New Income Tax Bill 2025: केंद्र सरकार ने सोमवार को लोकसभा में नया इनकम टैक्स बिल 2025 (Income Tax Bill 2025) का संशोधित संस्करण पेश किया। केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने विपक्ष के शोरगुल के बीच यह बिल रखा और कहा कि इसमें संसदीय चयन समिति की ज्यादातर सिफारिशें शामिल की गई हैं। यह बिल भारत की टैक्स व्यवस्था में पिछले छह दशकों में सबसे बड़ा बदलाव माना जा रहा है।
इस बिल के आने से आम करदाता, नौकरीपेशा वर्ग, बिजनेस और प्रोफेशनल्स, स्टार्टअप्स, वरिष्ठ नागरिक और हाई नेट वर्थ इंडिविजुअल्स (HNIs) — सभी के लिए टैक्स का नया गणित तैयार होगा।
नया इनकम टैक्स बिल क्यों आया? New Income Tax Bill 2025
भारत में अभी तक आयकर अधिनियम 1961 लागू था। यह क़ानून 60 से अधिक साल पुराना हो चुका था और इसकी भाषा और प्रक्रिया आम लोगों के लिए जटिल मानी जाती थी। समय के साथ डिजिटल लेन-देन, नई बिजनेस संरचनाएं और बदलते आर्थिक माहौल में पुराने क़ानून में कई बार संशोधन किए गए, लेकिन इसकी बुनियादी संरचना में बदलाव नहीं हुआ।
नए इनकम टैक्स बिल 2025 का मकसद है:
- टैक्स प्रक्रिया को सरल बनाना
- डिजिटल इकोनॉमी को बढ़ावा देना
- टैक्स चोरी पर रोक लगाना
- मुकदमों और कानूनी उलझनों को कम करना
- छोटे व्यवसायों और MSMEs को राहत देना
बिल की बड़ी खासियतें
नया इनकम टैक्स बिल आकार में छोटा लेकिन असर में बड़ा है। पुराने कानून में जहां 816 से अधिक धाराएं और 47 अध्याय थे, वहीं नए कानून में इन्हें घटाकर 536 धाराएं और 23 अध्याय कर दिया गया है।
इसके अलावा, भाषा को इतना सरल बनाया गया है कि आम करदाता भी आसानी से समझ सके। “प्रिवियस ईयर” और “असेसमेंट ईयर” की जगह अब “टैक्स ईयर” का एकीकृत कॉन्सेप्ट लाया गया है, जिससे गणना और फाइलिंग आसान हो जाएगी।
कर छूट में बड़ा बदलाव
सबसे बड़ा बदलाव धारा 87A में किया गया है। अब नई टैक्स व्यवस्था (सेक्शन 115BAC) के तहत, अगर किसी निवासी व्यक्ति की सालाना आय 12 लाख रुपये तक है, तो उसे 1 लाख रुपये तक की टैक्स छूट मिलेगी।
पहले यह सीमा 7 लाख रुपये और अधिकतम छूट 25,000 रुपये थी। इसका मतलब है कि अब ज्यादा लोग टैक्स फ्री आय की श्रेणी में आएंगे, खासकर मिडिल क्लास और लोअर मिडिल क्लास।
टैक्स रिफंड के नियम में राहत
पुराने ड्राफ्ट में यह प्रावधान था कि अगर आयकर रिटर्न तय समय पर दाखिल नहीं किया गया तो रिफंड नहीं मिलेगा। समिति ने इसे हटाने का सुझाव दिया और सरकार ने इसे मान लिया है। अब देर से फाइल करने पर भी रिफंड का हक बरकरार रहेगा, हालांकि पेनल्टी और ब्याज लागू रहेगा।
NIL TDS सर्टिफिकेट का प्रावधान
टैक्सपेयर्स अब शून्य TDS प्रमाण पत्र (NIL TDS Certificate) प्राप्त कर सकते हैं, जिससे उन पर अनावश्यक TDS कटौती नहीं होगी। यह खासतौर पर उन लोगों के लिए फायदेमंद है जिनकी टैक्स देनदारी नहीं बनती, लेकिन फिर भी TDS काट लिया जाता था।
बिजनेस, प्रोफेशनल्स और स्टार्टअप्स पर असर
