लिंगड़ का अचार: उत्तराखंड और हिमाचल की पहाड़ियों में पाया जाने वाला एक खास और पारंपरिक पौधा है लिंगड़। यह जंगली फर्न (Fiddlehead Fern) की एक प्रजाति होती है जो वसंत और बरसात के समय उगती है। लिंगड़ की सब्जी तो प्रसिद्ध है ही, लेकिन इसका अचार भी बेहद चटपटा और स्वास्थ्यवर्धक होता है। पहाड़ों में यह अचार लंबे समय तक संग्रहित किया जाता है और परंपरागत भोजन में इसके साथ भात, मंडुए की रोटी या फाणु जैसे व्यंजन परोसे जाते हैं।

यह अचार ना केवल स्वाद बढ़ाता है, बल्कि इसमें मौजूद पोषक तत्व स्वास्थ्य के लिए भी लाभदायक होते हैं। आइए जानते हैं इसकी पारंपरिक पहाड़ी विधि।
लिंगड़ का अचार बनाने की विधि:
आवश्यक सामग्री:
सामग्री | मात्रा |
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लिंगड़ (फर्न शुट्स) | 250 ग्राम |
सरसों का तेल | 1 कप |
राई (दरदरी पिसी हुई) | 2 बड़े चम्मच |
मेथी दाना (भुना हुआ) | 1 छोटा चम्मच |
हल्दी पाउडर | 1 छोटा चम्मच |
लाल मिर्च पाउडर | 2 छोटे चम्मच |
हींग (पिसी हुई) | 1/4 छोटा चम्मच |
नमक | स्वादानुसार |
सिरका (वैकल्पिक) | 2 बड़े चम्मच (अगर लंबे समय तक रखना हो) |
स्टेप-बाय-स्टेप विधि:
1. लिंगड़ की सफाई और उबालना:
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लिंगड़ को पहले अच्छी तरह धो लें और डंठल के सिरे काटें।
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डंठल के ऊपर के रेशों को हल्के हाथों से छील लें ताकि अचार में रेशेदार हिस्सा न आए।
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अब इसे एक बर्तन में हल्के नमक के साथ 5-6 मिनट के लिए उबाल लें।
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उबालने के बाद छान लें और एक कपड़े पर फैलाकर अच्छी तरह सूखने दें। अगर धूप हो तो कुछ घंटे धूप में भी रख सकते हैं।
👉 टिप: लिंगड़ में हल्की नमी भी बची हो तो अचार जल्दी खराब हो सकता है, इसलिए इसे पूरी तरह सूखाना ज़रूरी है।
2. मसाले तैयार करना:
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एक कढ़ाई में सरसों का तेल गरम करें और इसे अच्छी तरह से धुआं छोड़ने तक पकाएं ताकि इसकी कच्ची गंध निकल जाए।
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आंच बंद करें और तेल को थोड़ा ठंडा होने दें।
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अब इसमें हींग, पिसी राई, भुना हुआ मेथी दाना, हल्दी और लाल मिर्च पाउडर डालें और अच्छे से मिलाएं।
👉 पहाड़ी स्वाद के लिए दरदरे मसाले रखें, बारीक पाउडर की बजाय दरदरा राई और मेथी अचार को अधिक स्वादिष्ट बनाता है।
3. अचार मिलाना और भरना:
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एक बड़े सूखे बर्तन या थाली में उबले और सूखे लिंगड़ रखें।
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ऊपर से तैयार किया हुआ मसालेदार तेल डालें और अच्छे से मिलाएं ताकि हर लिंगड़ मसाले में लिपट जाए।
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स्वाद के अनुसार नमक डालें।
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अगर आप लंबे समय तक अचार स्टोर करना चाहते हैं, तो अब सिरका मिलाएं।
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अब इस अचार को किसी कांच या चीनी मिट्टी के बर्तन (बरनी) में भर दें।
4. अचार को पकने देना:
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अचार को 2-3 दिन के लिए धूप में रखें और रोज़ एक बार साफ सूखे चम्मच से हिला लें।
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3-4 दिन बाद अचार खाने के लिए तैयार हो जाएगा।

लिंगड़ अचार के साथ परोसे जाने वाले व्यंजन:
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गर्म भात (चावल)
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मंडुए की रोटी
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झंगोरे की खीर
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फाफरे या फाणु
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भांग की चटनी के साथ थाली
स्वास्थ्य लाभ:
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पाचन में सहायक:
लिंगड़ में फाइबर अधिक होता है, जिससे यह कब्ज को दूर करता है। -
एंटीऑक्सीडेंट गुण:
लिंगड़ और सरसों के तेल दोनों में शरीर को डिटॉक्स करने की शक्ति होती है। -
संक्रमण से सुरक्षा:
इसमें मिलने वाली राई, मेथी, हींग जैसे मसाले एंटीबैक्टीरियल होते हैं। -
हड्डियों के लिए लाभकारी:
लिंगड़ में कैल्शियम और आयरन जैसे खनिज होते हैं जो हड्डियों को मजबूत बनाते हैं।
रख-रखाव की सावधानियाँ:
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अचार निकालते समय हमेशा सूखा चम्मच इस्तेमाल करें।
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धूप में रखने से अचार की शेल्फ लाइफ बढ़ती है।
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फ्रिज में रखें तो 2-3 महीने तक चलेगा, लेकिन पारंपरिक तरीके से अगर धूप और तेल अच्छा हो तो 6 महीने तक खराब नहीं होता।
लिंगड़ का अचार एक परंपरागत पहाड़ी खजाना है जो स्वाद और पोषण से भरपूर होता है। यह अचार ना केवल भोजन का स्वाद बढ़ाता है, बल्कि पहाड़ी जीवनशैली की सादगी और प्रकृति के साथ तालमेल का प्रतीक भी है। जब अगली बार आप पहाड़ जाएं, तो लिंगड़ ज़रूर लाएं और इसका अचार बनाकर अपनी थाली में प्रकृति का एक टुकड़ा सजाएं।
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पहाड़ी लिंगड़ की सब्ज़ी: एक पारंपरिक स्वाद और पहाड़ों की विरासत