UNSC Gaza Meeting: गाजा में जारी संघर्ष ने एक बार फिर संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (UNSC) में बड़ा भू-राजनीतिक विवाद खड़ा कर दिया है। रविवार को हुई बैठक में अमेरिका ने खुलकर इजरायल का बचाव किया और गाजा में नरसंहार के आरोपों को “झूठा” बताया। वहीं, चीन और रूस ने गाजा में बढ़ते मानवीय संकट, भुखमरी और नागरिकों पर हो रहे हमलों को लेकर गहरी चिंता व्यक्त की।
अमेरिका का रुख: सुरक्षा के नाम पर इजरायल का बचाव
अमेरिका के प्रतिनिधि ने बैठक में कहा कि “हर देश को यह अधिकार है कि वह अपनी सुरक्षा के लिए क्या सर्वोत्तम है, इसका निर्णय खुद करे”। अमेरिका ने गाजा में नरसंहार के आरोपों को खारिज करते हुए इजरायल को आत्मरक्षा का हकदार बताया।
संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में अमेरिका के पास वीटो पावर है, जिसके जरिए वह किसी भी प्रस्ताव को रोक सकता है। यह शक्ति लंबे समय से इजरायल के लिए एक ढाल की तरह काम करती रही है। इस बैठक में भी अमेरिका ने वही किया, जिससे अन्य सदस्य देशों और संयुक्त राष्ट्र अधिकारियों के बीच असंतोष बढ़ गया।
चीन-रूस का तीखा रुख
चीन ने गाजा में इजरायल की कार्रवाई को “सामूहिक सजा” बताया और कहा कि यह अंतरराष्ट्रीय कानून और मानवाधिकार मानकों के खिलाफ है। रूस ने चेतावनी दी कि गाजा में “शत्रुता में बेतहाशा वृद्धि” से हालात और बिगड़ सकते हैं।
दोनों देशों ने मांग की कि तत्काल युद्धविराम होना चाहिए और गाजा में मानवीय सहायता पहुंचाने के लिए सभी बाधाओं को हटाया जाए।
संयुक्त राष्ट्र की चेतावनी: यह अब भुखमरी है | UNSC Gaza Meeting
संयुक्त राष्ट्र मानवीय मामलों के कार्यालय (OCHA) के अधिकारी रमेश राजसिंघम ने गाजा की स्थिति को बेहद भयावह बताते हुए कहा:
“यह अब सिर्फ भुखमरी का खतरा नहीं है; यह वास्तविक भुखमरी है। हमारे पास इसे बयान करने के लिए शब्द भी नहीं बचे हैं।”
गाजा में भोजन और दवाओं की भारी कमी है। हजारों परिवार बुनियादी जरूरतों से वंचित हैं और बच्चे कुपोषण का शिकार हो रहे हैं।
संघर्ष की पृष्ठभूमि: 22 महीने से जारी युद्ध
यह संघर्ष 7 अक्टूबर 2023 को शुरू हुआ, जब हमास ने इजरायल पर हमला किया था।
- लगभग 1,200 लोग मारे गए
- 251 लोग बंधक बना लिए गए, जिनमें से 50 अब भी बंधक हैं
इसके जवाब में इजरायल ने गाजा में सैन्य अभियान शुरू किया, जो अब तक 22 महीने से जारी है।
गाजा में मौत का आंकड़ा और विनाश
गाजा के हमास-नियंत्रित स्वास्थ्य मंत्रालय का दावा है कि इजरायल के सैन्य अभियानों में अब तक 60,000 से अधिक फिलिस्तीनी मारे जा चुके हैं। इसमें बड़ी संख्या में महिलाएं और बच्चे शामिल हैं।
बमबारी से:
- रिहायशी इमारतें जमींदोज हो चुकी हैं
- अस्पताल और स्कूल भी निशाने पर आए हैं
- लाखों लोग विस्थापित हो चुके हैं
कुपोषण और बीमारी का खतरा
विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने चेतावनी दी है कि गाजा में कुपोषण की दर खतरनाक स्तर पर पहुंच चुकी है।
- स्वच्छ पानी की कमी
- स्वास्थ्य सेवाओं का अभाव
- दवाओं की आपूर्ति बाधित
इन कारणों से महामारी फैलने का खतरा बढ़ गया है।
अंतरराष्ट्रीय अलगाव का खतरा
विशेषज्ञ मानते हैं कि अगर इजरायल ने गाजा में सैन्य अभियान का विस्तार किया, तो अंतरराष्ट्रीय स्तर पर उसकी आलोचना और अलगाव बढ़ सकता है। कई पश्चिमी देश भी अब इस संघर्ष में नागरिकों की मौतों को लेकर इजरायल से सवाल पूछने लगे हैं।
बंधकों के परिवारों की चिंता
गाजा में अभी भी मौजूद बंधकों के परिवारों को डर है कि अगर सैन्य तनाव और बढ़ा, तो उनके प्रियजनों की जान खतरे में पड़ सकती है। इसी कारण हाल ही में यरुशलम में सुरक्षा कैबिनेट की बैठक स्थल के बाहर प्रदर्शन भी हुआ। परिवारों का कहना है कि सरकार को पहले बंधकों की रिहाई सुनिश्चित करनी चाहिए।
क्या है आगे का रास्ता?
संयुक्त राष्ट्र और कई देशों का मानना है कि गाजा संकट का समाधान कूटनीतिक रास्ते से ही संभव है।
- युद्धविराम
- मानवीय सहायता की निर्बाध आपूर्ति
- बंधकों की रिहाई
- दो-राज्य समाधान पर वापसी
ये कदम ही स्थायी शांति की ओर बढ़ सकते हैं, लेकिन वर्तमान में अमेरिका और इजरायल की कठोर नीति से यह मुश्किल दिख रहा है।
गाजा में हालात बेहद गंभीर हैं—हजारों लोग मारे जा चुके हैं, लाखों बेघर हैं, और लाखों बच्चे भूख और बीमारी से जूझ रहे हैं। UNSC में अमेरिका का रुख इजरायल को मजबूती देता है, लेकिन चीन और रूस जैसे देश लगातार दबाव बना रहे हैं कि युद्ध बंद हो और मानवीय सहायता शुरू की जाए।
अगर जल्द ही कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया, तो गाजा में मानवीय संकट और भी भयावह रूप ले सकता है।
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