PM Modi China Japan Visit: SCO समिट और जापान शिखर सम्मेलन में लेंगे हिस्सा, जानें क्यों है ये विदेश यात्रा खास

PM Modi China Japan Visit: भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 2025 में एक बार फिर से अंतरराष्ट्रीय मंचों पर भारत का प्रतिनिधित्व करने जा रहे हैं। उनका आगामी जापान और चीन दौरा न केवल राजनयिक रूप से महत्वपूर्ण है, बल्कि क्षेत्रीय सुरक्षा, आर्थिक सहयोग और रणनीतिक साझेदारी की दृष्टि से भी अत्यंत खास माना जा रहा है।

यह दौरा 31 अगस्त से शुरू होकर 1 सितंबर को समाप्त होगा। सबसे पहले प्रधानमंत्री जापान की यात्रा पर जाएंगे, जहां वह भारत-जापान शिखर सम्मेलन में हिस्सा लेंगे। इसके बाद वह सीधे चीन के शंघाई जाएंगे, जहां वह शंघाई सहयोग संगठन (SCO) समिट में शामिल होंगे।

PM मोदी का जापान दौरा: भारत-जापान संबंधों को मिलेगा नया आयाम

PM Modi China Japan Visit

प्रधानमंत्री मोदी का यह एशियाई दौरा जापान यात्रा से शुरू होगा। 30 अगस्त की रात वह जापान के लिए रवाना होंगे और 31 अगस्त को जापान के प्रधानमंत्री फुमियो किशिदा से मुलाकात करेंगे।

यह मुलाकात एक द्विपक्षीय शिखर सम्मेलन का हिस्सा है, जहां दोनों देशों के बीच कई अहम मुद्दों पर चर्चा की जाएगी। भारत और जापान के बीच सांस्कृतिक, आर्थिक और रक्षा जैसे क्षेत्रों में गहरे रिश्ते हैं।

किन मुद्दों पर होगी जापान में चर्चा?

जापान के साथ पीएम मोदी की बातचीत में कई अहम बिंदु शामिल होंगे, जो भारत के विकास और क्षेत्रीय सहयोग के लिए जरूरी हैं:

  • बुलेट ट्रेन प्रोजेक्ट पर शिंकानसेन तकनीक की साझेदारी:
    भारत में मुंबई-अहमदाबाद बुलेट ट्रेन प्रोजेक्ट में जापान की तकनीकी मदद बेहद अहम है। उम्मीद है कि इस दौरे में इस पर बड़ी प्रगति होगी।

  • आर्थिक निवेश और व्यापार:
    जापानी कंपनियों को भारत में निवेश करने के लिए आमंत्रित किया जाएगा। ‘मेक इन इंडिया’ अभियान के तहत जापान की बड़ी कंपनियों से निवेश की अपेक्षा है।

  • सुरक्षा और समुद्री सहयोग:
    हिंद-प्रशांत क्षेत्र में चीन की बढ़ती गतिविधियों के बीच भारत और जापान समुद्री सुरक्षा और साझा सैन्य अभ्यासों पर भी विचार कर सकते हैं।

  • डिजिटल, टेक्नोलॉजी और स्टार्टअप सहयोग:
    दोनों देश डिजिटल इनोवेशन, सेमीकंडक्टर निर्माण, ग्रीन एनर्जी और आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस पर सहयोग बढ़ाने की दिशा में भी कदम उठा सकते हैं।

जापान से सीधे चीन जाएंगे प्रधानमंत्री मोदी

जापान दौरे के बाद 31 अगस्त को प्रधानमंत्री मोदी चीन जाएंगे, जहां वह शंघाई में आयोजित SCO समिट 2025 में हिस्सा लेंगे। यह समिट कई मायनों में विशेष है क्योंकि यह पहली बार है जब गलवान घाटी में तनाव के बाद कोई भारतीय प्रधानमंत्री चीन की धरती पर जाएगा।

भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 2025 में एक बार फिर से अंतरराष्ट्रीय मंचों पर भारत का प्रतिनिधित्व करने जा रहे हैं। उनका आगामी जापान और चीन दौरा न केवल राजनयिक रूप से महत्वपूर्ण है, बल्कि क्षेत्रीय सुरक्षा, आर्थिक सहयोग और रणनीतिक साझेदारी की दृष्टि से भी अत्यंत खास माना जा रहा है।

यह दौरा 31 अगस्त से शुरू होकर 1 सितंबर को समाप्त होगा। सबसे पहले प्रधानमंत्री जापान की यात्रा पर जाएंगे, जहां वह भारत-जापान शिखर सम्मेलन में हिस्सा लेंगे। इसके बाद वह सीधे चीन के शंघाई जाएंगे, जहां वह शंघाई सहयोग संगठन (SCO) समिट में शामिल होंगे।

SCO समिट में क्या है भारत की भूमिका?

