ब्रिटेन के पूर्व प्रधानमंत्री ऋषि सुनक ने अब अपनी राजनीतिक जिम्मेदारियों से एक कदम पीछे हटते हुए कॉर्पोरेट जगत में वापसी की है। उन्होंने विश्व की सबसे बड़ी इन्वेस्टमेंट बैंकिंग फर्मों में से एक, Goldman Sachs में सीनियर एडवाइजर (वरिष्ठ सलाहकार) के रूप में अपनी नई भूमिका संभाली है। यह उनके करियर का एक नया अध्याय है, जिसमें वे वैश्विक स्तर पर आर्थिक और भू-राजनीतिक मामलों पर सलाह देने का काम करेंगे।
21 साल बाद एक बार फिर Goldman Sachs में
ऋषि सुनक की यह वापसी किसी संयोग से कम नहीं है। उन्होंने अपने करियर की शुरुआत वर्ष 2000 में इसी फर्म से एक समर इंटर्न के रूप में की थी, जब वे ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी में पढ़ाई कर रहे थे। 2001 में ग्रेजुएशन के बाद वे जूनियर एनालिस्ट के रूप में Goldman Sachs में शामिल हुए और 2004 तक वहीं कार्यरत रहे।
करीब दो दशकों बाद वे फिर उसी कंपनी में एक वरिष्ठ सलाहकार के रूप में लौटे हैं, लेकिन इस बार उनके अनुभव, कद और जिम्मेदारियाँ कहीं ज्यादा व्यापक हैं।
उनकी नई भूमिका में क्या-क्या होगा?
Goldman Sachs के सीईओ डेविड सोलोमन ने कहा है कि ऋषि सुनक अब कंपनी के वरिष्ठ अधिकारियों के साथ मिलकर ग्राहकों को वैश्विक आर्थिक परिस्थितियों और भू-राजनीतिक मुद्दों पर सलाह देंगे।
उनका काम केवल आर्थिक सलाह तक सीमित नहीं रहेगा, बल्कि वे दुनिया भर के लोगों से मिलकर कंपनी की लर्निंग और डेवलपमेंट संस्कृति को भी आगे बढ़ाएंगे। इसका मतलब है कि सुनक न सिर्फ निवेशकों की मदद करेंगे, बल्कि Goldman Sachs के अंदर नई सोच और वैश्विक समझ भी लेकर आएंगे।
क्यों खास है यह भूमिका?
ऋषि सुनक की यह भूमिका इसलिए भी खास है क्योंकि वे हाल ही में देश के प्रधानमंत्री रह चुके हैं। उनके पास वैश्विक राजनीति, व्यापार और वित्तीय नीतियों की गहरी समझ है। ऐसे में उनकी सलाह निवेशकों और कंपनी दोनों के लिए बेहद मूल्यवान साबित हो सकती है।
Goldman Sachs जैसी कंपनी के लिए इस तरह का नेतृत्व और अनुभव बहुत मायने रखता है, खासकर उस समय जब दुनिया में अनिश्चितता, मुद्रास्फीति और युद्ध जैसी कई चुनौतियाँ सामने हैं।
ऋषि सुनक की राजनीतिक यात्रा
ऋषि सुनक अक्टूबर 2022 में यूनाइटेड किंगडम के प्रधानमंत्री बने थे। उनके नेतृत्व में कंजरवेटिव पार्टी ने कई आर्थिक और सामाजिक फैसले लिए। लेकिन जुलाई 2024 के आम चुनावों में कंजरवेटिव पार्टी को करारी हार का सामना करना पड़ा और लेबर पार्टी ने ऐतिहासिक जीत दर्ज की।
2019 में कंजरवेटिव पार्टी के पास 365 सीटें थीं, जो 2024 में घटकर केवल 121 रह गईं। इसे पार्टी के इतिहास की सबसे बड़ी हार कहा जा रहा है।
इस हार के बाद ऋषि सुनक ने प्रधानमंत्री पद और कंजरवेटिव पार्टी के नेता दोनों पदों से इस्तीफा दे दिया था। इसके बाद वे कुछ समय तक सार्वजनिक जीवन से दूर रहे।
हार के बाद क्या किया?
