मॉस्को और बीजिंग पर बम गिरा दूंगा’: Trump के धमाकेदार ऑडियो से दुनिया में हड़कंप!

अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति और 2024 में फिर से राष्ट्रपति बनने वाले Donald Trump एक बार फिर अपने विवादित बयानों को लेकर सुर्खियों में हैं। हाल ही में सामने आए ऑडियो टेप्स में उन्होंने दावा किया है कि उन्होंने रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन और चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग को सीधे तौर पर बम गिराने की धमकी दी थी।

यह ऑडियो टेप्स सीएनएन ने जारी किए हैं, जिन्हें पत्रकार जॉश डॉसी, टायलर पेजर, और आईजैक अर्न्सडॉर्फ ने हासिल किया है। इन तीनों पत्रकारों ने मिलकर एक नई किताब लिखी है — “2024: हाउ ट्रंप रिटूक द व्हाइट हाउस एंड द डेमोक्रैट्स लॉस्ट अमेरिका”। इसी किताब के रिसर्च के दौरान ये टेप्स सामने आए हैं।

क्या कहा Trump ने?

trump threatens moscow beijing audio-leak

ऑडियो में Trump यह कहते हुए सुने गए कि उन्होंने रूसी राष्ट्रपति पुतिन से साफ कहा था —
“अगर तुम यूक्रेन में घुसे, तो मैं मॉस्को पर बम गिरा दूंगा। मेरे पास कोई और विकल्प नहीं है, जनता मुझसे यही उम्मीद करती है।”

ट्रंप ने बताया कि पुतिन ने शुरुआत में इस धमकी पर विश्वास नहीं किया, लेकिन फिर उन्होंने जवाब में सिर्फ इतना कहा — “वे नहीं मानते थे, लेकिन मैंने उन्हें बताया कि ये मेरा फैसला नहीं, बल्कि ज़रूरत है।”

इसी तरह का दावा उन्होंने चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग को लेकर भी किया। Trump ने कहा:
“मैंने राष्ट्रपति शी से कहा — अगर तुम ताइवान में घुसे, तो मैं बीजिंग पर बम गिरा दूंगा। वो मुझे पागल समझने लगे।”

ट्रंप के मुताबिक, दोनों नेताओं ने उनकी धमकी पर करीब “10 प्रतिशत” विश्वास किया। उनका यह बयान आज की वैश्विक राजनीति में एक नया विवाद खड़ा कर रहा है।

धमकी का समय और संदर्भ

यह धमकी उन्होंने 2023 में चुनावी फंडरेजिंग इवेंट्स के दौरान दी थी, जब वे दोबारा राष्ट्रपति पद के लिए चुनाव लड़ने की तैयारी कर रहे थे। न्यूयॉर्क और फ्लोरिडा में हुई इन मीटिंग्स में ट्रंप ने अपने डोनर्स के सामने इन घटनाओं का खुलासा किया।

Trump ने यह भी कहा कि उन्होंने अपने राष्ट्रपति कार्यकाल के दौरान कई “कड़ी बातचीत” की थीं, लेकिन उस वक्त उन्होंने इनकी जानकारी सार्वजनिक नहीं की। अब जब वे फिर से राष्ट्रपति हैं, तो इन बयानों को साझा कर रहे हैं।

यूक्रेन-रूस युद्ध और Trump का दावा

डोनाल्ड ट्रंप ने 2023 और 2024 में कई बार यह दावा किया था कि अगर वे राष्ट्रपति होते, तो रूस-यूक्रेन युद्ध एक दिन में खत्म कर देते। हालांकि, जुलाई 2025 तक — यानी उनकी दोबारा राष्ट्रपति बनने के छह महीने बाद भी — युद्ध अब तक जारी है और उसमें कोई खास प्रगति नहीं हुई है।

हाल ही में Trump ने पुतिन से फिर बात की और कहा कि वे इस बात से “खुश नहीं हैं कि युद्ध अब तक खत्म नहीं हुआ है।”

ताइवान-चीन संकट पर Trump की चुप्पी और पलटी

जब बात ताइवान और चीन के बीच बढ़ते तनाव की आती है, तो Trump पहले यह कह चुके हैं कि वे इस मुद्दे पर कोई टिप्पणी नहीं करना चाहते क्योंकि उनकी शी जिनपिंग से “अच्छी दोस्ती” है। फरवरी 2025 में उन्होंने साफ कहा था कि वे खुद को उस स्थिति में नहीं देखना चाहते जहाँ उन्हें ताइवान या चीन में से किसी एक को चुनना पड़े।

लेकिन मई 2025 में उन्होंने बयान दिया कि अगर चीन ताइवान पर हमला करता है तो यह एक “विनाशकारी” स्थिति होगी। ट्रंप के बयानों में यह बदलाव उनकी कूटनीतिक स्थिति और रणनीतिक सोच को दर्शाता है।