शंघाई सहयोग संगठन (SCO) एक बहुपक्षीय संगठन है जिसमें भारत, चीन, रूस, पाकिस्तान, और मध्य एशियाई देशों जैसे कि कज़ाखस्तान, उज्बेकिस्तान, ताजिकिस्तान, किर्गिस्तान शामिल हैं। यह संगठन आतंकवाद, सीमा सुरक्षा, आर्थिक सहयोग और क्षेत्रीय स्थिरता पर केंद्रित होता है।

प्रधानमंत्री मोदी की उपस्थिति इस समिट में इसलिए भी महत्वपूर्ण है क्योंकि:

  • आतंकवाद के खिलाफ सामूहिक रणनीति पर चर्चा होगी
  • भारत की एक्ट ईस्ट पॉलिसी को मजबूती मिलेगी
  • भारत-रूस-चीन त्रिकोणीय रिश्तों में नया संतुलन आ सकता है

क्या होगी पुतिन और शी जिनपिंग से मुलाकात?

सम्भावना जताई जा रही है कि SCO समिट के दौरान प्रधानमंत्री मोदी की रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन और चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग से अलग से द्विपक्षीय बैठक हो सकती है।

यह मुलाकातें ऐसे समय में हो रही हैं जब:

  • भारत और रूस के बीच तेल व्यापार बढ़ रहा है
  • अमेरिका द्वारा भारत पर टैरिफ की चेतावनी दी जा रही है
  • चीन और भारत के बीच सीमा पर लंबे समय से तनाव बना हुआ है

ऐसे में ये बैठकें न केवल कूटनीतिक दृष्टि से अहम हैं, बल्कि वैश्विक राजनीति में भारत की भूमिका को भी मजबूत करने वाली हैं।

भारत-चीन संबंध: क्या बदल सकता है यह दौरा?

भारत और चीन के बीच गलवान घाटी में 2020 में हुई झड़प के बाद रिश्तों में खटास आई थी। दोनों देशों के बीच सीमित बातचीत और कूटनीतिक दूरी देखी गई थी। लेकिन अब जब पीएम मोदी चीन की धरती पर SCO सम्मेलन में हिस्सा ले रहे हैं, तो यह एक ‘पॉजिटिव डिप्लोमैटिक सिग्नल’ के रूप में देखा जा रहा है।

यह देखना दिलचस्प होगा कि क्या इस यात्रा से LAC पर तनाव कम करने और व्यापारिक रिश्तों को फिर से सक्रिय करने की कोई पहल होती है या नहीं।

भारत की ‘वसुधैव कुटुम्बकम’ नीति का उदाहरण

PM मोदी का यह दौरा भारत की ‘वसुधैव कुटुम्बकम’ यानी ‘पूरा विश्व एक परिवार है’ की नीति को भी दर्शाता है। भारत ना सिर्फ अपनी सीमाओं के भीतर मजबूत बन रहा है, बल्कि वैश्विक मंचों पर एक निर्णायक शक्ति के रूप में उभर रहा है।

जापान और चीन, दोनों ही देश एशिया के बड़े शक्ति केंद्र हैं, और भारत की इनके साथ मजबूत साझेदारी एशिया में संतुलन बनाए रखने के लिए जरूरी है।

विदेश मंत्रालय ने अपने बयान में कहा कि प्रधानमंत्री की यह यात्रा:

“भारत की बहुपक्षीय कूटनीति को मजबूती प्रदान करेगी और वैश्विक मंचों पर भारत की भागीदारी को और प्रभावी बनाएगी। प्रधानमंत्री मोदी द्वारा किया जाने वाला संवाद, रणनीतिक साझेदारी को नए स्तर पर ले जाएगा।”

कूटनीतिक रूप से बेहद अहम है यह दौरा

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का जापान और चीन दौरा सिर्फ एक औपचारिक यात्रा नहीं है, बल्कि यह एशिया की राजनीतिक दिशा, आर्थिक सहयोग और सुरक्षा नीतियों को आकार देने वाला पड़ाव है।

भारत का बढ़ता वैश्विक प्रभाव, मजबूत नेतृत्व और रणनीतिक सोच इस यात्रा के माध्यम से एक बार फिर दुनिया को दिखाई देगा।

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