Russia Ukraine War: रूस-यूक्रेन युद्ध में भारत पर मंडराया अमेरिकी संकट, ट्रंप की डेडलाइन बनी चेतावनी – जानिए कैसे पड़ेगा असर

Russia Ukraine War: रूस और यूक्रेन के बीच चल रहे युद्ध में भारत अब तक तटस्थ बना रहा है। लेकिन अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति और फिर से राष्ट्रपति पद के उम्मीदवार डोनाल्ड ट्रंप ने इस मुद्दे को एक बार फिर नया मोड़ दे दिया है।
उन्होंने रूस को 10 से 12 दिनों के भीतर युद्ध रोकने का अल्टीमेटम दिया है, और अगर ऐसा नहीं हुआ तो सिर्फ रूस ही नहीं, बल्कि रूस से व्यापार करने वाले देशों, जैसे भारत और चीन को भी 100% टैरिफ का सामना करना पड़ सकता है।

यह चेतावनी सीधे-सीधे भारत की अर्थव्यवस्था को झटका दे सकती है। आइए विस्तार से समझते हैं कि ट्रंप क्या कह रहे हैं और भारत पर इसका क्या असर पड़ सकता है।


Russia Ukraine War

डोनाल्ड ट्रंप का अल्टीमेटम: 10-12 दिन की आखिरी मोहलत

डोनाल्ड ट्रंप ने कहा है कि उन्होंने पहले ही पुतिन को 50 दिन का समय दिया था युद्ध समाप्त करने के लिए, लेकिन कोई प्रगति नहीं हुई।
अब उन्होंने उस समय सीमा को घटाकर 10-12 दिन कर दिया है। उन्होंने यह बयान ब्रिटेन के प्रधानमंत्री कीर स्टार्मर से स्कॉटलैंड में मुलाकात के दौरान दिया।

ट्रंप ने स्पष्ट शब्दों में कहा –

“मैं पुतिन से बहुत निराश हूं। अब और इंतज़ार नहीं होगा। अगर रूस 10-12 दिन में युद्ध नहीं रोकता, तो उसे और उसके सहयोगियों को भारी कीमत चुकानी पड़ेगी।”

यह “सहयोगी” कौन हैं? वो देश जो रूस से तेल या गैस जैसी ऊर्जा जरूरतें पूरी कर रहे हैं, जिसमें भारत सबसे ऊपर आता है।

रूस की चेतावनी: अमेरिका को भी भुगतना होगा अंजाम

ट्रंप के इस बयान पर रूस की तरफ से सीधी प्रतिक्रिया तो नहीं आई है, लेकिन पूर्व रूसी राष्ट्रपति दमित्री मेदवेदेव ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X (पहले ट्विटर) पर लिखा कि –

“यह अल्टीमेटम गेम खतरनाक है और इससे रूस-यूक्रेन नहीं बल्कि रूस-अमेरिका के बीच युद्ध की स्थिति बन सकती है।”

उन्होंने अमेरिका को चेताया कि ऐसे बयानों से हालात और बिगड़ेंगे, और बातचीत की कोई गुंजाइश नहीं बचेगी।

भारत क्यों है निशाने पर?

भारत 2025 में अपनी 40% तेल की ज़रूरतें रूस से पूरी कर रहा है
जब पश्चिमी देशों ने रूस से तेल खरीदना बंद कर दिया था, तब भारत ने रियायती दरों पर रूसी तेल खरीदना जारी रखा।
जनवरी से जून 2025 के बीच भारत ने 17.5 लाख बैरल प्रति दिन रूसी तेल खरीदा, जो पिछले साल की तुलना में भी अधिक है।

यह बात अमेरिका और यूरोपीय देशों को खटक रही है, और ट्रंप इसे रूस की कमर तोड़ने में एक रुकावट मानते हैं। इसलिए अब भारत पर प्रतिबंधों की गाज गिर सकती है।

अगर भारत पर लगा 100% टैरिफ, तो क्या होगा असर?

अगर अमेरिका अपने अल्टीमेटम को लागू करता है और भारत पर 100 फीसदी टैरिफ लगाता है, तो उसके गंभीर आर्थिक असर होंगे:

  • तेल की कीमतें आसमान पर: पेट्रोल और डीजल की कीमतें ₹8 से ₹12 प्रति लीटर तक बढ़ सकती हैं।

  • महंगाई का तूफान: परिवहन, खाद्य वस्तुएं और रोजमर्रा के सामान महंगे हो जाएंगे।

  • निर्यात पर संकट: भारत अमेरिका को हर साल करीब $74 अरब का निर्यात करता है। फार्मा, आईटी, ऑटो पार्ट्स और कपड़ा जैसे सेक्टर बुरी तरह प्रभावित होंगे।

  • नौकरियों पर असर: इन सेक्टर्स में काम करने वाले लाखों लोगों की नौकरियां खतरे में पड़ सकती हैं।

  • वैश्विक महंगाई: अगर तेल की कीमतें $120 प्रति बैरल के पार जाती हैं, तो पूरी दुनिया में महंगाई और मंदी की आशंका है।

यह सिर्फ भारत ही नहीं, अमेरिका के उपभोक्ताओं को भी प्रभावित करेगा और ट्रंप की नीति पर उनके देश में भी सवाल उठ सकते हैं।

भारत-अमेरिका और रूस के साथ संबंधों पर क्या पड़ेगा प्रभाव?

भारत और अमेरिका 2030 तक $500 अरब व्यापार का लक्ष्य लेकर चल रहे हैं। साथ ही एक मुक्त व्यापार समझौता (FTA) भी प्रस्तावित है।
अगर अमेरिका ने टैरिफ लगाया, तो यह समझौता रुक सकता है और द्विपक्षीय रिश्तों में तनाव बढ़ सकता है।

वहीं भारत का रूस के साथ पारंपरिक रक्षा और ऊर्जा संबंध हैं।
भारत अब तक रूस से दूरी नहीं बनाना चाहता, क्योंकि यह ऊर्जा सुरक्षा से जुड़ा मुद्दा है।
लेकिन अमेरिकी दबाव के चलते भारत को अपनी रणनीति बदलनी पड़ सकती है।

क्या भारत BRICS और वैकल्पिक सिस्टम की ओर बढ़ेगा?

अगर अमेरिका भारत पर दबाव बनाए रखता है, तो भारत BRICS जैसे नए गठबंधन की ओर झुक सकता है।
साथ ही, अमेरिकी जीपीएस सिस्टम की जगह वह दूसरे विकल्पों की तरफ देख सकता है, जैसे रूस का GLONASS या यूरोप का Galileo।

यह एक नई भू-राजनीतिक दिशा की शुरुआत हो सकती है, जिसमें भारत जैसे देश स्वतंत्र रणनीति अपनाएं।

भारत को चुनना होगा रास्ता

डोनाल्ड ट्रंप की नई डेडलाइन सिर्फ रूस के लिए नहीं, भारत जैसे देशों के लिए भी एक चुनौतीपूर्ण मोड़ है।
क्या भारत अमेरिका के दबाव में रूस से दूरी बनाएगा, या अपनी ऊर्जा सुरक्षा को प्राथमिकता देगा?

आने वाले 10-12 दिन भारत की विदेश नीति, अर्थव्यवस्था और वैश्विक स्थिति के लिए बेहद निर्णायक हो सकते हैं।

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