पहलागाम हमले के बाद, पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ ने भारत के साथ वार्ता की इच्छा अमेरिका के समक्ष पुनः व्यक्त की है। शरीफ ने व्हाइट हाउस की टीवी चैनल PTV के अनुसार कहा कि वह जम्मू‑कश्मीर, सिंधु जल संधि, व्यापार, और आतंकवाद जैसे ‘लंबित’ मुद्दों को बातचीत से हल करवाना चाहते हैं।
शहबाज ने अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प और विदेश मंत्री मार्को रूबियो की कूटनीतिक पहल की सराहना की और कहा कि ट्रम्प के सकारात्मक बयान और अमेरिका की मध्यस्थता दक्षिण एशिया में स्थायी शांति की नींव हो सकती है ।
पहलगाम हमला और भारत की प्रतिक्रिया
22 अप्रैल 2025 को पहलागाम, जम्मू-कश्मीर में हुए आतंकी हमले में 26 पर्यटकों की बेरहमी से हत्या कर दी गई, जिन्हें उनकी धार्मिक पहचान की पुष्टि करके मारा गया।
भारत इस हमले के लिए पाकिस्तान को दोषी मानने लगा और उसी दिन कैबिनेट की सुरक्षा बैठक में पाकिस्तान के खिलाफ पाँच रणनीतिक निर्णय लिए गए, जिनमें से प्रमुख था सिंधु जल समझौता को तत्काल प्रभाव से निलंबित करना।
सिंधु जल संधि क्या है?
सिंधु जल संधि (Indus Waters Treaty) एक द्विपक्षीय समझौता है, जिसे 19 सितंबर 1960 को नेहरू और अयूब खान ने विश्व बैंक की मध्यस्थता से हस्ताक्षरित किया था ।
इस संधि के अंतर्गत:
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भारत को पूर्वी नदियाँ (रावी, ब्यास, सतलुज) का पूरा नियंत्रण मिला।
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पाकिस्तान को पश्चमी नदियाँ (सिंधु, चिनाब, झेलम) नियंत्रित करने का अधिकार दिया गया।
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दोनों देशों को साझा पानी का आदान-प्रदान करने, बांध निर्माण करने और स्थायी अंतर-सरकारी आयोग बनाने की सहमति दी गई।
अहम बात ये है कि यह समझौता आपस के लंबे तनाव और युद्धों के बावजूद अमल में रहा और इस तरह की जल-साझा व्यवस्था के लिए विश्व बैंक ने इसे सबसे सफल माना।
भारत ने क्यों निलंबित की संधि?
भारत ने अघोषित रूप से संधि को निलंबित करने में जोश इसलिए दिखाया क्योंकि उसने पाकिस्तान को आतंकी हमलों का पीछे माना।
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यह निर्णय 22 अप्रैल को लिया गया और संधि निलंबन के साथ-साथ भारत ने चेहान नदी में जल प्रवाह नियंत्रित करना भी शुरू कर दिया।
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गृह मंत्री अमित शाह ने कहा कि ‘पानी और खून साथ नहीं बह सकते’ – एक स्पष्ट संकेत कि अब भारत अपनी जल संपदा को आंतरिक उपयोग के लिए संरक्षित करना चाहता है।
STORY | Indus Water Treaty suspension makes clear that blood, water cannot flow together: Dhami
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— Press Trust of India (@PTI_News) April 24, 2025
पाकिस्तान पर क्या असर पड़ा?
पाकिस्तान तुरंत संकट में आ गया:
- तीन प्रमुख क्षेत्रों में पानी का प्रवाह लगभग 20% तक गिर गया
- खरीफ फसल के लिए नमी कमी हो गई, जिससे कृषि संकट उत्पन्न हो गया ।
- इसके अलावा मानसून के दौरान जल प्रबंधन और बाढ़ नियंत्रण में भी जल डेटा साझा न करने से बहुत परेशानी हुई ।
पाकिस्तान ने कहा कि अगर यह कदम आगे बढ़ा तो उसे ‘act of war’ माना जाएगा ।
अंतरराष्ट्रीय और मीडिया की प्रतिक्रिया
वर्ल्ड बैंक ने दोहराया कि वह केवल मध्यस्थ होता है, न्यायाधीश या फैसले तक की शक्तियाँ न होने की वजह से वह हस्तक्षेप नहीं करेगा ।
Financial Times और Time Magazine जैसे प्रतिष्ठित अंतरराष्ट्रीय माध्यमों ने इस मामले को “water war” की रूपरेखा में देखा और चेतावनी दी कि इस संधि को हथियार बनाना दक्षिण एशिया के जल सुरक्षा व शांति के लिए खतरनाक कदम हो सकता है ।
The Guardian ने भी लिखा कि पाकिस्तानी किसान अपनी फसलें बचाने के लिए डर गए हैं और अंतर्राष्ट्रीय हस्तक्षेप की मांग कर रहे हैं ।
भविष्य की राह क्या होगी?
भारत की शर्त: भारत साफ कह चुका है कि जब तक पाकिस्तान आतंकवाद को बंद नहीं करता, तब तक बातचीत नहीं होगी।
धोखा या रणनीति?
- भारत का कहना यह है कि संधि 67 वर्षों तक चली, लेकिन अब यह अप्रासंगिक हो गई है क्योंकि पाकिस्तान आतंकवाद का समर्थन करता है ।
- पाकिस्तान इसे न्यायोचित अतिक्रमण और जल आक्रोन के रूप में देख रहा है, अंतरराष्ट्रीय मंचों तक लड़ाई लड़ रहा है ।
- विश्लेषकों का मानना है कि पानी को हथियार बनाकर दोनों देशों का भविष्य भयंकर तनावपूर्ण और अस्थिर हो सकता है ।
क्या सिंधु जल संधि अब खत्म हो सकती है?
संभव है। भारत ने इस संधि को रोकने की प्रक्रिया शुरू कर दी है। अगर पाकिस्तान आतंकवाद पर सख्त कदम नहीं उठाता, तो यह संधि हमेशा के लिए खत्म हो सकती है।
निष्कर्ष
- शहबाज शरीफ की गुहार अमेरिका से मध्यस्थता के लिए और भारत के साथ वार्ता का द्वार खोलने की कोशिश है।
- भारत का फैसला साफ है: पानी और खून कभी एक साथ नहीं बह सकते, और आतंकवाद का समर्थन न होने तक जल वार्ता बंद रहेगी।
- सिंधु जल संधि, जोकि दशकों तक शांति की निशानी रही, अब खतरे में है और इससे पाकिस्तान के लिए जल संकट उत्पन्न हो चुका है।
- यह स्थिति जल-युद्ध की दहलीज पर खड़ी दिखती है, जहाँ दोनों देश अब नई रणनीतियाँ अपना रहे हैं — भारत जल का पुनः उपयोग कर जम्मू, हरियाणा, पंजाब व राजस्थान में बांधना चाहता है।
- वर्तमान स्थिति शांति के लिए खतरनाक संकेत भेज रही है; कहीं यह तनाव आगे बढ़कर और बड़े जंग का कारण न बन जाए।
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