Shubhanshu Shukla Homecoming Photos: भारत के लिए यह एक गौरवपूर्ण और भावनात्मक क्षण था, जब भारतीय अंतरिक्ष यात्री ग्रुप कैप्टन शुभांशु शुक्ला अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन (ISS) से सफलतापूर्वक लौटे और अपने परिवार से मिले।
अंतरिक्ष में 18 दिन बिताने के बाद, शुक्ला जब धरती पर लौटे तो उनकी पत्नी कामना और चार साल के बेटे ने अमेरिका के ह्यूस्टन में उन्हें गले लगाकर भावुक स्वागत किया। यह मिलन इतना खास था कि इसकी तस्वीरें अब पूरे देश में वायरल हो चुकी हैं।
ह्यूस्टन में हुआ परिवार से पहला मिलन
शुक्ला की वापसी के बाद उन्हें ह्यूस्टन के एक विशेष सुविधा केंद्र में लाया गया, जहाँ उनकी प्रारंभिक मेडिकल जांच की गई। जांच के बाद उन्हें परिवार से मिलने की अनुमति मिली।
जब वह अपने बेटे और पत्नी से मिले, तो एक भावुक नज़ारा देखने को मिला।
पत्नी कामना ने उन्हें गले लगाते हुए आंसुओं से भीगकर स्वागत किया, जबकि उनका बेटा उनके पैरों से लिपट गया।
यह पल सिर्फ एक परिवार का नहीं था, पूरे देश का गर्व और भावना का प्रतीक बन गया।
दो महीने बाद हुआ यह भावुक मिलन
Shubhanshu Shukla अपने परिवार से लगभग दो महीने से नहीं मिले थे। स्पेस मिशन से पहले उन्होंने 15 दिन की क्वारंटीन प्रक्रिया शुरू की थी, जो लगातार बढ़ती गई। कुल मिलाकर, लॉन्च से पहले और मिशन के दौरान, वह अपने परिवार से पूरी तरह कटे रहे। इस लंबे इंतज़ार के बाद जब वह धरती पर लौटे और अपने परिजनों से गले मिले, तो हर किसी की आंखें नम हो गईं।
अंतरिक्ष में ऐतिहासिक उपलब्धि
शुभांशु शुक्ला अब भारत के पहले नागरिक बन गए हैं जिन्होंने अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन (ISS) की यात्रा की है।
वह भारत के दूसरे अंतरिक्ष यात्री हैं — राकेश शर्मा के बाद, जिन्होंने 1984 में सोवियत मिशन के तहत अंतरिक्ष की यात्रा की थी। शुक्ला का यह सफर न केवल व्यक्तिगत उपलब्धि है, बल्कि यह भारत की अंतरिक्ष विज्ञान की दिशा में एक बड़ा कदम भी है।
स्पेसएक्स ड्रैगन के जरिए सुरक्षित वापसी
Shubhanshu Shukla की वापसी स्पेसएक्स की ड्रैगन स्पेसक्राफ्ट के जरिए हुई, जो उन्होंने सोमवार दोपहर (भारत समयानुसार) ISS से अलग होकर शुरू की थी।
करीब 22 घंटे की यात्रा के बाद, उनका स्पेसक्राफ्ट प्रशांत महासागर में सफलतापूर्वक स्प्लैशडाउन हुआ। इसके तुरंत बाद, उन्हें अमेरिका लाया गया जहाँ मेडिकल जांच और डिब्रीफिंग के बाद परिवार से मिलने की अनुमति दी गई।
अंतरिक्ष में विज्ञान की नई परिभाषा लिखी
Shubhanshu Shukla का यह मिशन सिर्फ एक यात्रा नहीं था, उन्होंने अंतरराष्ट्रीय वैज्ञानिक प्रयोगों में भी अहम भूमिका निभाई। उनकी रिसर्च ने जीवन और विज्ञान को लेकर कई नए द्वार खोले।
उनके द्वारा किए गए प्रमुख कार्यों में शामिल है:
- Sprouts Project – यह प्रयोग माइक्रोग्रैविटी यानी बिना गुरुत्वाकर्षण के माहौल में पौधों की वृद्धि को लेकर था।
