ऑपरेशन सिंदूर: ऑपरेशन सिंदूर भारत द्वारा 7 मई 2025 की रात शुरू की गई एक सैन्य प्रतिक्रिया थी, जिसे भारत ने पाकिस्तान में आतंकवादी ढांचे को लक्षित करते हुए लागू किया। रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने संसद में बताया कि इस अभियान के तहत जैश-ए-मोहम्मद, लश्कर-ए-तैयबा और हिज़बुल मुजाहिद्दीन के लगभग 9 ठिकानों पर मिसाइल और एयर स्ट्राइक की गयीं, जिसमें 100 से अधिक आतंकियों, उनके प्रशिक्षकों और handlers को निशाना बनाया गया। ऑपरेशन लगभग 22–23 मिनट मेंपूर्ण हुआ।
भारत का दावा है कि इस ऑपरेशन में कोई भारतीय सैनिक घायल नहीं हुआ। रक्षा मंत्री ने यह भी कहा कि इस ऑपरेशन को 10 मई 2025 को विराम दिया गया, जब संबंधित उद्देश्य पूरे हो गए और किसी बाहरी दबाव की आवश्यकता नहीं थी।

क्यों आज फिर सुर्खियों में है?
लोकसभा में विशेष बहस:
28 और 29 जुलाई 2025 को संसद की मानसून सत्र में ऑपरेशन सिंदूर पर विशेष संसद बहस हुई, जिसमें विपक्ष के नेता जैसे कांग्रेस के गौरव गोगोई ने सरकार से सवाल उठाए कि आखिर आतंकियों ने पहलगाम तक कैसे प्रवेश किया था, और सरकार ने सुरक्षाबलों को दीवार क्यों नहीं लगाने दी? वहीं, रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने विपक्ष की हर आलोचना का जवाब दिया और कहा कि सवालों में राष्ट्रीय भावना का आभास नहीं होता, बल्कि आतंकियों की क्षति पूछी जानी चाहिए, उन पर वार हुआ? हां—भारतीय विमानों को नहीं गिराया गया सिवाय विरोध के जो गलत आरोप लगाए गए।
कांग्रेस में मतभेद:
कांग्रेस पार्टी ने जयशंकर व गोगोई जैसे नेताओं को बहस में भाग लेने भेजा, लेकिन वरिष्ठ नेता शशि थरूर ने कांग्रेस की लाइन नहीं फॉलो की। उन्हें बिल्कुल तय किया कि वे ऑपरेशन का समर्थन करते हैं, इसलिए पार्टी की आलोचना‑मुखर बहस का हिस्सा नहीं बने, और उन्हें बहस से बाहर किया गया। मनीष तिवारी ने भी पार्टी निर्णय पर सोशल मीडिया में सवाल उठाया और अपनी प्रतिक्रिया “भारत की बात सुनाता हूँ…” पोस्ट की।
सुरक्षा विशेषज्ञों के विचार:
मुख्य रक्षा जनरल (CDS) अनिल चौहान ने कहा कि ऑपरेशन अभी भी जारी है और तैयारियों को उच्च स्तर पर बनाये रखना होगा क्योंकि “युद्ध में दूसरा नंबर नहीं होता”। उन्होंने बता दिया कि भारत की सैन्य व्यवस्था किसी तात्कालिक निर्णय से नहीं रुकी, बल्कि योजना के अनुसार चल रही है।
लोक‑संचार और प्रचार गतिविधियाँ:
भारतीय सेना ने ऑपरेशन की सफलता को युवाओं तक पहुँचाने के लिए एक व्यापक आउटरीच कार्यक्रम शुरू किया। इसमें जवानों द्वारा स्कूलों, कॉलेजों और NCC कैडेटों के पास जाकर ऑपरेशन की जानकारी साझा की गई, साथ‑ही सोशल मीडिया पर देशभक्ति संदेश और कोट्स सार्वजनिक किए गए जैसे: “धर्म पूछकर मारा था, धर्म बताकर जवाब दिया है”। एक विशेष मामला राजस्थान में एक किसान परिवार का हुआ, जिन्होंने अपने बेटे की शादी के कार्ड में ऑपरेशन सिंदूर को श्रद्धांजलि स्वरूप दर्शाया, जो देशभर में वायरल हो गया।

चुनी गई घटनाओं से राजनीतिक उठापटक:
कांग्रेस सांसद प्रणिति शिंदे ने आरोप लगाया कि सरकार ऑपरेशन सिनदूर का राजनीतिक फायदा चुनावों से पहले उठाने की कोशिश कर रही है, जिसे विपक्ष ने मनगढ़ंत बताया। वहीं SP के महाराष्ट्र अध्यक्ष अबु आसिम आज़मी ने चिंता जताई कि यह अभियान समुदाय विशेष को निशाना बना सकता है, और सरकार को स्पष्ट स्पष्टीकरण देने की मांग की गई। BSP नेता मायावती ने अपील की कि सभी दल पार करने राजनीति से ऊपर उठें, उन्होंने ऑपरेशन की सराहना भी की और इसे गौरवपूर्ण बताया।
ऑपरेशन सिंदूर भारत का सीमापार आतंकी ढांचों के खिलाफ एक निर्णायक सैन्य अभियान था, जिसे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह के नेतृत्व में लागू किया गया। संसद में इसका लाइव बहस केंद्र बना, जहां विपक्ष और सरकार के बीच गहरी बहस हुई। राजनीतिक दलों के बीच मतभेद को दर्शाया कि कांग्रेस के अंदर भी नेता खुलेआम समर्थन या विरोध में एकमत नहीं थे।
लोकप्रिय समर्थन के रूप में सोशल मीडिया पर देशभक्ति संदेश और वायरल शादी के निमंत्रण कार्ड ने ऑपरेशन को नागरिक भावनाओं से जोड़ा। वहीं, राजनीतिक दलों ने इसे चुनावी रणनीति और सुरक्षा नीति दोनों के रूप में उठाया।
इस सब के बीच, ऑपरेशन की रणनीतिक तैयारी, लॉजिस्टिक्स (रसद व्यवस्था) का सशक्त संचालन, और उत्तरोत्तर कूटनीतिक व सैन्य प्रतिक्रिया राष्ट्रीय चर्चा का भाग बनी हुई है।
प्रमुख बिंदुओं का सार:
विषय | विवरण |
---|---|
ऑपरेशन का उद्देश्य | आतंकवादी ठिकानों पर भारतीय लिए सटीक कार्रवाई |
समयावधि | 7 मई से 10 मई 2025 तक (लगभग 3‑दिन का अभियान) |
सफलता मापन | 100+ आतंकवादी मारे गए; कोई व्यक्ति नहीं हताहत हुआ |
राजनीतिक प्रभाव | संसद में विस्तृत बहस, विपक्ष‑सांसदों के गंभीर सवाल |
सामाजिक प्रभाव | सोशल मीडिया पर देशभक्ति, नागरिकों में गर्व का भाव |
आंतरिक मतभेद | कांग्रेस के वरिष्ठ नेता बहस से अलग, रणनीतिक निर्णय विवादित |
भविष्य की स्थिति | आवश्यक होने पर ऑपरेशन फिर शुरू हो सकता है; तैयारियों को उच्च स्तर पर बनाए रखा गया है |
ऑपरेशन सिंदूर न सिर्फ एक सैन्य अभियान था, बल्कि राष्ट्रीय सुरक्षा, राजनीतिक संवाद, और नागरिक भावनाओं का संगम बन गया है। यही वजह है कि यह अब फिर से सुर्खियों में है।
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