Udaipur Files:2025 में रिलीज़ हुई “Udaipur Files: Kanhaiya Lal Tailor Murder” एक सच्ची घटना पर आधारित विवादित क्राइम-ड्रामा फिल्म है, जो 2022 में उदयपुर में दर्ज़ी कन्हैयालाल की नृशंस हत्या की पृष्ठभूमि को बड़े पर्दे पर लाती है। विजय राज, रजनीश दुग्गल और प्रीति झांगियानी जैसे कलाकारों से सजी इस फिल्म का निर्देशन भरत एस. श्रिनाते ने किया है। रिलीज़ से पहले फिल्म कई कानूनी और सामाजिक विवादों में फंसी, जिनमें सेंसर बोर्ड के कट आदेश, अदालत की सुनवाई और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता बनाम न्यायिक निष्पक्षता पर बहस शामिल रही। यह फिल्म न सिर्फ एक कहानी, बल्कि एक सामाजिक विमर्श भी प्रस्तुत करती है।

कहानी का सार:
इस क्राइम-थ्रिलर की कहानी उस भयावह घटना पर केंद्रित है, जब कन्हैयालाल को उनके दुकान में ही मारा गया था, और यह घटना एक विवादित सोशल मीडिया पोस्ट से जुड़ी थी। फिल्म में विजय राज कन्हैयालाल की भूमिका निभाते हैं, वहीं रजनीश दुग्गल एक इंटेलिजेंस अधिकारी “इश्वर सिंह” के रूप में हैं, और प्रीति झांगियानी एक पत्रकार (और इश्वर की पत्नी) के किरदार में हैं। कथानक में इसका विश्लेषण मिलता है कि यह हत्या किसी का मौक़ाफ़ा नहीं, बल्कि गहरी साज़िश का हिस्सा थी, और इसमें धार्मिक उग्रता और चरमपंथी नेटवर्क की झलक मिलती है।
निर्माण और तकनीकी पक्ष:
फिल्म का निर्देशन किया है भरत एस. श्रिनाते और जयंत सिन्हा ने, जबकि निर्माण अमित जानी (Jani Firefox Films) ने किया है और रिलीज़िंग की ज़िम्मेदारी Reliance Entertainment ने संभाली है। इसकी लंबाई लगभग दो घंटे पांच मिनट (125 मिनट) है, और फिल्म का बजट ₹7 करोड़ अनुमानित है, जो इसे मिड-रेंज प्रोडक्शन बनाता है।
विवाद और कानूनी लड़ाई:
फिल्म की रिलीज़ को न केवल सामाजिक बल्कि कानूनी विवाद भी घेरते रहे। बॉडी (CBFC) द्वारा मंजूरी के बाद केंद्र सरकार ने फिल्म में छह बदलाव—जैसे चरित्रों के नाम में संशोधन (“नूतन शर्मा” को बदला गया) और कुछ कट हटाने—की अनुशंसा की थी। इसके बाद रिव्यू का निर्णय बदलते हुए क़ेंद्र सरकार ने अपनी कट आदेश वापस ले ली, जिससे अंतिम अधिकार वापस केंद्र पर आ गया।
राजस्थान हाई कोर्ट ने भी याचिकाकर्ता को फिल्म दिखाने का आदेश दिया, ताकि यह सुनिश्चित हो सके कि कोई आपत्तिजनक दृश्य रह न जाएं।
आख़िरकार, दिल्ली हाई कोर्ट ने वर्षा 7 अगस्त, 2025 को फिल्म की रिलीज़ पर रोक लगाने की याचिका को खारिज कर दिया। कोर्ट ने कहा कि फिल्म को प्रमाणपत्र मिल चुका है और इसमें किसी व्यक्ति का नाम सीधे तौर पर नहीं लिया गया—इसलिए यह न्याय प्रक्रिया को प्रभावित नहीं करेगी। इसी दिन सुप्रीम कोर्ट ने भी निर्देश दिए, और फिल्म को 8 अगस्त, 2025 को रिलीज़ करने की मंज़ूरी दी गई।
व्यापक विमर्श: अभिव्यक्ति बनाम न्याय
इस फ़िल्म ने दो संवैधानिक अधिकारों—अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता और न्यायिक निष्पक्षता (fair trial)—के बीच व्याप्त टकराव को उजागर किया। कोर्ट ने कहा कि फिल्म में सीधे आरोपी का नाम नहीं है, इसलिए न्याय प्रक्रिया प्रभावित नहीं होगी, और दर्शकों की एकत्रित भावनाओं को कैसे संभाला जाए—यह एक संवेदनशील मुद्दा है। कन्हैयालाल की पत्नी, जशोदा साहू, ने प्रधानमंत्री को लिखी एक भावुक चिट्ठी में कहा कि सत्य दिखाने को गलत क्यों माना जा रहा है, और उन्होंने फिल्म की रिलीज़ का अनुरोध किया—यह पीड़ित पक्ष की न्याय की मांग और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के टकराव को दर्शाता है।
“Udaipur Files” सिर्फ एक फिल्म नहीं—यह संवेदनशील सामाजिक तथ्य, न्याय, और मीडिया की भूमिका का एक प्रतिबिंब है। यह हमें बताती है कि जब सच की कहानी बड़े पर्दे पर आती है, तो केवल मनोरंजन नहीं, बल्कि संवाद, न्याय और सामाजिक प्रतिबिंब भी उत्पन्न होता है। चाहे आप इस फिल्म को न्याय की आवाज़ मानें या संवेदनशीलता की परीक्षा—यह बहस समाज में रहने लायक बनाती है।
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