राजमा चावल भारतीय रसोई का ऐसा व्यंजन है जो सिर्फ एक खाने की थाली नहीं, बल्कि एक भावना बन चुका है। खासकर उत्तर भारत, विशेष रूप से पंजाब, दिल्ली, उत्तराखंड और हिमाचल में यह व्यंजन रविवार की दोपहर का प्रिय भोजन बन गया है। स्वाद, पोषण और संतुलित भोजन का एक बेहतरीन उदाहरण है – राजमा चावल। इसमें न सिर्फ प्रोटीन भरपूर होता है, बल्कि इसका स्वाद भी ऐसा है कि हर उम्र के लोग इसे पसंद करते हैं।
इस लेख में हम जानेंगे कि राजमा चावल की उत्पत्ति कहां से हुई, इसका भारत में कैसे विकास हुआ, और अंत में इसकी पारंपरिक रेसिपी भी जानेंगे।

राजमा चावल का इतिहास:
राजमा चावल का इतिहास भारत से नहीं, बल्कि दक्षिण अमेरिका से जुड़ा हुआ है। राजमा (Red Kidney Beans) मूलतः पेरू, मेक्सिको और ग्वाटेमाला जैसे देशों में उगाया जाता था। कोलंबस और स्पेनिश यात्रियों के ज़रिये राजमा की फसल 15वीं-16वीं शताब्दी में यूरोप और फिर एशिया तक पहुँची।
भारत में राजमा की एंट्री:
राजमा भारत में मुग़ल काल या उससे थोड़े पहले आया माना जाता है, पर यह एक प्रमुख खाद्य पदार्थ के रूप में ब्रिटिश राज के दौरान उभरा। यह धीरे-धीरे उत्तर भारत के पहाड़ी इलाकों (जैसे उत्तराखंड, हिमाचल प्रदेश और कश्मीर) में अनुकूल जलवायु की वजह से उगाया जाने लगा।
हालांकि राजमा का जन्मस्थल भारत नहीं है, लेकिन भारतीय मसालों और तड़के ने इसे पूरी तरह भारतीय बना दिया। पंजाबियों ने इसे चावल के साथ मिलाकर एक ऐसा क्लासिक कॉम्बिनेशन बना दिया, जो आज हर घर की पसंद बन चुका है।
राजमा के प्रकार:
भारत में राजमा की कई किस्में मिलती हैं, जैसे:
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जम्मू वाला राजमा (छोटा और गाढ़ा लाल)
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चिट्टा राजमा (क्रीम या सफेद रंग का)
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उत्तराखंडी भट्ट राजमा (पहाड़ी क्षेत्र का खास)
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चंपावत या लोहरियासार राजमा (उत्तराखंड में लोकप्रिय)
हर किस्म की अपनी खुशबू और स्वाद होता है, लेकिन अधिकतर लोग लाल राजमा का उपयोग करते हैं।
राजमा चावल की लोकप्रियता:
राजमा चावल को न केवल स्वाद के लिए पसंद किया जाता है, बल्कि इसके स्वास्थ्य लाभ भी इसे खास बनाते हैं:
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प्रोटीन का बेहतरीन स्रोत (शाकाहारियों के लिए सुपरफूड)
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फाइबर, मैग्नीशियम, पोटेशियम, और आयरन से भरपूर
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लंबे समय तक पेट भरा रखता है
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डायबिटिक रोगियों के लिए भी उपयुक्त (कम ग्लाइसेमिक इंडेक्स)

राजमा चावल बनाने की विधि:
सामग्री (4 लोगों के लिए)
राजमा पकाने के लिए:
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राजमा – 1 कप (रातभर भिगोया हुआ)
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पानी – 3 कप
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नमक – 1/2 चम्मच
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तेजपत्ता – 1
ग्रेवी के लिए:
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प्याज – 2 (बारीक कटा हुआ)
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टमाटर – 2 (पेस्ट या बारीक कटे हुए)
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लहसुन – 4-5 कलियाँ
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अदरक – 1 इंच टुकड़ा
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हरी मिर्च – 1-2
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जीरा – 1/2 चम्मच
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हल्दी – 1/2 चम्मच
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लाल मिर्च – 1 चम्मच
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धनिया पाउडर – 1 चम्मच
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गरम मसाला – 1/2 चम्मच
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कसूरी मेथी – 1 चुटकी
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तेल या घी – 2 बड़े चम्मच
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हरा धनिया – सजावट के लिए
चावल के लिए:
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बासमती चावल – 1 कप
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पानी – 2 कप
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नमक – स्वादानुसार
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थोड़ा सा घी या तेल (स्वाद बढ़ाने के लिए)
बनाने की विधि:
1. राजमा उबालना:
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भीगे हुए राजमा को कुकर में पानी, नमक और तेजपत्ता डालकर 4-5 सीटी आने तक मध्यम आंच पर पकाएं।
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राजमा नरम होना चाहिए, लेकिन पेस्ट न बने।
2. मसाला तैयार करना:
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कढ़ाई में तेल गरम करें। जीरा डालें।
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अदरक-लहसुन और हरी मिर्च का पेस्ट डालें और भूनें।
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अब प्याज डालें और सुनहरा होने तक भूनें।
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टमाटर डालें और मसाले (हल्दी, मिर्च, धनिया पाउडर) डालें। अच्छे से भूनें जब तक तेल न छूटने लगे।
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इसमें उबला हुआ राजमा और थोड़ा पानी (जिसमें राजमा उबला था) डालें।
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15-20 मिनट धीमी आंच पर पकाएं ताकि राजमा ग्रेवी में अच्छे से घुल जाए।
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अंत में कसूरी मेथी और गरम मसाला डालकर मिलाएं।
3. चावल बनाना:
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चावल को धोकर 15 मिनट के लिए भिगो दें।
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पतीले में पानी और नमक डालकर उबालें, फिर चावल डालें।
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मध्यम आंच पर ढककर पकाएं। अंत में थोड़ा घी डालें।
परोसने का तरीका:
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एक प्लेट में गर्म चावल पर राजमा की ग्रेवी डालें।
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ऊपर से हरा धनिया और प्याज के लच्छे सजाएं।
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साथ में नींबू का टुकड़ा और एक कटोरी दही रखें।
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चाहें तो पापड़ या हरी चटनी भी परोस सकते हैं।
राजमा चावल से जुड़े भावनात्मक पहलू:
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यह व्यंजन सिर्फ खाना नहीं, परिवार की एकजुटता का प्रतीक है। अक्सर रविवार को पूरा परिवार साथ बैठकर राजमा चावल खाता है।
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हॉस्टल या विदेश में रहने वाले भारतीय युवाओं के लिए यह “घर की याद” दिलाने वाला व्यंजन है।
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यह व्यंजन भारत के स्ट्रीट फूड और ढाबों में भी उतना ही लोकप्रिय है।
राजमा चावल सिर्फ एक स्वादिष्ट पकवान नहीं, बल्कि भारतीय भोजन संस्कृति की आत्मा है। इसमें विदेशी तत्वों (राजमा) और भारतीयता (मसाले, तड़का, चावल) का अनोखा संगम है। इसके इतिहास से लेकर रेसिपी तक, हर पहलू हमें बताता है कि कैसे समय के साथ एक विदेशी फसल भारत के दिलों में बस गई।
अगर आपने कभी राजमा चावल नहीं चखा है, तो अगली बार इसे ज़रूर बनाएं – यकीन मानिए, आपको दोबारा इसे बार-बार बनाने का मन करेगा।
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