श्रावण सोमवार 2025: सोमनाथ मंदिर में “हर-हर महादेव” की गूंज, पहले सोमवार को उमड़ा भक्तों का जनसैलाब

श्रावण मास, भगवान शिव को समर्पित वह पवित्र महीना है जब हर मंदिर “हर-हर महादेव” और “बम-बम भोले” के जयघोष से गूंज उठता है। जैसे ही श्रावण का आगमन होता है, वैसे ही शिवालयों में भक्ति का सागर उमड़ पड़ता है। इसी क्रम में, भारत के 12 ज्योतिर्लिंगों में प्रथम माने जाने वाले सोमनाथ मंदिर में इस बार श्रावण मास 2025 के पहले सोमवार को भक्तों का अपार उत्साह देखने को मिला।

सूर्य निकलने से पहले ही हजारों श्रद्धालु मंदिर की ओर उमड़ पड़े। कोई पैदल आया, कोई दूर-दराज़ से यात्रा कर, तो कोई कांवड़ लेकर भगवान भोलेनाथ के दर्शन हेतु सोमनाथ नगरी पहुंचा।

सोमनाथ महादेव मंदिर में श्रावण मास का विशेष महत्व

सोमनाथ मंदिर, गुजरात के सौराष्ट्र के समुद्री किनारे पर स्थित है और यह भगवान शिव के सबसे प्राचीन ज्योतिर्लिंगों में से एक माना जाता है। यह मंदिर न सिर्फ भारत में बल्कि दुनियाभर के श्रद्धालुओं की आस्था का केंद्र है।

श्रावण मास में भगवान शिव की पूजा विशेष फलदायी मानी जाती है। मान्यता है कि इस पावन महीने में अगर किसी भी ज्योतिर्लिंग के दर्शन किए जाएं, तो वह अनेक जन्मों के पापों का नाश कर देता है और मोक्ष की प्राप्ति होती है।

पहले सोमवार की सुबह से ही लगी लंबी कतारें

25 जुलाई 2025, शुक्रवार से 30 दिवसीय शिवोत्सव महोत्सव की शुरुआत हुई और ठीक उसके अगले सोमवार यानी 28 जुलाई 2025, को पहले श्रावण सोमवार पर मंदिर के बाहर अलसुबह 4 बजे से ही श्रद्धालुओं की कतारें लगनी शुरू हो गई थीं।

लोग हाथों में गंगा जल, बेलपत्र और धतूरा लिए भक्ति में लीन होकर “बोल बम” के जयघोष के साथ मंदिर में प्रवेश कर रहे थे। मंदिर प्रांगण में एक दिव्य ऊर्जा और सकारात्मकता का माहौल था।

श्रावण मास में शिवभक्तों के लिए विशेष आयोजन

सोमनाथ मंदिर

श्रावण मास के दौरान सोमनाथ मंदिर में सिर्फ पूजा-पाठ ही नहीं बल्कि भजन, भक्ति और भंडारे का भी विशेष आयोजन किया गया है।

25 जुलाई से शुरू होकर 21 अगस्त 2025 (श्रावण वद अमावस्या) तक चलने वाले इस महोत्सव में हर दिन:

  • प्रातःकालीन रुद्राभिषेक
  • सायंकालीन आरती
  • भजन संध्या
  • संतों के प्रवचन
  • विशाल भंडारे

जैसे धार्मिक कार्यक्रम आयोजित किए जाएंगे।

सोमनाथ ट्रस्ट ने भक्तों के लिए आवास, भोजन और चिकित्सा सुविधाओं की विशेष व्यवस्था की है ताकि कोई भी भक्त असुविधा का अनुभव न करे।

हरिद्वार से कांवड़ लेकर पहुंचे शिवभक्त

श्रावण मास का एक और विशेष पहलू है कांवड़ यात्रा। इस बार भी बड़ी संख्या में शिवभक्त हरिद्वार से गंगाजल लेकर कांवड़ यात्रा करते हुए सोमनाथ पहुंचे।

