आजकल बहुत से लोग ChatGPT का इस्तेमाल सिर्फ जानकारी पाने के लिए नहीं, बल्कि अपने दिल की बातें करने के लिए भी कर रहे हैं। युवा पीढ़ी इसे अपने रिश्तों, जीवन की समस्याओं और मानसिक उलझनों के लिए एक दोस्त या थैरेपिस्ट की तरह इस्तेमाल कर रही है। लेकिन क्या आप जानते हैं कि जो आप इस AI से शेयर कर रहे हैं, वो कानूनी तौर पर सुरक्षित नहीं है?
OpenAI के CEO सैम ऑल्टमैन (Sam Altman) ने हाल ही में एक इंटरव्यू में खुलासा किया है कि ChatGPT पर की गई आपकी बातचीत कानूनी गोपनीयता (।egal Confidentiality) के दायरे में नहीं आती। इसका मतलब है कि अगर कोर्ट चाहे तो इन चैट्स को पेश किया जा सकता है। आइए जानते हैं इस पूरे मुद्दे को विस्तार से।
क्या कहा Sam Altman ने?
Sam Altman ने Theo Von के पॉडकास्ट “This Past Weekend” में साफ-साफ कहा कि ChatGPT से की गई आपकी पर्सनल बातचीत अभी तक किसी कानूनी संरक्षण में नहीं आती। उन्होंने बताया कि,
“लोग अपने जीवन के सबसे निजी पहलुओं की बातें ChatGPT से करते हैं — जैसे एक थैरेपिस्ट, लाइफ कोच या वकील से करते हैं। लेकिन डॉक्टर, वकील या काउंसलर से की गई बातों को कानूनी गोपनीयता प्राप्त होती है, जो AI के साथ नहीं है।”
उन्होंने यह भी कहा कि अगर कोर्ट में किसी केस के दौरान ChatGPT की बातचीत की जरूरत पड़ी, तो OpenAI को वो चैट्स सौंपनी पड़ेंगी।
क्या ChatGPT आपकी बातों को स्टोर करता है?
जी हां, ChatGPT आपके चैट्स को अस्थायी रूप से सेव करता है।
OpenAI के अनुसार, Free, Plus और Pro अकाउंट्स की डिलीट की गई चैट्स को उनके सिस्टम से 30 दिन के अंदर हटा दिया जाता है। लेकिन अगर सुरक्षा या कानूनी कारण हों, तो ये चैट्स और भी लंबे समय तक रखी जा सकती हैं।
यह बात चिंताजनक इसलिए है क्योंकि ChatGPT में की गई बातें एंड-टू-एंड एन्क्रिप्टेड नहीं होतीं, जैसे कि WhatsApp या Signal में होती हैं। यानी OpenAI के कर्मचारी इन चैट्स को एक्सेस कर सकते हैं – चाहे वो AI को बेहतर बनाने के लिए हो या मिसयूज़ चेक करने के लिए।
कानूनी उलझनों में घिरा है OpenAI
OpenAI फिलहाल The New York Times के साथ एक बड़े मुकदमे में उलझा हुआ है। इस केस में न्यूयॉर्क टाइम्स और कुछ अन्य याचिकाकर्ताओं ने कोर्ट से मांग की है कि OpenAI को सभी यूजर चैट्स – यहां तक कि डिलीट की गई चैट्स – को भी स्थायी रूप से सेव करने का आदेश दिया जाए।
OpenAI ने इस मांग को “जरूरत से ज़्यादा” बताते हुए इसका विरोध किया है और कहा है कि अगर कोर्ट ने ऐसा आदेश दिया, तो भविष्य में अन्य संस्थान भी ऐसी मांगें कर सकते हैं – जो यूजर की प्राइवेसी पर भारी पड़ सकती हैं।
क्यों जरूरी है Legal Clarity?
