रूस और यूक्रेन के बीच जारी युद्ध एक बार फिर अंतरराष्ट्रीय सुर्खियों में है। इसी बीच, भारत के PM Modi और यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोदिमिर जेलेंस्की के बीच फोन पर महत्वपूर्ण बातचीत हुई। इस बातचीत में दोनों नेताओं ने युद्ध की ताजा स्थिति, शांति बहाली के प्रयास और द्विपक्षीय सहयोग जैसे अहम मुद्दों पर विस्तार से चर्चा की।
PM Modi ने दोहराया शांति का संदेश
PM Modi ने राष्ट्रपति जेलेंस्की को भरोसा दिलाया कि भारत यूक्रेन में संघर्ष का शांतिपूर्ण समाधान चाहता है और इस दिशा में हर संभव योगदान देने के लिए तैयार है। उन्होंने कहा कि भारत की प्राथमिकता है कि युद्ध जल्द खत्म हो और लोगों को सामान्य जीवन वापस मिले।
PM Modi ने अपने आधिकारिक X (पूर्व ट्विटर) पोस्ट में लिखा:
“Glad to speak with President Zelenskyy and hear his perspectives on recent developments. I conveyed India’s consistent position on the need for an early and peaceful resolution of the conflict. India remains committed to making every possible contribution in this regard…”
यूक्रेन के हालात पर जेलेंस्की ने दी जानकारी
राष्ट्रपति जेलेंस्की ने PM Modi को यूक्रेन की मौजूदा स्थिति के बारे में विस्तार से बताया। उन्होंने कहा कि हाल के दिनों में रूसी सेना ने यूक्रेन के कई शहरों और गांवों में बमबारी की है, जिसमें जोपोरिजिया के बस स्टेशन पर हुआ हमला भी शामिल है। इस हमले में दर्जनों लोग घायल हुए और कई की जान चली गई।
जेलेंस्की ने आरोप लगाया कि रूस युद्धविराम की बजाय कब्जे और हमलों को जारी रखने का इरादा दिखा रहा है। उन्होंने कहा कि यह महत्वपूर्ण है कि भारत जैसे बड़े और प्रभावशाली देश हमारे शांति प्रयासों का समर्थन करें।
रूस पर प्रतिबंधों की चर्चा
बातचीत के दौरान रूस पर लगाए गए आर्थिक प्रतिबंधों पर भी चर्चा हुई। राष्ट्रपति जेलेंस्की ने कहा कि रूस की युद्ध क्षमता को कमजोर करने के लिए उसके ऊर्जा और तेल निर्यात को सीमित करना जरूरी है। उनका मानना है कि जब तक रूस के पास युद्ध को फंड करने के लिए संसाधन मौजूद रहेंगे, तब तक संघर्ष जारी रहेगा।
भारत का संतुलित रुख
भारत शुरुआत से ही रूस-यूक्रेन युद्ध में संतुलित कूटनीतिक रुख अपनाए हुए है।
- भारत ने युद्ध में नागरिकों की मौत पर चिंता जताई है।
- रूस और यूक्रेन दोनों से बातचीत के जरिए समाधान निकालने की अपील की है।
- भारत ने कई बार मानवीय सहायता भेजकर यूक्रेन की मदद भी की है।
भारत का यह रुख वैश्विक स्तर पर उसे एक विश्वसनीय मध्यस्थ के रूप में स्थापित करता है।
यूक्रेन-भारत द्विपक्षीय संबंध
इस बातचीत में द्विपक्षीय संबंधों को मजबूत करने पर भी चर्चा हुई।
- व्यापार और निवेश में सहयोग
- कृषि और तकनीकी क्षेत्रों में साझेदारी
- ऊर्जा आपूर्ति और वैकल्पिक ऊर्जा स्रोतों पर काम
जेलेंस्की ने भारत के समर्थन और सहयोग के लिए पीएम मोदी का आभार जताया।
रूस-यूक्रेन युद्ध की पृष्ठभूमि
फरवरी 2022 में रूस ने यूक्रेन पर हमला किया था, जिससे यह संघर्ष शुरू हुआ।
- रूस ने डोनबास और क्रीमिया जैसे क्षेत्रों पर कब्जे को लेकर अपनी स्थिति मजबूत की।
- यूक्रेन ने पश्चिमी देशों से सैन्य और आर्थिक मदद ली।
- इस युद्ध में लाखों लोग विस्थापित हो चुके हैं और हजारों नागरिक मारे गए हैं।
शांति की राह में चुनौतियां
शांति समाधान की कोशिशों के बावजूद कई बाधाएं हैं:
- दोनों देशों के बीच विश्वास की कमी
- क्षेत्रीय नियंत्रण को लेकर विवाद
- पश्चिमी देशों और रूस के बीच भू-राजनीतिक टकराव
भारत जैसे देशों के लिए यह एक अवसर भी है कि वे अपने कूटनीतिक कौशल का उपयोग करके इस संघर्ष को खत्म करने में मदद करें।
मानवीय संकट गहराता जा रहा है
यूक्रेन में युद्ध ने मानवीय संकट को बेहद गंभीर बना दिया है:
- लाखों लोग अपने घर छोड़ने को मजबूर
- बुनियादी ढांचे का विनाश
- बिजली, पानी और स्वास्थ्य सेवाओं का अभाव
भारत ने कई बार यूक्रेन को दवाएं, खाद्य सामग्री और अन्य जरूरी सामान भेजकर मानवीय सहायता दी है।
भारत की भूमिका क्यों अहम है?
भारत का रूस और यूक्रेन दोनों से संतुलित संबंध है।
- रूस भारत का रक्षा सहयोगी है
- यूक्रेन से भारत का व्यापार और शिक्षा संबंध मजबूत है (हजारों भारतीय छात्र यूक्रेन में पढ़ते हैं)
इसी वजह से भारत की पहल को दोनों पक्ष गंभीरता से लेते हैं।
PM Modi और राष्ट्रपति जेलेंस्की की बातचीत एक सकारात्मक संकेत है कि भारत अंतरराष्ट्रीय मुद्दों पर सक्रिय भूमिका निभा रहा है। भारत का रुख स्पष्ट है—युद्ध किसी समाधान का रास्ता नहीं है, शांति ही असली जीत है।
अगर आने वाले दिनों में भारत इस वार्ता को कूटनीतिक रूप से आगे बढ़ाता है, तो संभव है कि रूस-यूक्रेन युद्ध के समाधान में एक बड़ी प्रगति हो।
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