इन भक्तों की आस्था देख कर कहा जा सकता है कि भक्ति की शक्ति पर्वतों को भी हिला सकती है। भक्तजनों ने मंदिर में भगवान शिव का जलाभिषेक कर आशीर्वाद प्राप्त किया।

विदेशी श्रद्धालुओं की भी बढ़ी भागीदारी

हर साल की तरह इस बार भी देश-विदेश से श्रद्धालु सोमनाथ पहुंचे। अमेरिका, कनाडा, इंग्लैंड, ऑस्ट्रेलिया जैसे देशों से भी भक्तों की उपस्थिति इस बात का प्रमाण है कि भारत की आध्यात्मिक संस्कृति सिर्फ सीमाओं तक सीमित नहीं है, बल्कि यह वैश्विक मंच पर अपनी छाप छोड़ चुकी है।

मंदिर में गूंजे भक्ति गीत और शिव महिमा के भजन

श्रावण सोमवार के अवसर पर शिव महिमा के भजनों से सोमनाथ मंदिर प्रांगण भक्तिरस में डूबा रहा। “ओम नम: शिवाय”, “भोले नाथ से निराला कोई नहीं”, “शिव तांडव स्तोत्र” जैसे गीतों से माहौल भक्तिमय हो उठा।

भक्तों की आंखों में आस्था और होठों पर शिव नाम की गूंज थी। इस भव्य आयोजन में स्थानीय संगीत मंडलियों और धार्मिक संस्थाओं ने भी सक्रिय भागीदारी निभाई।

सुरक्षा और सुविधा – प्रशासन रहा सतर्क

भक्तों की भारी भीड़ को देखते हुए स्थानीय प्रशासन और पुलिस विभाग ने विशेष सुरक्षा इंतज़ाम किए थे। CCTV कैमरों से निगरानी, ट्रैफिक नियंत्रण, मेडिकल टीम और आपातकालीन सेवाएं भी सक्रिय रहीं।

सोमनाथ ट्रस्ट की ओर से फ्री लंगर, पानी वितरण केंद्र और मेडिकल हेल्प डेस्क भी लगाए गए थे।

श्रावण मास में क्यों करते हैं शिवलिंग पर जलाभिषेक?

शास्त्रों के अनुसार, श्रावण मास भगवान शिव को अत्यंत प्रिय होता है। इस महीने में शिवलिंग पर जल चढ़ाना, बिल्वपत्र अर्पित करना और ऊँ नमः शिवाय का जाप करने से:

  • मानसिक शांति मिलती है
  • कष्टों से मुक्ति मिलती है
  • पुण्य की प्राप्ति होती है
  • और भगवान शिव विशेष कृपा करते हैं

कहा जाता है कि इस महीने में भोलेनाथ अपने भक्तों की हर पुकार सुनते हैं और उनके कष्ट हरते हैं।

शिवोत्सव की पूर्णाहुति – 21 अगस्त 2025

30 दिनों तक चलने वाले इस भव्य शिवोत्सव महोत्सव की पूर्णाहुति 21 अगस्त 2025 (श्रावण वद अमावस्या) को की जाएगी।

इस दिन विशाल हवन, यज्ञ और महाप्रसादी का आयोजन होगा। हजारों भक्त अंतिम दिन भी मंदिर में शामिल होकर पुण्य अर्जित करेंगे और भगवान शिव का धन्यवाद करेंगे।

श्रद्धा, संस्कृति और शिवभक्ति का संगम

सोमनाथ मंदिर का यह श्रावण सोमवार 2025, न सिर्फ धार्मिक दृष्टिकोण से बल्कि सांस्कृतिक और सामाजिक दृष्टिकोण से भी अत्यंत महत्वपूर्ण रहा।

हर साल की तरह इस बार भी सोमनाथ धाम एक बार फिर यह साबित कर गया कि श्रद्धा की शक्ति हर बाधा को पार कर सकती है।

श्रावण का यह महीना सिर्फ पूजा-पाठ का समय नहीं, बल्कि आत्मचिंतन, साधना और शिवभक्ति का अनमोल अवसर है।

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