राष्ट्रपति मुर्मू ने राज्यसभा के लिए नामित किए 4 नए सदस्य: जानिए कौन हैं ये चेहरे?

राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने शनिवार, 12 जुलाई 2025 को चार नए सदस्यों को राज्यसभा के लिए नामित किया है। ये नामांकन भारत के संविधान के अनुच्छेद 80(1)(a) की धारा (3) के अंतर्गत किए गए हैं, जो राष्ट्रपति को विशिष्ट क्षेत्रों में विशेष ज्ञान या अनुभव रखने वाले व्यक्तियों को उच्च सदन में भेजने की शक्ति देता है। गृह मंत्रालय की ओर से देर शाम इस बारे में अधिसूचना जारी की गई।

इन नामों में एक पूर्व विदेश सचिव, एक प्रसिद्ध इतिहासकार, एक बहुचर्चित सरकारी वकील और एक सामाजिक कार्यकर्ता शामिल हैं। ये सभी अपने-अपने क्षेत्रों में वर्षों से अहम योगदान दे रहे हैं। आइए जानते हैं इन चारों नामांकित सदस्यों के बारे में विस्तार से।

हर्षवर्धन श्रृंगला: भारत की विदेश नीति का अनुभवी चेहरा

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हर्षवर्धन श्रृंगला भारतीय विदेश सेवा के वरिष्ठ अधिकारी रहे हैं। वे भारत के विदेश सचिव भी रह चुके हैं। इसके अलावा उन्होंने अमेरिका, बांग्लादेश और थाईलैंड में भारत के राजदूत के तौर पर काम किया है। अंतरराष्ट्रीय संबंधों में उनका गहरा अनुभव भारत की कूटनीतिक छवि को मजबूत करता है।

श्रृंगला भारत की G20 अध्यक्षता के दौरान मुख्य समन्वयक (Chief Coordinator) भी रहे, जहां उन्होंने वैश्विक स्तर पर भारत की भागीदारी को मजबूती दी। उनकी नियुक्ति यह दिखाती है कि सरकार राज्यसभा में ऐसे अनुभवी लोगों को लाना चाहती है जो नीति-निर्माण में अहम भूमिका निभा सकें।

मीनाक्षी जैन: इतिहास की नई व्याख्या करने वाली विदुषी

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मीनाक्षी जैन एक प्रसिद्ध इतिहासकार और शिक्षाविद हैं। उन्होंने भारतीय सभ्यता, धर्म और संस्कृति पर कई महत्त्वपूर्ण पुस्तकें लिखी हैं। उनका लेखन भारतीय इतिहास की पारंपरिक व्याख्या से हटकर नई दृष्टिकोण प्रस्तुत करता है।

उनकी हालिया किताब “विश्वनाथ राइज़ेज एंड राइज़ेज: द स्टोरी ऑफ एटरनल काशी” साल 2024 में प्रकाशित हुई, जिसमें काशी (वाराणसी) की ऐतिहासिक और सांस्कृतिक विरासत को उजागर किया गया है। इसके अलावा “Flight of Deities and Rebirth of Temples” (2019) और “The Battle for Rama” (2017) जैसी कृतियाँ भी काफी चर्चित रही हैं।

मीनाक्षी जैन की राज्यसभा में उपस्थिति शिक्षा और सांस्कृतिक विषयों से जुड़े मुद्दों पर एक सशक्त आवाज देगी।

उज्ज्वल देवरो निकम: न्याय की दुनिया का जाना-पहचाना नाम

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उज्ज्वल देवरो निकम देश के सबसे चर्चित सरकारी वकीलों में से एक हैं। वे कई हाई-प्रोफाइल आपराधिक मामलों में विशेष सरकारी वकील के तौर पर कार्य कर चुके हैं। 26/11 मुंबई आतंकी हमले के केस में उन्होंने कसाब के खिलाफ अदालत में पक्ष रखा था, जिसने उन्हें राष्ट्रीय स्तर पर पहचान दिलाई।

न्यायिक प्रक्रिया और अपराध न्याय प्रणाली में उनके अनुभव का लाभ राज्यसभा को कानूनी मामलों पर ठोस बहस में मिलेगा। वे भारतीय जनता पार्टी से भी जुड़े हुए हैं और सामाजिक मुद्दों पर स्पष्ट राय रखते हैं।

सी. सदानंदन मास्टर: शिक्षा और सेवा के क्षेत्र का समर्पित नाम

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सी. सदानंदन मास्टर केरल के त्रिशूर जिले से एक प्रसिद्ध शिक्षक और सामाजिक कार्यकर्ता हैं। वे लंबे समय से शिक्षा और समाज सेवा के क्षेत्र में सक्रिय हैं। 1990 के दशक में एक राजनीतिक हमले में वे बुरी तरह घायल हो गए थे, लेकिन उन्होंने हार नहीं मानी और समाज सेवा में लगे रहे।

वह भारत विचार केंद्र (Bharatiya Vichara Kendram) से भी जुड़े हैं, जो एक वैचारिक संस्था है और केरल में बौद्धिक एवं सामाजिक चेतना को जागृत करने का कार्य करती है। सदानंदन मास्टर की उपस्थिति से राज्यसभा में सामाजिक और शैक्षिक सुधारों पर गंभीर चर्चा को बल मिलेगा।

नामांकन का महत्व: अनुभव और विविधता की झलक

इन चारों नामांकनों में एक खास बात है – हर व्यक्ति अपने क्षेत्र में गहरी समझ और अनुभव रखता है। यह कदम यह दर्शाता है कि सरकार राज्यसभा को एक ऐसा मंच बनाना चाहती है जहाँ विभिन्न क्षेत्रों के विशेषज्ञ देशहित में सुझाव और मार्गदर्शन दे सकें। ये सदस्य राजनीतिक पृष्ठभूमि से ज़रूर आते हैं, लेकिन उनकी मुख्य पहचान उनके कार्यक्षेत्र की विशेषज्ञता है।

नए विचारों और अनुभव का स्वागत

राज्यसभा में इन नए चेहरों का स्वागत एक सकारात्मक संकेत है। इससे यह उम्मीद की जा सकती है कि संसद में अब विदेश नीति, शिक्षा, इतिहास, कानून और समाज सेवा जैसे विविध विषयों पर और गहराई से चर्चा होगी।

इस तरह के नामांकन यह भी साबित करते हैं कि लोकतंत्र में विशेषज्ञता की भूमिका कितनी अहम है। ये चारों नाम सिर्फ व्यक्ति नहीं हैं, बल्कि भारत के विकासशील विचारों और मूल्यों का प्रतिनिधित्व करते हैं।

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