व्हाइट हाउस की आधिकारिक प्रतिक्रिया

व्हाइट हाउस की प्रेस सेक्रेटरी कैरोलीन लेविट ने कहा है कि अमेरिका का रुख स्पष्ट है — “ताइवान स्ट्रेट की यथास्थिति को बल प्रयोग या दबाव से बदलने की किसी भी एकतरफा कोशिश का अमेरिका पूरी तरह विरोध करता है।”

यह रुख अमेरिका की पारंपरिक नीति के अनुरूप है, लेकिन Trump की व्यक्तिगत धमकियाँ इस नीति के भीतर नहीं आतीं और कई बार अमेरिकी विदेश नीति को अस्थिर कर सकती हैं।

छात्रों को देश से निकालने की धमकी

Trump के बयान सिर्फ अंतरराष्ट्रीय नेताओं तक सीमित नहीं रहे। उन्होंने अमेरिका में हो रहे छात्र प्रदर्शनों पर भी विवादास्पद टिप्पणी की। उन्होंने कहा —
“कोई भी छात्र जो विरोध करता है, मैं उन्हें देश से बाहर फेंक दूंगा। उन्होंने बहुत बड़ी गलती की है। उन्हें निकालो, और प्रदर्शन अपने आप रुक जाएंगे।”

यह बयान अमेरिका के लोकतांत्रिक मूल्यों के खिलाफ माना जा रहा है, जहाँ अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता को संविधान में संरक्षित किया गया है।

Trump की शैली: आक्रामक लेकिन प्रभावशाली?

डोनाल्ड ट्रंप हमेशा से ही अपने स्पष्ट और बेबाक अंदाज़ के लिए जाने जाते रहे हैं। वे हमेशा ऐसे बयान देते हैं जो या तो चर्चा का विषय बन जाते हैं या फिर विवादों में घिर जाते हैं।

कुछ लोग उन्हें “सीधा बोलने वाला नेता” मानते हैं, जबकि कई उन्हें “राजनयिक मर्यादा तोड़ने वाला” कहते हैं। लेकिन इसमें कोई शक नहीं कि उनके बयानों का असर दुनिया भर में महसूस किया जाता है।

क्या यह रणनीति है या सनक?

यह एक बड़ा सवाल है कि Trump का ऐसा व्यवहार रणनीति के तहत है या फिर यह सिर्फ एक पब्लिसिटी स्टंट है। क्या वे सचमुच युद्ध की धमकी देकर शांति लाना चाहते हैं या फिर वे केवल अपने डोनर्स और समर्थकों को प्रभावित करना चाहते हैं?

कुछ विशेषज्ञों का मानना है कि ट्रंप का यह अंदाज़ “मैडमैन थ्योरी” से मिलता है — यानी दुश्मन को डराने के लिए खुद को पागल और अप्रत्याशित साबित करना।

दुनिया की प्रतिक्रिया

रूस और चीन की तरफ से इस पर अभी तक कोई आधिकारिक प्रतिक्रिया नहीं आई है, लेकिन विश्लेषकों का मानना है कि अगर ये धमकियाँ सच में दी गई थीं, तो यह अंतरराष्ट्रीय कूटनीति के लिए खतरे की घंटी है।

ऐसे बयान दोनों देशों के साथ तनाव को और बढ़ा सकते हैं और इससे वैश्विक शांति को भी नुकसान पहुँच सकता है।

निष्कर्ष: ट्रंप का ट्रम्प कार्ड?

Trump के लिए ऐसे बयानों का उद्देश्य क्या है, यह तो वही बेहतर जानते हैं। लेकिन स्पष्ट है कि वे खुद को एक ताकतवर, निर्णायक और डराने वाले नेता के रूप में पेश करना चाहते हैं। चाहे वो पुतिन हों, शी जिनपिंग हों या अमेरिका के छात्र — ट्रंप का संदेश साफ है: “मेरे रास्ते में मत आओ।”

हालांकि, इस आक्रामकता की कीमत क्या होगी — वह आने वाले समय में ही पता चलेगा।

ऐसे और भी Global लेखों के लिए हमारे साथ जुड़े रहें! Khabari bandhu पर पढ़ें देश-दुनिया की ताज़ा ख़बरें — बिज़नेस, एजुकेशन, मनोरंजन, धर्म, क्रिकेट, राशिफल और भी बहुत कुछ।

21 साल बाद Goldman Sachs में ऋषि सुनक की धमाकेदार वापसी: पूर्व ब्रिटिश प्रधानमंत्री अब देंगे ग्लोबल क्लाइंट्स को सलाह!

गुजरात में टूटा 40 साल पुराना गम्भीरा ब्रिज: कई गाड़ियाँ नदी में समाईं – चश्मदीद बोले ‘जैसे भूकंप आ गया’

Leave a Comment