राजस्थानी रामरोटी: इतिहास, परंपरा और रेसिपी

राजस्थानी रामरोटी: भारत के हर कोने में भोजन केवल पेट भरने का साधन नहीं, बल्कि संस्कृति और परंपरा का हिस्सा होता है। राजस्थान की माटी, जहां एक ओर वीरता की गाथाएं गूंजती हैं, वहीं दूसरी ओर वहां की रसोई भी अपनी विशेषता से भरपूर है। ऐसे ही एक पारंपरिक व्यंजन का नाम है – रामरोटी

राजस्थानी रामरोटी
राजस्थानी रामरोटी

राजस्थानी रामरोटी न केवल स्वाद में अनोखी होती है, बल्कि इसके पीछे एक धार्मिक और ऐतिहासिक महत्व भी जुड़ा होता है। यह रोटी मुख्यतः त्योहारों, धार्मिक अवसरों और विशेषत: रामनवमी पर बनाई जाती है। आइए जानते हैं रामरोटी का इतिहास, इसका सांस्कृतिक महत्व और इसकी बनाने की पारंपरिक विधि।

राजस्थानी रामरोटी का इतिहास और सांस्कृतिक महत्व:

रामरोटी का नाम ही यह संकेत देता है कि इसका संबंध भगवान राम से है। रामनवमी, जो कि भगवान श्रीराम के जन्मदिन के रूप में मनाई जाती है, उस दिन विशेष रूप से यह रोटी बनाई जाती है। राजस्थान के कई गाँवों और कस्बों में यह परंपरा पीढ़ियों से चली आ रही है कि रामनवमी पर भगवान राम को रामरोटी का भोग लगाया जाता है।

इस रोटी की खास बात यह है कि इसे घी, गुड़, गेहूं का आटा, और कई बार सूजी या बेसन मिलाकर बनाया जाता है। इसका स्वाद मीठा और घी में तला हुआ होता है, जो इसे पूरी तरह से एक पारंपरिक, शुद्ध और सात्विक व्यंजन बनाता है।

राजस्थान के बाड़मेर, जैसलमेर, नागौर, और पाली ज़िलों में यह रोटी अधिक प्रसिद्ध है। यह न केवल धार्मिक प्रसाद के रूप में प्रयोग होती है, बल्कि इसे घर की बुज़ुर्ग महिलाएं भी बच्चों को ऊर्जा और स्वाद के लिए नियमित रूप से बनाकर खिलाती हैं।

राजस्थानी रामरोटी बनाने की विधि:

आवश्यक सामग्री (4-5 लोगों के लिए)

  1. गेहूं का आटा – 2 कप

  2. सूजी (रवा) – ½ कप (वैकल्पिक)

  3. गुड़ – 1 कप

  4. पानी – 1.5 कप

  5. घी – 4-5 चम्मच (आटे में डालने के लिए)

  6. घी – तलने के लिए

  7. इलायची पाउडर – ½ चम्मच

  8. सौंफ – 1 चम्मच (वैकल्पिक)

  9. सूखा नारियल (कद्दूकस किया हुआ) – 1 चम्मच (वैकल्पिक)

  10. मेवा (बारीक कटी हुई) – बादाम, काजू, किशमिश (इच्छानुसार)

बनाने की विधि:

स्टेप 1: गुड़ का शीरा बनाना

  1. एक पैन में पानी गर्म करें और उसमें गुड़ डाल दें।

  2. गुड़ को धीमी आंच पर पूरी तरह घुलने तक पकाएं।

  3. जब गुड़ पूरी तरह पिघल जाए, तो गैस बंद कर दें और मिश्रण को छान लें ताकि अशुद्धियाँ अलग हो जाएं।

  4. इसे ठंडा होने दें।

स्टेप 2: आटा गूंथना

  1. एक परात या बाउल में गेहूं का आटा लें।

  2. उसमें सूजी, इलायची पाउडर, सौंफ और कद्दूकस नारियल डालें।

  3. 4-5 चम्मच घी डालकर अच्छे से मिलाएं।

  4. अब धीरे-धीरे ठंडा किया गया गुड़ का पानी डालते हुए आटा गूंथें।

  5. आटा थोड़ा सख्त होना चाहिए, न कि बहुत मुलायम।

  6. इसे ढककर 20-30 मिनट तक रख दें।

स्टेप 3: रोटी बेलना और तलना

  1. अब गूंथे हुए आटे की लोइयां बनाएं।

  2. बेलन से हल्की मोटी रोटी बेलें। यह सामान्य रोटी से थोड़ी मोटी होती है।

  3. एक कढ़ाही में घी गर्म करें।

  4. मध्यम आंच पर रोटियों को एक-एक कर तलें।

  5. जब दोनों ओर से सुनहरा भूरा रंग आ जाए, तब निकालें।

  6. तलने के बाद, ऊपर से सूखे मेवे डालकर सजाएं।

रामरोटी के खास बिंदु:

  • यह रोटी ठंडी होने के बाद भी उतनी ही स्वादिष्ट रहती है, इसलिए इसे यात्रा या प्रसाद के रूप में दिया जाता है।

  • घी और गुड़ का मेल इसे ऊर्जा से भरपूर बनाता है, जो राजस्थान की कठोर जलवायु में उपयोगी है।

  • कई जगहों पर इसे “ठूसी” या “घी-गुड़ की रोटी” भी कहा जाता है।

पोषण और स्वास्थ्य लाभ:

  1. गुड़ पाचन को दुरुस्त करता है और शरीर में गर्मी बनाए रखता है।

  2. घी शरीर को चिकनाई देता है और हड्डियों को मजबूत करता है।

  3. गेहूं और सूजी कार्बोहाइड्रेट का अच्छा स्रोत होते हैं।

  4. इलायची और सौंफ से इसका स्वाद तो बढ़ता ही है, साथ ही यह पाचन में भी मदद करते हैं।

रामरोटी से जुड़ी कुछ रोचक बातें:

  • कुछ क्षेत्रों में रामरोटी को छोटे आकार की पूरी की तरह बनाया जाता है और उसे थाली में पंचामृत, पंचमेवा, और फल के साथ भगवान को चढ़ाया जाता है।

  • ग्रामीण इलाकों में आज भी इसे चूल्हे की आंच पर देसी घी में तला जाता है, जिससे इसका स्वाद और भी निखर जाता है।

रामरोटी सिर्फ एक रोटी नहीं, बल्कि राजस्थान की मिट्टी से जुड़ी एक भावना है। यह रोटी परंपरा, भक्ति, स्वाद और स्वास्थ्य का अद्भुत संगम है। अगर आप कभी भी राजस्थानी संस्कृति को महसूस करना चाहते हैं, तो रामरोटी बनाइए, उसे भगवान को अर्पित कीजिए और परिवार के साथ उसका आनंद लीजिए।

“जहां राम का नाम, वहां रामरोटी का स्वाद; राजस्थान की रसोई से निकली यह मिठास, मन को कर दे प्रफुल्लित और आत्मा को तृप्त।”

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