Sam Altman ने इस मुद्दे को गंभीरता से उठाया और कहा कि AI से की गई बातचीत को भी डॉक्टर या वकील जैसी गोपनीयता मिलनी चाहिए। लेकिन फिलहाल ऐसा कोई कानून मौजूद नहीं है।
उन्होंने कहा,
“अभी तक इस बात को लेकर कोई स्पष्ट कानून नहीं है कि ChatGPT से की गई बातें कितनी निजी मानी जाएंगी। यह एक नया मुद्दा है, और हमें इसका समाधान निकालने की जरूरत है।”
ChatGPT को थैरेपिस्ट समझना खतरनाक हो सकता है
आज के समय में जहां मानसिक स्वास्थ्य एक बड़ा विषय बन चुका है, बहुत से लोग ChatGPT को एक सलाहकार या थैरेपिस्ट की तरह इस्तेमाल कर रहे हैं। ये AI एक गैर-जजमेंटल, शांत और उपलब्ध साथी की तरह लगता है, लेकिन वास्तविकता यह है कि यह सिर्फ एक टूल है – न कि कोई प्रोफेशनल मानसिक स्वास्थ्य विशेषज्ञ।
Sam Altman ने इसपर कहा,
“लोग ChatGPT से कहते हैं – ‘मेरे रिश्तों में ये समस्या है, मुझे क्या करना चाहिए?’ लेकिन AI आपके लिए प्रोफेशनल काउंसलिंग का विकल्प नहीं हो सकता।”
टेक्नोलॉजी बनाम प्राइवेसी – संतुलन की जरूरत
AI टूल्स जैसे ChatGPT ने हमारी जिंदगी को आसान बनाया है, लेकिन साथ ही यह एक गंभीर प्राइवेसी संकट भी पैदा कर रहा है। अमेरिका में Roe v. Wade के फैसले के बाद जब प्रजनन अधिकारों पर सवाल उठे, तब कई महिलाएं असुरक्षित पीरियड-ट्रैकिंग ऐप्स से हटकर Apple Health जैसे सुरक्षित विकल्पों की तरफ चली गईं।
इससे यह बात और भी स्पष्ट हो जाती है कि जब बात निजता की हो, तो लोग अपने डेटा के बारे में बहुत सतर्क हो जाते हैं – और ChatGPT जैसे AI टूल्स में वह गोपनीयता फिलहाल नहीं है।
क्या ChatGPT पर भरोसा किया जा सकता है?
यह कहना गलत नहीं होगा कि ChatGPT एक क्रांतिकारी तकनीक है। यह तेज, ज्ञानवान और सहायक है। लेकिन जब बात व्यक्तिगत या संवेदनशील जानकारी की हो, तो इस पर आंख मूंदकर भरोसा करना खतरनाक हो सकता है।
ChatGPT को कभी भी डॉक्टर, वकील या काउंसलर के विकल्प के तौर पर इस्तेमाल न करें। जब तक AI चैट्स को भी वही कानूनी संरक्षण नहीं मिलता जो एक पेशेवर इंसान को मिलता है, तब तक इससे सीमित और सतर्क तरीके से बात करना ही समझदारी है।
भविष्य की राह – क्या होगा अगला कदम?
Sam Altman की यह चेतावनी टेक इंडस्ट्री के लिए एक संकेत है कि अब वक्त आ गया है जब AI चैट्स को लेकर ठोस कानून बनाए जाएं।
AI और प्राइवेसी के इस टकराव को सुलझाने के लिए सरकारों और टेक कंपनियों को मिलकर काम करना होगा। तभी यूजर्स निश्चिंत होकर इस तकनीक का पूरा फायदा उठा पाएंगे।
सावधानी जरूरी है
अगर आप ChatGPT से पर्सनल बातें कर रहे हैं, तो सावधान हो जाइए। यह अभी “आपका थैरेपिस्ट” नहीं है और न ही आपके राज़ कानूनी तौर पर महफूज़ हैं।
AI का इस्तेमाल करें, लेकिन सोच-समझकर। और जब बात बहुत निजी हो, तो किसी इंसानी प्रोफेशनल से संपर्क करना ही सबसे अच्छा रास्ता है।
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