हालांकि वे राजनीतिक रूप से एक्टिव नहीं दिखे, लेकिन उन्होंने संसद के सदस्य (MP) के रूप में बने रहने का निर्णय लिया। उन्होंने कहा कि वे इस पूरे कार्यकाल तक बैकबेंच से देश की सेवा करते रहेंगे।
साथ ही उन्होंने ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी और अमेरिका की स्टैनफोर्ड यूनिवर्सिटी में भी कुछ शैक्षणिक भूमिकाएँ संभाली हैं। ये दोनों विश्वविद्यालय उनके पुराने शैक्षणिक संस्थान रहे हैं और यह कदम उनके लिए व्यक्तिगत और पेशेवर विकास का हिस्सा रहा।
व्यक्तिगत जीवन और संपत्ति
ऋषि सुनक और उनकी पत्नी अक्षता मूर्ति की कुल संपत्ति लगभग £640 मिलियन आंकी गई है। यह जानकारी संडे टाइम्स की रिच लिस्ट में प्रकाशित हुई थी। इस संपत्ति का अधिकांश हिस्सा अक्षता मूर्ति के परिवार के बिज़नेस इंफोसिस में हिस्सेदारी से आता है।
अक्षता, भारतीय अरबपति नारायण मूर्ति की बेटी हैं, जो इंफोसिस के संस्थापक हैं। उनकी संपत्ति ने ऋषि सुनक को ब्रिटेन के सबसे अमीर सांसदों में शामिल कर दिया है।
सैलरी नहीं लेंगे, करेंगे दान
Goldman Sachs में अपनी नई भूमिका में ऋषि सुनक को जो वेतन मिलेगा, उसे वे किसी निजी लाभ के लिए नहीं रखेंगे। बल्कि उन्होंने घोषणा की है कि वे यह पूरी सैलरी ‘द रिचमंड प्रोजेक्ट’ नामक चैरिटी को देंगे। यह एक संस्था है जिसे उन्होंने और उनकी पत्नी ने मिलकर शुरू किया है। इसका उद्देश्य ब्रिटेन में बच्चों के गणित और संख्यात्मक कौशल को बेहतर बनाना है।
इस कदम से यह स्पष्ट होता है कि वे केवल पैसे कमाने के लिए इस भूमिका में नहीं आए हैं, बल्कि वे समाज में योगदान देने की भावना से प्रेरित हैं।
क्या यह वापसी का संकेत है?
कुछ विशेषज्ञों का मानना है कि ऋषि सुनक की यह नई भूमिका उन्हें वैश्विक मंच पर फिर से स्थापित कर सकती है। उनकी छवि एक समझदार, पेशेवर और वैश्विक नेता की रही है। Goldman Sachs जैसे प्रतिष्ठित संस्थान में काम करके वे फिर से लोगों के बीच अपनी विश्वसनीयता बना सकते हैं।
ऐसा भी संभव है कि आने वाले वर्षों में वे अंतरराष्ट्रीय राजनीति या वैश्विक संगठनों में कोई बड़ी भूमिका निभाएं।
ऋषि सुनक का भविष्य क्या कहता है?
ऋषि सुनक ने पहले ही दिखा दिया है कि वे किसी भी क्षेत्र में खुद को स्थापित करने की क्षमता रखते हैं—चाहे वह निवेश बैंकिंग हो, राजनीति या अब सामाजिक कार्य। उनकी सोच दूरदर्शी है और वे हर भूमिका में मूल्य जोड़ने की क्षमता रखते हैं।
वे अभी युवा हैं, और यह संभावना से इंकार नहीं किया जा सकता कि वे भविष्य में फिर से राजनीति में सक्रिय हो सकते हैं, चाहे वह ब्रिटेन की हो या किसी अंतरराष्ट्रीय संस्था की।
एक नई शुरुआत
Goldman Sachs में ऋषि सुनक की वापसी केवल एक प्रोफेशनल कदम नहीं है, बल्कि यह उनकी सोच, नेतृत्व और सामाजिक जिम्मेदारी के प्रति उनकी प्रतिबद्धता का प्रतीक है।
उन्होंने यह साबित कर दिया है कि एक नेता केवल सत्ता में रहकर ही योगदान नहीं देता, बल्कि वह अपने अनुभव और ज्ञान के जरिए भी समाज को दिशा दे सकता है। चाहे यह सलाहकार की भूमिका हो, चैरिटी का काम हो, या शिक्षा के क्षेत्र में योगदान—ऋषि सुनक ने अपने जीवन को एक नए अध्याय की ओर मोड़ा है।
ब्रिटेन और दुनिया अब देख रही है कि यह पूर्व प्रधानमंत्री आगे क्या-क्या करता है, और कैसे वह अपने अनुभव का उपयोग करके लोगों के जीवन में सकारात्मक बदलाव लाता है।
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