सरज़मीन: 2025 की हिंदी फिल्म “सरज़मीन” एक ऐसी फिल्म है जो न केवल देशभक्ति का संदेश देती है, बल्कि यह भी दर्शाती है कि देश की सुरक्षा सिर्फ सीमा पर लड़ने से नहीं, बल्कि अंदरूनी शांति और समझदारी से भी होती है। इस फिल्म का निर्देशन कुणाल देशमुख ने किया है और मुख्य भूमिकाओं में राधिका मदान, रोशन मैथ्यू और दिग्गज अभिनेता कृष्ण कुमार मेनन हैं।

कहानी की पृष्ठभूमि:
सरज़मीन की कहानी कश्मीर की पृष्ठभूमि में रची गई है, जहाँ नफरत और साजिशों के बीच कुछ ऐसे लोग भी हैं जो इंसानियत को ज़िंदा रखना चाहते हैं। यह कहानी एक नई भर्ती हुई आईपीएस ऑफिसर (राधिका मदान) की है जो अपने पहले ही पोस्टिंग पर आतंकवाद, राजनीति, और निजी भावनाओं की उलझनों में फंस जाती है। वहीं कृष्ण कुमार मेनन एक सख्त और अनुभवी अधिकारी के किरदार में हैं, जो हर कीमत पर देश की सुरक्षा सुनिश्चित करना चाहता है।
अभिनय का दमखम:
फिल्म की जान इसके कलाकार हैं।
-
कृष्ण कुमार मेनन एक बार फिर अपने किरदार में पूरी तरह समा गए हैं। उनका सख्त लहजा, अंदर छुपा दर्द और देश के लिए समर्पण दर्शकों को बांधे रखता है।
- इब्राहिम अली खान, जो सैफ अली खान और अमृता सिंह के बेटे हैं, ने अपनी बॉलीवुड की शुरुआत फिल्म सरज़मीन से की है। इस फिल्म में वे हरीमन मेनन की भूमिका निभा रहे हैं, जो कश्मीर में आतंकवाद और पारिवारिक द्वंद्व की कहानी का केंद्र है।
-
राधिका मदान ने एक युवा, जोशीली लेकिन जटिल परिस्थितियों से जूझ रही अफसर की भूमिका को बड़ी सहजता से निभाया है।
-
रोशन मैथ्यू, जो स्थानीय निवासी और राजनीतिक परिवेश से जुड़ा किरदार निभा रहे हैं, उन्होंने भी संतुलित और सशक्त प्रदर्शन दिया है।
निर्देशन और पटकथा:
कुणाल देशमुख ने एक संवेदनशील विषय को बहुत सलीके से पेश किया है। उन्होंने दर्शाया है कि कश्मीर सिर्फ एक भौगोलिक विवाद नहीं, बल्कि वहाँ रहने वाले हर इंसान की ज़िंदगी से जुड़ा संघर्ष है। फिल्म की पटकथा कसी हुई है, जिसमें थ्रिल, इमोशन, और राजनीतिक ड्रामा का अच्छा संतुलन है।
सिनेमैटोग्राफी और तकनीकी पक्ष:
फिल्म की सिनेमैटोग्राफी (DOP) कमाल की है। कश्मीर की खूबसूरत वादियों को बखूबी कैप्चर किया गया है, लेकिन इन वादियों में मौजूद असुरक्षा और डर भी कैमरे के जरिए महसूस होता है।
बैकग्राउंड स्कोर फिल्म को और भी प्रभावशाली बनाता है, खासकर तब जब भावनात्मक दृश्य या कार्रवाई के क्षण आते हैं।
संदेश और प्रभाव:
सरज़मीन सिर्फ एक थ्रिलर नहीं, यह एक सामाजिक और राजनीतिक बयान है। यह बताती है कि हर वर्दी पहनने वाला कठोर नहीं होता, और हर विरोध करने वाला देशद्रोही नहीं होता। यह फिल्म संवाद की ज़रूरत को, राजनीतिक लाभ के लिए आम जनता के इस्तेमाल को और इंसानियत की अहमियत को गहराई से उठाती है।
कमजोर कड़ियाँ:
हालाँकि फिल्म कई स्तरों पर कामयाब है, लेकिन कुछ दृश्य थोड़े खिंचे हुए लगते हैं। खासकर मध्य भाग में गति थोड़ी धीमी पड़ जाती है, जिससे फिल्म की ऊर्जा कुछ समय के लिए थम-सी जाती है। कुछ दर्शकों को फिल्म का अंत थोड़ा खुला और अधूरा लग सकता है, लेकिन यह निर्देशक की उस सोच को दिखाता है कि हर कहानी का समाधान आसान नहीं होता।
सरज़मीन एक ऐसी फिल्म है जिसे सिर्फ एक मनोरंजन नहीं बल्कि एक अनुभव की तरह देखा जाना चाहिए। यह फिल्म उन मुद्दों पर बात करती है जिन्हें आमतौर पर या तो नज़रअंदाज़ किया जाता है या अतिरंजनापूर्ण ढंग से दिखाया जाता है। अगर आप थ्रिल, ड्रामा और समाजिक संदर्भों से जुड़ी फिल्में पसंद करते हैं, तो सरज़मीन आपके लिए एक ज़रूरी फिल्म है।
रेटिंग: ⭐⭐⭐⭐ (4/5)
देखने लायक?: बिल्कुल। एक सशक्त कहानी, दमदार अभिनय और संवेदनशील मुद्दों को देखने का मौका।
ऐसे और भी Entertainment टॉपिक के ऊपर लेखों के लिए हमारे साथ जुड़े रहें! Khabari bandhu पर पढ़ें देश-दुनिया की ताज़ा ख़बरें — बिज़नेस, एजुकेशन, मनोरंजन, धर्म, क्रिकेट, राशिफल और भी बहुत कुछ।