Trump Tariffs India: डोनाल्ड ट्रंप की ओर से भारत पर लगाए गए भारी-भरकम टैरिफ के बीच अब रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन जल्द ही भारत दौरे पर आ सकते हैं। इस दौरे को भारत-रूस संबंधों में एक बड़े मोड़ के तौर पर देखा जा रहा है, खासकर ऐसे वक्त में जब भारत को अमेरिका की ओर से व्यापारिक दबाव झेलना पड़ रहा है।
अजीत डोभाल की रूस यात्रा से मिले संकेत
हाल ही में भारत के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार (NSA) अजीत डोभाल रूस की राजधानी मॉस्को पहुंचे थे। वहां उन्होंने रूस की सुरक्षा परिषद के सचिव सर्गेई शोइगु से मुलाकात की। इस दौरान दोनों देशों के बीच रणनीतिक साझेदारी पर चर्चा हुई। डोभाल ने यह भी साफ किया कि राष्ट्रपति पुतिन का भारत दौरा इसी महीने के अंत तक तय हो चुका है।
क्रेमलिन ने भी की पुष्टि
रूस की ओर से भी इस दौरे की पुष्टि कर दी गई है। क्रेमलिन के वरिष्ठ अधिकारी यूरी उशाकोव ने बताया कि यह यात्रा भारत-रूस की वार्षिक द्विपक्षीय शिखर बैठक के तहत होगी। उन्होंने कहा कि दोनों देशों के नेताओं के बीच हर साल बैठक का समझौता है, और इस बार मेजबानी भारत करेगा।
पिछला पुतिन दौरा और मोदी-पुतिन संवाद
पुतिन ने पिछली बार दिसंबर 2021 में भारत का दौरा किया था। उस समय नई दिल्ली में 21वां भारत-रूस शिखर सम्मेलन आयोजित हुआ था। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी बीते साल दो बार रूस गए थे—पहली बार जुलाई में शिखर सम्मेलन के लिए और दूसरी बार अक्टूबर में ब्रिक्स सम्मेलन में भाग लेने के लिए।
हालांकि, मोदी इस साल रूस के विक्ट्री डे समारोह में शामिल नहीं हो पाए थे, लेकिन उन्होंने पुतिन को भारत आने का न्योता दिया था, जिसे अब स्वीकार कर लिया गया है।
भारत-रूस संबंध
भारत और रूस के बीच संबंध महज कूटनीतिक नहीं बल्कि रणनीतिक हैं। रूस के विदेश मंत्री सर्गेई लावरोव ने मार्च में ‘रूस और भारत: द्विपक्षीय संबंधों के लिए नया एजेंडा’ सम्मेलन में कहा था कि दोनों देशों के बीच राजनीतिक संवाद तेज़ी से बढ़ रहा है और इसमें नेताओं की अहम भूमिका रही है।
रूसी विदेश मंत्रालय का भी कहना है कि ये संबंध बाहरी दबावों से प्रभावित नहीं होते और यह समानता, आपसी सम्मान और सहयोग पर आधारित हैं।
दूसरी ओर अमेरिका का ‘टैरिफ बम’: भारत को तगड़ा झटका
रूस के साथ भारत की नजदीकियां अमेरिका को रास नहीं आ रही हैं। अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप, जो दोबारा चुनावी दौड़ में हैं, ने भारत पर दो बड़े टैरिफ लगाने का ऐलान कर दिया है। उनका कहना है कि भारत ने रूस से भारी मात्रा में तेल खरीदकर अप्रत्यक्ष रूप से यूक्रेन युद्ध में रूस की मदद की है।
टैरिफ की दोहरी मार: कुल 50% शुल्क
ट्रंप प्रशासन ने दो हिस्सों में टैरिफ लगाने की घोषणा की है:
- पहला टैरिफ: 25% जो ट्रेड डील विफल होने के चलते गुरुवार से लागू हो गया।
- दूसरा टैरिफ: 25% अतिरिक्त शुल्क जो 27 अगस्त से लागू होगा, जिसका कारण भारत द्वारा रूस से तेल खरीदना बताया गया है।
इस तरह भारत पर कुल मिलाकर 50% टैरिफ लगने जा रहा है, जिससे व्यापारिक संतुलन बुरी तरह प्रभावित होगा।
भारत-अमेरिका व्यापार की मौजूदा स्थिति
वित्त वर्ष 2024-25 में भारत और अमेरिका के बीच कुल 131.8 अरब डॉलर का व्यापार हुआ। इसमें:
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भारत का निर्यात: 86.5 अरब डॉलर
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भारत का आयात: 45.3 अरब डॉलर
टैरिफ के चलते भारत का यह निर्यात घट सकता है, जिससे व्यापार घाटा बढ़ने की आशंका है।
किन सेक्टर्स को होगा सबसे ज्यादा नुकसान?
