लिंगड़ की सब्ज़ी: उत्तराखंड और हिमाचल जैसे हिमालयी राज्यों में पाए जाने वाले एक खास पहाड़ी पौधे “लिंगड़” (जिसे फर्न या डिप्लाजियम भी कहा जाता है), का खानपान में विशेष स्थान है। ये एक जंगली शाकीय पौधा है जो बरसात की शुरुआत और गर्मियों के अंत में पहाड़ों में खूब उगता है। लिंगड़ की खासियत इसकी कुरकुरी डंठलें और हल्का कसैला स्वाद है, जो इसे सब्ज़ी या अचार के लिए परफेक्ट बनाता है।

इतिहास और परंपरा में लिंगड़:
लिंगड़ का इतिहास सीधे-सीधे स्थानीय पारंपरिक खानपान और आदिवासी संस्कृति से जुड़ा हुआ है। उत्तराखंड के कुमाऊं और गढ़वाल क्षेत्रों में लिंगड़ की सब्जी सदियों से खाई जाती रही है। पहले के ज़माने में जब खेती कम होती थी और जंगली खाद्य स्रोतों पर ज़्यादा निर्भरता थी, तब लिंगड़, बिच्छू घास (कंडाली), चौलाई, गिठा, आदि जैसे शाक्य पौधे भोजन का मुख्य हिस्सा हुआ करते थे।
राजसी व्यंजन नहीं, लेकिन गरीब का पोषण!
हालाँकि लिंगड़ किसी राजघराने की थाली में नहीं दिखता था, लेकिन यह पहाड़ों के ग्रामीण और मेहनतकश लोगों की थाली में पोषण और स्वाद का स्रोत बना। इसमें फाइबर, आयरन, पोटैशियम और कई सूक्ष्म पोषक तत्व होते हैं जो शरीर के लिए बहुत लाभकारी होते हैं।
लिंगड़ की सब्जी बनाने की विधि (Pahadi Style):
आवश्यक सामग्री:
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लिंगड़ (फर्न शुट्स) – 250 ग्राम
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प्याज – 1 मध्यम आकार का (बारीक कटा हुआ)
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लहसुन – 4-5 कलियाँ (कुचली हुई)
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हरी मिर्च – 2 (बारीक कटी हुई)
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टमाटर – 1 (वैकल्पिक, अगर खट्टा स्वाद चाहिए)
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हल्दी – 1/2 छोटा चम्मच
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नमक – स्वादानुसार
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राई या जाख्या – 1/2 छोटा चम्मच
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सरसों का तेल – 2 बड़े चम्मच
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धनिया पत्ती – सजावट के लिए
बनाने की विधि:
1. लिंगड़ की सफाई और उबालना:
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सबसे पहले लिंगड़ की सिरे की कली (जो मुड़ी हुई होती है) को थोड़ा काट लें।
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डंठल से सख्त रेशे हटाएं।
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इसे पानी से अच्छे से धो लें।
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अब एक बर्तन में पानी गर्म करें और लिंगड़ को 5-7 मिनट हल्का उबाल लें ताकि कड़वाहट और कसैलापन निकल जाए।
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फिर ठंडे पानी में डालकर छान लें और एक तरफ रख दें।
2. मसाला तैयार करना:
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एक कढ़ाई में सरसों का तेल गर्म करें। जब तेल धुआँ छोड़ने लगे, तो आंच धीमी करें।
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इसमें राई या जाख्या डालें। यह पहाड़ी खाना बनाने का ट्रेडिशनल तरीका है।
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फिर लहसुन डालें और सुनहरा होने तक भूनें।
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अब प्याज डालें और हल्का सुनहरा होने तक भूनें।
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अगर आप टमाटर डाल रहे हैं तो अब डालें और मसाले के साथ पकाएं।
3. लिंगड़ मिलाना:
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अब उबला हुआ लिंगड़ डालें और ऊपर से हल्दी व नमक डालें।
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मध्यम आंच पर 5-10 मिनट भूनें जब तक सब्जी अच्छे से मसालों के साथ मिल न जाए।
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ऊपर से हरी धनिया छिड़कें और गैस बंद कर दें।
परोसने का तरीका:
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लिंगड़ की यह स्वादिष्ट पहाड़ी सब्ज़ी गरमा-गरम फुलके, मक्के की रोटी या भात (चावल) के साथ बहुत स्वादिष्ट लगती है।
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आप चाहें तो इसे पिसी हुई भांग की चटनी या झंगोरे की खीर के साथ भी परोस सकते हैं – यह एक पूरा पारंपरिक पहाड़ी भोजन बन जाता है।

लिंगड़ सब्जी के स्वास्थ्य लाभ:
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पाचन में सहायक: लिंगड़ में फाइबर अधिक होता है, जिससे यह पेट साफ रखने में मदद करता है।
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एंटीऑक्सीडेंट से भरपूर: इसमें पॉलीफेनॉल्स होते हैं जो शरीर में फ्री रेडिकल्स से लड़ते हैं।
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शरीर को ठंडक प्रदान करता है: पहाड़ी मान्यता है कि यह शरीर की गर्मी को संतुलित करता है।
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आयरन का स्रोत: एनीमिया के मरीजों के लिए यह एक अच्छा प्राकृतिक विकल्प है।
लुप्त होती परंपरा और इसका संरक्षण:
आज के दौर में जब पैकेज्ड और इंस्टेंट फूड का चलन बढ़ा है, ऐसे पारंपरिक जंगली खाद्य स्रोत धीरे-धीरे हमारे भोजन से गायब हो रहे हैं। युवाओं को इसका स्वाद पसंद नहीं आता या उन्हें इसके बारे में जानकारी ही नहीं है।
हालांकि, हाल के वर्षों में जैव विविधता और पारंपरिक भोजन की ओर वापसी की लहर चल रही है, जिसमें लिंगड़ जैसे पौधे फिर से चर्चा में आ रहे हैं। कुछ पहाड़ी रेस्टोरेंट्स ने इसे अपने मेन्यू में भी शामिल किया है।

लिंगड़ की सब्ज़ी सिर्फ एक व्यंजन नहीं बल्कि पहाड़ों की जीवनशैली, संघर्ष और प्रकृति से प्रेम की प्रतीक है। जब हम लिंगड़ खाते हैं, तो हम न केवल स्वाद लेते हैं बल्कि सदियों पुराने जीवन दर्शन को भी अपनाते हैं – जिसमें प्रकृति से जुड़ाव, मौसमी भोजन और साधारणता में सुंदरता छिपी होती है।
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