सावन सोमवार व्रत कथा: सावन का महीना हिन्दू धर्म में अत्यंत पवित्र माना जाता है। यह भगवान शिव को समर्पित होता है और इस दौरान विशेष रूप से “सावन सोमवार व्रत” का विशेष महत्व होता है। यह व्रत शिवभक्तों द्वारा श्रद्धा और आस्था के साथ रखा जाता है ताकि उन्हें सुख, समृद्धि, संतान सुख और मोक्ष की प्राप्ति हो सके।

इस लेख में हम सावन सोमवार व्रत की सम्पूर्ण कथा, इसका महत्व, विधि और मान्यताओं की विस्तार से जानकारी देंगे।
सावन सोमवार व्रत का महत्व:
सावन सोमवार व्रत विशेष रूप से कुंवारी कन्याओं द्वारा उत्तम वर की प्राप्ति के लिए और विवाहित स्त्रियों द्वारा पति की दीर्घायु व समृद्धि के लिए किया जाता है। इस व्रत के दौरान शिवलिंग पर जल, दूध, बेलपत्र, धतूरा और भांग चढ़ाकर पूजा की जाती है।
पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, सावन के महीने में देवी पार्वती ने भगवान शिव को प्राप्त करने के लिए घोर तपस्या की थी। अंततः भगवान शिव ने देवी पार्वती की तपस्या से प्रसन्न होकर उन्हें पत्नी रूप में स्वीकार किया। इसलिए इस व्रत का संबंध पार्वती जी की भक्ति और शिव की कृपा से भी जुड़ा हुआ है।
सावन सोमवार व्रत विधि:
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व्रत की तैयारी:
व्रती को प्रातःकाल स्नान करके स्वच्छ वस्त्र धारण करना चाहिए। घर या मंदिर में शिवलिंग का पूजन किया जाता है। -
पूजन सामग्री:
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जल, दूध, शहद, दही, घी
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बेलपत्र, धतूरा, भस्म
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चावल, अक्षत, फूल, रोली
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मिठाई, फल व पंचामृत
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पूजन विधि:
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सबसे पहले शिवलिंग का गंगाजल से अभिषेक करें।
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फिर पंचामृत (दूध, दही, शहद, घी, शक्कर) से स्नान कराएं।
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बेलपत्र, धतूरा, भांग आदि अर्पित करें।
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शिव जी की आरती करें व व्रत कथा सुनें।
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दिन भर व्रत रखें और शाम को फलाहार लें।
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सावन सोमवार व्रत कथा:
एक समय की बात है, एक निर्धन ब्राह्मण और उसकी पत्नी रहते थे। वे दोनों शिवभक्त थे लेकिन संतान नहीं होने के कारण अत्यंत दुखी थे। एक दिन ब्राह्मणी ने शिव मंदिर जाकर शिवलिंग पर बेलपत्र चढ़ाते हुए रोते हुए भगवान से कहा, “हे भोलेनाथ! मुझे भी संतान सुख दीजिए। मैं आपके प्रति पूर्ण भक्ति भाव रखती हूं। कृपया मेरी पुकार सुनिए।”
उस दिन एक साधु ने उसे मंदिर में रोते देखा। साधु ने ब्राह्मणी से कहा, “हे माता! सावन के सोमवार के दिन उपवास कर, सच्चे मन से शिवजी की पूजा करो। भगवान अवश्य तुम्हारी मनोकामना पूर्ण करेंगे।”