टैरिफ का असर सबसे ज्यादा उन सेक्टर्स पर पड़ेगा, जिनका अमेरिकी बाजार पर भारी निर्भरता है। जैसे:
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कपड़ा उद्योग: $10.2 अरब का निर्यात है, 40-50% गिरावट की आशंका है।
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हीरे व आभूषण: $12 अरब का व्यापार, 50% तक असर पड़ सकता है।
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चमड़ा उत्पाद: $1.18 अरब का निर्यात, भारी नुकसान तय।
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झींगा मछली उद्योग: $2.24 अरब, कुल 33.26% टैक्स लगेगा।
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इलेक्ट्रिकल मशीनरी: $9 अरब, लगभग 50% गिरावट की संभावना है।
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केमिकल्स और फर्नीचर: निर्यात गिर सकता है, क्योंकि कुल टैक्स 50% से ज्यादा हो चुका है।
कपड़ा और मछली उद्योग पर सीधा असर
कपड़ा उद्योग पहले ही संकट झेल रहा है। CITI (Confederation of Indian Textile Industry) ने टैरिफ पर गहरी चिंता जताई है। पहले जहां कपड़ा निर्यात में 59% की वृद्धि हुई थी, अब इस पर ब्रेक लग सकता है।
वहीं, झींगा मछली उद्योग को भी करारा झटका लगा है। कोलकाता के मछली निर्यातक योगेश गुप्ता ने बताया कि पहले से ही झींगा पर लगभग 8% टैक्स लग रहा था, अब इसमें 25% और जुड़ गया है, जिससे कुल टैक्स 33.26% हो गया है। इससे अमेरिकी बाजार में प्रतिस्पर्धा कर पाना मुश्किल होगा।
क्या पुतिन की यात्रा भारत के लिए राहत बन सकती है?
ट्रंप की टैरिफ नीति के बीच अगर पुतिन भारत आते हैं तो यह दोनों देशों के लिए रणनीतिक लाभ का अवसर बन सकता है। भारत रूस के साथ अपने ट्रेड को बढ़ा सकता है, खासकर ऊर्जा, रक्षा और टेक्नोलॉजी के क्षेत्र में। रूस पहले से भारत को कच्चा तेल, गैस, रक्षा उपकरण, और उर्वरक निर्यात करता है। अब इसमें और तेजी आ सकती है।
ट्रंप की गलती: उल्टा पड़ सकता है फैसला?
ब्रिटिश अखबार द टेलीग्राफ ने ट्रंप के इस टैरिफ फैसले पर सवाल उठाए हैं। रिपोर्ट में कहा गया है कि यह कदम शायद ही अमेरिका के हित में जाए। भारत अब अमेरिका से दूर होकर रूस और चीन जैसे देशों के करीब जा सकता है, जिससे अमेरिका की ग्लोबल पोजिशन कमजोर हो सकती है।
रिपोर्ट में बताया गया है कि 2024 में भारत ने रूस से करीब 42 अरब पाउंड का कच्चा तेल खरीदा है और उसे रिफाइन करके वैश्विक बाजार में बेचा है। ट्रंप का मानना है कि इस व्यापार से रूस को अप्रत्यक्ष रूप से फायदा हो रहा है। लेकिन भारत का जवाब साफ है—उसे अपने राष्ट्रीय हित में निर्णय लेने का अधिकार है।
क्या भारत को बदलनी होगी अपनी विदेश नीति?
पुतिन की यात्रा और ट्रंप के टैरिफ के बीच भारत को संतुलन साधना होगा। एक ओर उसे अमेरिका जैसे बड़े बाजार की जरूरत है, वहीं दूसरी ओर रूस जैसे रणनीतिक साझेदार के साथ गहरे संबंध बनाए रखना भी जरूरी है।
भारत के सामने अब दो बड़े सवाल हैं:
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क्या वह रूस के साथ और गहरे व्यापारिक रिश्ते बनाएगा?
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क्या वह अमेरिका के टैरिफ से निपटने के लिए WTO या अन्य वैश्विक मंचों पर जा सकता है?
इन सवालों का जवाब आने वाले दिनों में मिलेगा, लेकिन इतना तय है कि भारत की विदेश नीति और ट्रेड पॉलिसी अब एक नए मोड़ पर खड़ी है।
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