता है। कई बार लगता है कि पात्र केवल बोलते जा रहे हैं और दर्शक के सोचने के लिए जगह ही नहीं छोड़ी गई है। “कम बोलो, ज़्यादा दिखाओ” की तकनीक को अपनाया जाता तो यह फिल्म और प्रभावशाली हो सकती थी।
सिनेमैटोग्राफी और संगीत:
फिल्म की सिनेमैटोग्राफी अच्छी है। समीरा का अकेलापन, उसकी भावनात्मक दूरी, और निजी क्षणों को कैमरे ने बारीकी से पकड़ा है।
संगीत हल्का और सौम्य है, लेकिन कोई ऐसा गाना नहीं जो बाहर निकल कर दिल में बस जाए। बैकग्राउंड स्कोर फिल्म के मूड से मेल खाता है लेकिन यादगार नहीं है।
थीम और सामाजिक संदेश:
“Aap Jaisa Koi” महिला यौनिकता और स्वतंत्रता जैसे विषयों को उठाती है – वो भी एक संवेदनशील और साहसी अंदाज में। यह फिल्म कहती है कि औरतों की इच्छाएं भी इंसानी हैं, उन्हें छिपाया नहीं जाना चाहिए।
हालांकि यह मैसेज ज़रूरी है, लेकिन फिल्म का ट्रीटमेंट इतना “थिंक-पीस” जैसा हो जाता है कि वह आम दर्शक के साथ जुड़ नहीं पाती।
कमजोरियाँ:
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बहुत अधिक बातचीत और थ्योरी – कई दृश्य TED Talk जैसे लगते हैं।
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धीमी गति – कहानी कहीं-कहीं बहुत खिंचती है।
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इमोशनल कनेक्ट की कमी – दर्शक कई बार पात्रों से जुड़ नहीं पाता।
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क्लाइमैक्स की अस्पष्टता – अंत अधूरा और खुला-खुला सा महसूस होता है।
“Aap Jaisa Koi” एक साहसिक और ज़रूरी फिल्म है जो एक महिला के अंदर छुपी इच्छाओं को अभिव्यक्त करती है। लेकिन इसकी बातचीत में डूबी हुई स्क्रिप्ट और बौद्धिकता से भरी प्रस्तुति इसे आम दर्शक के लिए थोड़ा भारी बना देती है।
अगर आप सिनेमाई अनुभव से ज्यादा मनोवैज्ञानिक गहराई की तलाश में हैं, तो यह फिल्म आपके लिए हो सकती है। लेकिन अगर आप एक बहाव वाली कहानी चाहते हैं, तो यह फिल्म आपको अधूरी लग सकती है।
⭐ स्टार रेटिंग: 2.5/5
“Aap Jaisa Koi” एक साहसी और संवेदनशील प्रयास है जो महिला इच्छाओं को मुखरता से पेश करता है। कुछ कमियों के बावजूद फिल्म सोचने पर मजबूर जरूर करती है।
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