शिबु सोरेन का निधन: झारखंड के ‘दिशोम गुरु’ की विरासत और योगदान

शिबु सोरेन का निधन: पूर्व मुख्यमंत्री व झारखंड मुक्त मोर्चा (JMM) के संस्थापक ‘दिशोम गुरु’ शिबु सोरेन का 4 अगस्त 2025 को दिल्ली के सर गंगा राम अस्पताल में निधन हो गया। वे 81 वर्ष के थे और लंबे समय से किडनी संबंधित गंभीर बीमारी से जूझ रहे थे।

शिबु सोरेन का निधन
              

निधन के हालात:

शिबु सोरेन का इलाज जून 2025 की मध्य से शुरू हो गया था; वे 19 जून से अस्पताल में भर्ती थे और लगभग एक महीना वेंटिलेटर समर्थन पर रहे थे। अस्पताल ने बताया कि बहु-विषयक टीम की भरसक कोशिशों के बावजूद उन्होंने सुबह 8:56 बजे अंतिम सांस ली

क्यों चर्चा में हैं शिबु सोरेन का निधन?

  1. ** जातीय और क्षेत्रीय आंदोलन के प्रतीक:** शिबु सोरेन ने 1972 में हिमांशु आक्रोश और बिनोद बिहारी महतो की साझेदारी में झारखंड मुक्त मोर्चा की स्थापना की, जो अंततः झारखंड राज्य (15 नवंबर 2000) के गठन का आधार बना

  2. ** राजनीतिक यात्रा और योगदान:**

    • लोकसभा के लिए आठ बार चुने गए और दो बार राज्यसभा में प्रतिनिधित्व किया।

    • तीन बार झारखंड के मुख्यमंत्री रहे, हालांकि प्रत्येक कार्यकाल कोलिशन राजनीति के चलते अल्पकालिक रहा (जैसे मार्च 2005 में केवल 10 दिन)

  3. ** केंद्रीय मंत्री व कानूनी विवाद:**

    • 2004‑06 में उन्होंने कोयला मंत्री के रूप में केंद्रीय सरकार में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।

    • उन्हें 1975 के चिरुदीह मामले व उनके पूर्व सचिव शशिनाथ झा की हत्या के आरोपों में गिरफ्तार भी होना पड़ा, पर बाद में अदालतों ने बरी कर दिया (शीर्ष अदालत द्वारा 2018 में उन्हें दोषमुक्त किया गया)

  4. ** सामाजिक न्याय में अग्रणी ऐसी पहचान:**

    • प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने उन्हें “ग्राउंड‑लग नेता” बताया और आदिवासी समुदाय व वंचित वर्गों की राजनीति में उनकी गहरी प्रतिबद्धता की सराहना की

    • राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने कहा कि उनके निधन से सामाजिक न्याय की दिशा में एक बड़ा नुकसान हुआ है; आदिवासी पहचान और झारखंड के निर्माण में उनका योगदान अमूल्य था

  5. ** पारिवारिक दर्द:**

    • उनके पुत्र और झारखंड CM हेमंत सोरेन ने सोशल मीडिया पर लिखा, “मैं आज शून्य हो गया हूँ” — यह भावुक और व्यक्तिगत श्रद्धांजली दर्शाता है

शिबु सोरेन का निधन
            शिबु सोरेन का निधन

शोक और राजनैतिक प्रतिक्रिया:

  • झारखंड सरकार ने उन्हें श्रद्धांजलि स्वरूप 3‑दिन की राजकीय शोक अवधि घोषित की; स्कूल, ऑफिस बंद रहे और सभी स्थानों पर तिरंगा अर्ध‑झुका रखा गया

  • नेता‑मंडल की प्रतिक्रियाएँ: बीजू जनता दल (Nitish Kumar), RJD (लालू प्रसाद), कांग्रेस (राहुल गांधी, खड़गे आदि), INDIA गठबंधन नेताओं ने उनकी विरासत को याद किया और शोक व्यक्त किया है

विचार: उनका प्रभाव

  • झारखंड के निर्माण के लिए समर्पित संघर्ष: शिबु सोरेन आदिवासी अधिकारों और क्षेत्रीय आत्म‑निर्णय की लड़ाई को जन आंदोलन में बदलने में सफल रहे। राज्य निर्माण आंदोलन में उनका योगदान अत्यंत महत्वपूर्ण था।

  • राजनीतिक परिवार और नेतृत्व का हस्तांतरण: जदएम से स्थापित परिवार को अब हेमंत सोरेन संभाल रहे हैं, जो उनके प्रभाव को आगे ले जा रहे हैं। शिबु सोरेन अप्रैल 2025 में पार्टी के ‘फाउंडिंग पैट्रॉन’ बनाए गए, जबकि हेमंत जदएम के अध्यक्ष बने

भविष्य की पहेली:

  • आदिवासी राजनीति में उनका निधन एक विराम है, लेकिन उनके विचारों व आंदोलन की विरासत अब नए नेताओं द्वारा आगे ले जानी है।

  • राज्य में राजनीतिक संतुलन और JMM की रोल अभी पुनः देखने लायक हैं। क्या हेमंत सोरेन उसी धार पर नेतृत्व को आगे बढ़ा पाएंगे? इस पहलु पर भविष्य में चर्चा होगी।

शिबु सोरेन हमारे देश में आदिवासी अधिकार, झारखंड राज्य निर्माण व सामाजिक न्याय की लड़ाई का बड़ा नाम थे। 4 अगस्त 2025 को 81 वर्ष की आयु में उनका निधन एक युग का अंत है। उन्हें श्रद्धांजलि देने के कारण से वे समाचारों की सुर्खियों में हैं — उनकी राजनीतिक, सामाजिक और पारिवारिक विरासत व प्रभाव की वजह से।

उम्मीद है यह ब्लॉग आपको हिंदी में विस्तारपूर्वक वर्तमान स्थिति व उनके महत्व को समझने में मददगार साबित हुआ है।

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