पुत्रदा एकादशी 2025: सनातन धर्म में एकादशी व्रत का विशेष महत्व है। वर्षभर में 24 एकादशी आती हैं और प्रत्येक का अपना अलग महत्त्व होता है। इन्हीं में से एक है पुत्रदा एकादशी, जिसे संतान सुख की कामना से विशेष रूप से किया जाता है। यह व्रत श्रावण और पौष मास में आता है। श्रावण शुक्ल पक्ष की एकादशी को भी पुत्रदा एकादशी कहा जाता है, परंतु पौष शुक्ल पक्ष की एकादशी का महत्व अधिक माना गया है। 2025 में यह व्रत श्रद्धा और विश्वास के साथ मनाया जाएगा।

पुत्रदा एकादशी का महत्व:
पुत्रदा एकादशी का व्रत उन दंपतियों के लिए अत्यंत फलदायी है, जिन्हें संतान प्राप्ति की इच्छा है। धार्मिक मान्यता है कि इस व्रत को करने से संतान सुख की प्राप्ति होती है और घर में सुख-समृद्धि आती है। भगवान विष्णु इस दिन विशेष कृपा करते हैं और भक्तों की संतान संबंधी सभी बाधाओं को दूर करते हैं।
शास्त्रों में कहा गया है कि इस व्रत का पालन करने से केवल संतान सुख ही नहीं, बल्कि जीवन के अन्य कष्ट भी दूर होते हैं और व्यक्ति को मोक्ष की प्राप्ति का मार्ग प्रशस्त होता है।
पुत्रदा एकादशी की व्रत कथा:
प्राचीन समय में महिष्मती नामक नगर में सुकेतु नाम के राजा राज्य करते थे। वे और उनकी पत्नी संतान सुख से वंचित थे, जिसके कारण वे बहुत दुखी रहते थे। संतान न होने की वजह से राजा और रानी हमेशा चिंता में रहते थे और प्रजा भी उनके वंशज की चिंता से परेशान थी।
एक दिन राजा व्याकुल होकर जंगल की ओर चले गए। वहां उनकी मुलाकात ऋषियों से हुई। राजा ने उन्हें अपनी व्यथा सुनाई और संतान की कामना व्यक्त की। ऋषियों ने उन्हें पौष शुक्ल एकादशी का व्रत करने का निर्देश दिया और कहा कि इस व्रत को करने से उन्हें अवश्य ही संतान सुख प्राप्त होगा।
राजा और रानी ने श्रद्धा से व्रत किया। भगवान विष्णु की कृपा से उन्हें एक सुंदर और तेजस्वी पुत्र की प्राप्ति हुई। तभी से इस एकादशी का नाम पुत्रदा एकादशी पड़ा।
पुत्रदा एकादशी व्रत की विधि:
पुत्रदा एकादशी का व्रत अत्यंत पवित्र माना जाता है। इस दिन व्रत रखने वाले को विशेष नियमों का पालन करना चाहिए।
-
व्रत से एक दिन पूर्व यानी दशमी तिथि को सात्विक भोजन ग्रहण करें और रात्रि में ब्रह्मचर्य का पालन करें।
-
एकादशी के दिन प्रातः स्नान करके भगवान विष्णु की पूजा करें और व्रत का संकल्प लें।
-
विष्णु भगवान को तुलसी दल, पीले फूल, पीली वस्तुएं और पंचामृत अर्पित करें।
-
दिनभर उपवास करें। यदि स्वास्थ्य अनुमति दे, तो निर्जल व्रत रखें, अन्यथा फलाहार करें।
-
शाम को भगवान विष्णु की आरती करें और कथा का श्रवण करें।
-
रात्रि में जागरण करना शुभ माना गया है।
-
द्वादशी के दिन व्रत का पारण करें और ब्राह्मणों व जरूरतमंदों को दान दें।
पुत्रदा एकादशी व्रत का धार्मिक लाभ:
-
संतान प्राप्ति की कामना रखने वाले दंपति को विशेष लाभ होता है।
-
घर-परिवार में सुख-शांति और समृद्धि का वास होता है।
-
व्यक्ति के पापों का नाश होता है और धर्म, अर्थ, काम तथा मोक्ष की प्राप्ति होती है।
-
यह व्रत भगवान विष्णु को अत्यंत प्रिय है, इसलिए उनकी विशेष कृपा प्राप्त होती है।
पुत्रदा एकादशी से जुड़ी मान्यताएं:
धर्मग्रंथों के अनुसार, पुत्रदा एकादशी का व्रत करने से न केवल वर्तमान जीवन में लाभ होता है, बल्कि मृत्यु के बाद भी आत्मा को मुक्ति मिलती है। जिन दंपतियों को संतान नहीं होती, उनके लिए यह व्रत अमृत समान है। इस दिन किया गया दान और जप अनंत गुना फलदायी होता है।
पुत्रदा एकादशी का व्रत केवल संतान सुख के लिए ही नहीं, बल्कि समग्र जीवन की शांति और उन्नति के लिए भी अत्यंत लाभकारी है। श्रद्धा और विश्वास के साथ किया गया यह व्रत भक्तों के जीवन से सभी कष्टों को दूर करता है और सुख-समृद्धि प्रदान करता है। इस एकादशी पर भगवान विष्णु की आराधना करने से भक्त को दिव्य आशीर्वाद प्राप्त होता है।
ऐसे और भी एक्सप्लेनर लेखों के लिए हमारे साथ जुड़े रहें! Khabari bandhu पर पढ़ें देश-दुनिया की ताज़ा ख़बरें — बिज़नेस, एजुकेशन, मनोरंजन, धर्म, क्रिकेट, राशिफल और भी बहुत कुछ।
Vogue Horoscope Today, July 29, 2025: Cosmic Guidance for Every Zodiac Sign