ब्राह्मणी ने वैसा ही किया। सावन मास में प्रतिदिन बेलपत्र, जल, दूध और गंगाजल से शिवलिंग का अभिषेक किया। सोमवार को व्रत रखकर दिनभर भक्ति में लीन रहती। इस प्रकार पूरे सावन में चार सोमवारों का व्रत करने के बाद भगवान शिव ने प्रसन्न होकर स्वप्न में उसे दर्शन दिए और वरदान दिया कि अगले वर्ष उसके घर में संतान का जन्म होगा।
कुछ महीनों बाद, ब्राह्मणी गर्भवती हुई और समय आने पर एक सुंदर पुत्र को जन्म दिया। दोनों पति-पत्नी भगवान शिव की कृपा से अत्यंत प्रसन्न हुए। उन्होंने जीवन भर सोमवार का व्रत और शिवभक्ति जारी रखी।
एक और प्रचलित कथा – राजकुमारी और सावन सोमवार:
एक राज्य में एक राजकुमारी थी जिसका विवाह योग्य समय आ चुका था। लेकिन कोई उपयुक्त वर नहीं मिल रहा था। एक दिन राजमहल में एक वृद्धा आई और उसने राजकुमारी को सावन सोमवार का व्रत रखने की सलाह दी।
राजकुमारी ने पूरे सावन महीने में श्रद्धा से व्रत रखा, शिवलिंग पर जल, दूध, बेलपत्र चढ़ाए। चौथे सोमवार के व्रत के बाद उसी रात उसने स्वप्न में भगवान शिव को देखा। शिवजी ने कहा – “तूने सच्चे मन से मेरी पूजा की है, इसलिए मैं तुम्हें योग्य वर दूंगा।” कुछ ही दिनों में एक वीर, विद्वान और धर्मात्मा राजकुमार से उसका विवाह हुआ।
सावन सोमवार व्रत से जुड़ी मान्यताएं:
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कुंवारी कन्याओं के लिए:
इस व्रत को करने से उन्हें मनचाहा वर मिलता है। देवी पार्वती ने भी भगवान शिव को पाने के लिए यही व्रत किया था। -
विवाहित स्त्रियों के लिए:
यह व्रत पति की लंबी उम्र, अच्छे स्वास्थ्य और पारिवारिक सुख के लिए किया जाता है। -
पुरुषों के लिए:
पुरुष भी इस व्रत को रख सकते हैं। इससे जीवन में स्थिरता, मन की शांति और मानसिक बल प्राप्त होता है।

सावन के सोमवार की संख्या:
हर साल सावन में 4 या 5 सोमवार आते हैं। इन सभी सोमवारों का व्रत रखने का विशेष महत्व होता है। कुछ भक्त पूरे महीने “सोमवार संकल्प व्रत” रखते हैं और हर सोमवार को पूजा-अर्चना करते हैं।
विशेष ध्यान देने योग्य बातें:
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व्रत के दौरान क्रोध, छल, व्यभिचार और झूठ से दूर रहें।
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व्रत के दिन संयमित भोजन लें या फलाहार करें।
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शिवपुराण या शिव स्तुति का पाठ करें।
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हो सके तो रुद्राभिषेक करें या “ॐ नमः शिवाय” मंत्र का जाप करें।
सावन सोमवार व्रत न केवल धार्मिक दृष्टि से बल्कि मानसिक और आत्मिक शुद्धता का प्रतीक भी है। इस व्रत के माध्यम से हम अपने जीवन में भगवान शिव की कृपा प्राप्त कर सकते हैं। यह व्रत आस्था, भक्ति और संयम का एक सुंदर उदाहरण है।
सावन का पावन महीना आते ही संपूर्ण वातावरण शिवमय हो जाता है। बेलपत्र, गंगाजल और “ॐ नमः शिवाय” की ध्वनि से चारों ओर भक्ति की तरंगें फैल जाती हैं। यदि हम इस समय का सही प्रयोग करें तो न केवल हमारे कष्ट दूर हो सकते हैं, बल्कि हम आत्मिक उन्नति भी प्राप्त कर सकते हैं।
🔔 हर सोमवार शिव के नाम का व्रत रखिए,
💐 और जीवन को सुख, शांति और समृद्धि से भर दीजिए।
हर हर महादेव! 🚩
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