नया बिल बिजनेस और प्रोफेशनल्स के लिए रिपोर्टिंग को पूरी तरह डिजिटल और पारदर्शी बनाने पर जोर देता है। इसका मतलब है कि अब टैक्स चोरी के रास्ते और कम हो जाएंगे, लेकिन अनुपालन (compliance) की जिम्मेदारी बढ़ेगी।
स्टार्टअप्स को कुछ प्रोत्साहन भी मिलेंगे, जैसे पूंजीगत लाभ पर कुछ छूट और शुरुआती वर्षों में टैक्स राहत, लेकिन इन लाभों के लिए शर्तें पहले से ज्यादा सख्त होंगी।
वरिष्ठ नागरिकों के लिए स्थिति
वरिष्ठ नागरिकों के लिए मौजूदा छूटों में कोई बड़ा बदलाव नहीं किया गया है, लेकिन मेडिकल खर्चों पर मिलने वाले टैक्स लाभ को सीमित कर दिया गया है। इसका असर खासकर उन बुजुर्गों पर होगा जो स्वास्थ्य देखभाल पर अधिक खर्च करते हैं।
HNIs और अमीर वर्ग पर कड़ा प्रहार
हाई नेट वर्थ इंडिविजुअल्स (HNIs) पर सरचार्ज और सुपर रिच टैक्स की दरों में संशोधन किया गया है, जिससे उनकी टैक्स देनदारी बढ़ेगी। सरकार का मकसद टैक्स आधार को चौड़ा करना और राजस्व बढ़ाना है।
डिजिटल युग के मुताबिक कानून
नए कानून में CBDT (केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड) को अधिक अधिकार दिए गए हैं, जिससे वह डिजिटल लेन-देन, क्रिप्टोकरेंसी और नए फाइनेंशियल प्रोडक्ट्स पर तुरंत नियम बना सके।
क्या मिलेगा फायदा और किसे होगा नुकसान?
-
मिडिल क्लास को फायदा: नई छूट और टैक्स फ्री आय सीमा बढ़ने से लाखों लोगों का टैक्स घटेगा।
-
जॉब होल्डर्स को मिक्स रिजल्ट: TDS नियमों में बदलाव से कुछ की सैलरी में ज्यादा पैसा आएगा, तो कुछ के लिए कटौती बढ़ सकती है।
-
बिजनेस और प्रोफेशनल्स को पारदर्शिता की चुनौती: उन्हें पूरी तरह डिजिटल रिपोर्टिंग करनी होगी, जिससे मेहनत बढ़ सकती है लेकिन विवाद कम होंगे।
-
स्टार्टअप्स को सीमित राहत: योग्य स्टार्टअप्स को टैक्स में राहत मिलेगी, लेकिन सख्त शर्तों के कारण सभी को फायदा नहीं होगा।
-
वरिष्ठ नागरिकों को आंशिक राहत: पुरानी छूट बरकरार, लेकिन मेडिकल खर्च पर लाभ कम।
-
अमीर वर्ग पर बोझ: सरचार्ज और सुपर रिच टैक्स में बढ़ोतरी।
विशेषज्ञों की राय
टैक्स विशेषज्ञों का मानना है कि यह बिल लंबे समय से जरूरी था। चार्टर्ड अकाउंटेंट्स का कहना है कि इसकी भाषा और संरचना से विवादों में कमी आएगी। वहीं, कुछ का मानना है कि अनुपालन में डिजिटल निर्भरता बढ़ने से ग्रामीण और तकनीकी रूप से कमज़ोर वर्ग को मुश्किल हो सकती है।
नया इनकम टैक्स बिल 2025 भारत की टैक्स व्यवस्था में एक बड़े बदलाव की शुरुआत है। इसका असर आने वाले वर्षों में धीरे-धीरे दिखेगा। सरकार का दावा है कि इससे ईमानदार टैक्सपेयर्स को राहत और टैक्स चोरी करने वालों पर सख्ती होगी।
अगर आप टैक्सपेयर्स हैं, तो इस बदलाव को समझना और अपने वित्तीय प्लान को उसके अनुसार अपडेट करना बेहद जरूरी है।
ऐसे और भी एक्सप्लेनर लेखों के लिए हमारे साथ जुड़े रहें! Khabari bandhu पर पढ़ें देश-दुनिया की ताज़ा ख़बरें — बिज़नेस, एजुकेशन, मनोरंजन, धर्म, क्रिकेट, राशिफल और भी बहुत कुछ।
Aadhaar Update: अब घर बैठे करें आधार में पता अपडेट, जानें आसान प्रोसेस और जरूरी डॉक्यूमेंट