इसका मकसद अंतरिक्ष में सस्टेनेबल खेती की संभावना को तलाशना था।
यह प्रयोग भविष्य में लंबे अंतरिक्ष मिशनों में भोजन उगाने के तरीकों को बदल सकता है।
इसके अलावा उन्होंने बायोलॉजी, मैटेरियल साइंस, आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस जैसे क्षेत्रों में चल रहे कई अंतरराष्ट्रीय सहयोग वाले प्रयोगों में भाग लिया।
‘शक्स’ — स्पेस में मिला नया नाम
अंतरिक्ष में उनके साथ रहे अन्य अंतरिक्ष यात्रियों ने उन्हें प्यार से एक नाम दिया — ‘Shux’ (शक्स)। यह नाम उनकी सहजता, लीडरशिप और सेंस ऑफ ह्यूमर को दर्शाता है। शुक्ला की यह पहचान अंतरिक्ष की सीमाओं को पार करते हुए, एक अंतरराष्ट्रीय सहयोग का प्रतीक बन चुकी है।
देश में जश्न का माहौल
Shubhanshu Shukla की वापसी पर पूरा भारत गर्व से झूम उठा। सोशल मीडिया पर उनकी वापसी की तस्वीरें और वीडियो वायरल हो रहे हैं।
लोगों ने उन्हें ‘भारत के रियल हीरो’, ‘आधुनिक कल्पना चावला’, और ‘गर्व के प्रतीक’ जैसे शब्दों से नवाजा। देश के बड़े नेताओं, वैज्ञानिकों और आम लोगों ने इस मिशन को भारत की नई अंतरिक्ष शक्ति का प्रमाण माना।
ISRO और Gaganyaan के लिए संकेत
हालांकि शुक्ला का यह मिशन सीधे तौर पर ISRO द्वारा संचालित नहीं था, लेकिन यह Gaganyaan जैसी भविष्य की परियोजनाओं के लिए प्रेरणा है।
यह दिखाता है कि भारत अब स्पेस स्टेशन मिशनों में भी भागीदारी निभा सकता है, और अपने वैज्ञानिकों को वैश्विक प्लेटफॉर्म पर आगे ला सकता है।
एक पिता की भावनाएं
जब Shubhanshu Shukla ने अपने चार साल के बेटे को गोद में उठाया, तो कैमरों ने उस पल को हमेशा के लिए कैद कर लिया। यह सिर्फ एक पिता का अपने बच्चे से मिलने का पल नहीं था, यह दुनिया की सबसे कठिन यात्रा से लौटे एक विजेता की अपने जीवन के सबसे प्यारे रिश्ते से मुलाकात थी।
उनके बेटे के लिए यह सिर्फ पापा की वापसी नहीं थी, बल्कि एक नायक की वापसी थी।
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आने वाले कदम
शुक्ला अब कुछ हफ्तों के लिए रिकवरी और डिब्रीफिंग प्रक्रिया से गुजरेंगे। इसके बाद वह मीडिया, वैज्ञानिक संस्थानों और छात्रों के साथ अपने अनुभव साझा करेंगे।
उनकी यात्रा नई पीढ़ी के लिए प्रेरणा बन चुकी है। बहुत से युवा अब अंतरिक्ष वैज्ञानिक बनने का सपना देख रहे हैं — क्योंकि अब वे देख सकते हैं कि वह सपना किसी और का नहीं, अपने देश के एक बेटे का भी सच हो चुका है।
आसमान नहीं, अब अंतरिक्ष भी हमारा है
शुभांशु शुक्ला की यह यात्रा भारत के अंतरिक्ष इतिहास में एक नया अध्याय जोड़ती है। उनकी वापसी और परिवार से मिलन का वह पल केवल भावनात्मक नहीं, बल्कि राष्ट्रीय गौरव का प्रतीक बन गया है। यह सिर्फ एक आदमी की अंतरिक्ष यात्रा नहीं थी, यह भारत के आत्मविश्वास की उड़ान थी। और जब वह अपने बेटे को गले लगा रहे थे, उस समय पूरा देश उन्हें अपने दिल से गले लगा रहा था।
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