उद्धव ठाकरे, राज ठाकरे और MNS: हाल के दिनों में महाराष्ट्र की राजनीति में एक बार फिर से उथल-पुथल मच गई है। उद्धव ठाकरे, राज ठाकरे और महाराष्ट्र नवनिर्माण उद्धव ठाकरेसेना (MNS) तीनों ही राजनीतिक चर्चा के केंद्र में हैं। जहां एक तरफ उद्धव ठाकरे के नेतृत्व में शिवसेना (उद्धव गुट) भाजपा और शिंदे गुट के खिलाफ मुखर हो रही है, वहीं दूसरी ओर राज ठाकरे की मनसे भी हिंदुत्व और मराठी अस्मिता के मुद्दों पर आक्रामक रूप से सक्रिय नजर आ रही है।
इस ब्लॉग में हम विस्तार से जानेंगे कि उद्धव ठाकरे, राज ठाकरे और मनसे (MNS) क्यों हैं इन दिनों समाचारों में, और इनकी भूमिका आगामी विधानसभा चुनावों में कितनी अहम हो सकती है।

उद्धव ठाकरे क्यों हैं चर्चा में?
उद्धव ठाकरे पिछले कुछ समय से महाराष्ट्र की राजनीति में मुख्य विपक्षी नेता के तौर पर सक्रिय हैं। 2022 में जब एकनाथ शिंदे ने बगावत कर शिवसेना को दो हिस्सों में बांट दिया, तब से उद्धव ठाकरे शिवसेना (उद्धव गुट) के प्रमुख के रूप में लगातार सरकार पर हमलावर रहे हैं।
हाल में उद्धव ठाकरे इसलिए चर्चा में हैं:
-
विपक्षी गठबंधन ‘इंडिया’ में सक्रिय भूमिका: उद्धव ठाकरे पूरे देश में भाजपा के खिलाफ विपक्षी एकता की बात कर रहे हैं।
-
शिवसेना चिन्ह और नाम का विवाद: चुनाव आयोग द्वारा शिंदे गुट को शिवसेना का नाम और चुनाव चिन्ह देने के बाद उद्धव ठाकरे ने सुप्रीम कोर्ट का रुख किया, जिससे कानूनी और राजनीतिक बहस तेज हो गई।
-
मराठी अस्मिता और स्थानीय मुद्दों पर जोर: उन्होंने हाल ही में मुंबई में एक जनसभा के दौरान मराठी मानुष के हक में सरकार पर कई सवाल खड़े किए।
राज ठाकरे क्यों हैं खबरों में?
राज ठाकरे, महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना (MNS) के प्रमुख, एक बार फिर चर्चा में हैं। कई वर्षों के बाद राज ठाकरे ने अपने भाषणों और बयानों के माध्यम से मीडिया और जनमानस का ध्यान आकर्षित किया है।
राज ठाकरे के चर्चा में होने के प्रमुख कारण:
-
अयोध्या यात्रा की घोषणा: उन्होंने हाल ही में राम मंदिर दर्शन के लिए अयोध्या जाने की बात कही, जिससे भाजपा और शिवसेना (शिंदे गुट) के बीच समीकरण प्रभावित हो सकते हैं।
-
लाउडस्पीकर मुद्दा: राज ठाकरे ने फिर से मस्जिदों में लाउडस्पीकर के उपयोग पर सवाल उठाया है, जिससे एक बार फिर धार्मिक ध्रुवीकरण की राजनीति तेज हो गई है।
-
बीजेपी के साथ नज़दीकी: कई राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि राज ठाकरे की नीतियाँ अब भाजपा की ओर झुकाव दिखा रही हैं, जिससे महाराष्ट्र में एक नया राजनीतिक समीकरण बन सकता है।
MNS (महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना) क्यों है सुर्खियों में?
MNS यानी महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना का गठन 2006 में राज ठाकरे ने किया था जब उन्होंने शिवसेना से अलग होकर अपनी पार्टी बनाई थी। कई साल तक राजनीतिक सूखे के बाद अब MNS एक बार फिर से सक्रिय दिख रही है।
मनसे के चर्चा में होने के प्रमुख कारण:
-
आक्रामक हिंदुत्व एजेंडा: राज ठाकरे ने हाल के भाषणों में स्पष्ट रूप से कहा है कि MNS अब हिंदुत्व की विचारधारा को खुले तौर पर समर्थन देगी।
-
भाषाई और क्षेत्रीय पहचान पर ज़ोर: MNS ने फिर से मराठी भाषा और मराठी युवाओं के रोजगार के मुद्दों को उठाना शुरू कर दिया है।
-
आगामी विधानसभा चुनाव की तैयारी: 2024 के लोकसभा और 2025 के विधानसभा चुनाव को देखते हुए MNS ने अपनी सांगठनिक गतिविधियाँ तेज कर दी हैं।
क्या होगा उद्धव और राज के रिश्तों का?
उद्धव ठाकरे और राज ठाकरे आपस में चचेरे भाई हैं। एक समय दोनों साथ थे, लेकिन बाल ठाकरे की मृत्यु के बाद राजनीतिक मतभेदों के कारण दोनों अलग हो गए। अब जब दोनों की पार्टियाँ विपक्ष की भूमिका में हैं, तो राजनीतिक विश्लेषक अनुमान लगा रहे हैं कि क्या ये दोनों भाई भविष्य में एकजुट हो सकते हैं।
हालांकि, अभी तक ऐसे कोई संकेत नहीं मिले हैं कि उद्धव और राज ठाकरे किसी तरह का राजनीतिक गठबंधन करने जा रहे हैं। उल्टा, दोनों का हिंदुत्व और मराठी अस्मिता पर दावा ही एक दूसरे से टकराव का कारण बन सकता है।
उद्धव ठाकरे, राज ठाकरे और मनसे इन दिनों इसलिए चर्चा में हैं क्योंकि महाराष्ट्र की राजनीति एक बार फिर नए बदलावों के दौर से गुजर रही है। जहां एक ओर उद्धव ठाकरे अपनी पार्टी और विचारधारा को बचाने के लिए संघर्षरत हैं, वहीं राज ठाकरे और MNS फिर से खुद को स्थापित करने की कोशिश कर रहे हैं।
आने वाले चुनावों में यह देखना दिलचस्प होगा कि इन दोनों नेताओं की रणनीतियाँ क्या रूप लेती हैं और महाराष्ट्र की राजनीति में क्या नया समीकरण उभरता है।
ऐसे और भी राष्ट्रीय ख़बरों से संबंधित लेखों के लिए हमारे साथ जुड़े रहें! Khabari bandhu पर पढ़ें देश-दुनिया की ताज़ा ख़बरें — बिज़नेस, एजुकेशन, मनोरंजन, धर्म, क्रिकेट, राशिफल और भी बहुत कुछ।
शहबाज बोले – भारत से करनी है बात, सिंधु जल संधि पर अमेरिका की शरण में पाकिस्तान