भारत में खुल सकते हैं नए बैंक: एक दशक बाद फिर से बैंकिंग विस्तार की तैयारी

देश में बैंकिंग सेक्टर से जुड़ी एक बड़ी खबर सामने आई है। करीब 10 साल के लंबे अंतराल के बाद, भारत में नए बैंकों के लाइसेंस को लेकर विचार किया जा रहा है। इस दिशा में भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) और वित्त मंत्रालय के बीच बातचीत शुरू हो चुकी है। अगर सब कुछ योजना के अनुसार चला, तो जल्द ही आम जनता को नए बैंकों की सौगात मिल सकती है। इसका सीधा फायदा देश के आर्थिक विकास और लोगों की बैंकिंग जरूरतों पर पड़ेगा।

क्यों उठी नए बैंकों की जरूरत?

देश में डिजिटल पेमेंट और बैंकिंग सेवाओं की मांग लगातार बढ़ रही है। सरकार का लक्ष्य है कि ग्रामीण और दूरदराज के इलाकों तक वित्तीय सेवाएं पहुंचाई जाएं। इसके अलावा, आने वाले दशकों में भारत की अर्थव्यवस्था को 5 ट्रिलियन डॉलर तक पहुंचाने की दिशा में भी बैंकिंग इंफ्रास्ट्रक्चर की मजबूत भूमिका होगी। इसलिए बड़े और ज्यादा बैंकों की जरूरत महसूस की जा रही है।

RBI और वित्त मंत्रालय के बीच बातचीत की शुरुआत

नए बैंक

ब्लूमबर्ग की रिपोर्ट के अनुसार, RBI और वित्त मंत्रालय के अधिकारी बैंकिंग सेक्टर के विस्तार को लेकर गंभीर बातचीत कर रहे हैं। यह चर्चाएं शुरुआती चरण में हैं, लेकिन इनसे संकेत मिल रहा है कि नई पॉलिसी लाने और बैंक लाइसेंस देने पर विचार किया जा रहा है।

बातचीत में यह भी सुझाव दिया गया है कि कुछ गैर बैंकिंग वित्तीय कंपनियों (NBFCs) को पूरी तरह बैंक में बदलने की अनुमति दी जाए। खासकर उन क्षेत्रों में, जहां औद्योगिक गतिविधियां जैसे मैन्युफैक्चरिंग बढ़ रही हैं — जैसे कि दक्षिण भारत।

बड़े कॉर्पोरेट घरानों को भी मिल सकती है मंजूरी?

2016 के बाद से, सरकार ने बड़े औद्योगिक समूहों को बैंकिंग लाइसेंस देने से रोक दिया था। लेकिन अब विचार हो रहा है कि क्या कुछ शर्तों के साथ फिर से उन्हें लाइसेंस के लिए आवेदन करने की अनुमति दी जा सकती है। इससे बैंकिंग सेक्टर में निवेश और प्रतिस्पर्धा दोनों को बढ़ावा मिल सकता है।

विदेशी निवेश को लेकर भी हो रही चर्चा

एक और बड़ी चर्चा का विषय है — विदेशी निवेशकों को भारतीय बैंकों में हिस्सेदारी बढ़ाने की इजाजत देना। इससे न केवल विदेशी मुद्रा का प्रवाह बढ़ेगा, बल्कि बैंकिंग सेक्टर में तकनीकी और प्रबंधन स्तर पर भी सुधार संभव होगा।

नए बैंक

2014 में आखिरी बार जारी हुए थे बैंक लाइसेंस

गौरतलब है कि भारत सरकार ने साल 2014 में आखिरी बार नए बैंकिंग लाइसेंस जारी किए थे। इसके बाद से बैंकिंग सेक्टर में कोई बड़ा नया बैंक नहीं आया है। इस दौरान बैंकों का विलय और निजीकरण तो हुआ, लेकिन नए खिलाड़ियों की एंट्री नहीं हुई। अब एक बार फिर से लाइसेंस प्रक्रिया को खोलने का विचार, बैंकिंग सेक्टर में नई जान फूंक सकता है।

टॉप ग्लोबल बैंकों की लिस्ट में भारत पीछे

ब्लूमबर्ग के आंकड़ों के अनुसार, दुनिया के टॉप 100 बैंकों में सिर्फ दो भारतीय बैंक — स्टेट बैंक ऑफ इंडिया (SBI) और HDFC बैंक ही शामिल हैं। जबकि अमेरिका और चीन के कई बैंक टॉप 10 में मौजूद हैं। यह भी एक वजह है कि भारत को अपने बैंकिंग सेक्टर का विस्तार करना होगा ताकि वह वैश्विक स्तर पर प्रतिस्पर्धी बन सके।

क्या हो सकते हैं संभावित बदलाव?

इस पूरी प्रक्रिया के तहत, कुछ संभावित बदलावों पर विचार किया जा रहा है:

  • बड़े कॉर्पोरेट्स को लिमिटेड हिस्सेदारी के साथ बैंक खोलने की अनुमति
  • NBFCs को पूर्ण बैंकिंग संस्था में बदलने की मंजूरी
  • विदेशी निवेश पर छूट या सहूलियत
  • डिजिटल बैंकों या छोटे फिनटेक बैंकों को लाइसेंस देने पर विचार

इन सभी सुझावों पर आने वाले महीनों में और स्पष्टता आ सकती है।

शेयर बाजार में दिखा असर

नए बैंक लाइसेंस की खबर का असर शेयर बाजार में भी साफ नजर आया। शुक्रवार को Nifty PSU Bank Index में शुरुआत में गिरावट देखी गई, लेकिन दोपहर बाद इसमें सुधार आया और यह लगभग 0.5% तक उछल गया। इस साल अब तक इस इंडेक्स में करीब 8% तक की बढ़ोतरी देखी गई है, जो दर्शाता है कि निवेशक बैंकिंग सेक्टर में सकारात्मक मूड में हैं।

जनता को क्या मिलेगा फायदा?

नए बैंकों के खुलने से:

  • ग्राहकों को बेहतर और सस्ती बैंकिंग सेवाएं मिल सकेंगी
  • नई नौकरियों का सृजन होगा
  • ग्रामीण और दूरदराज के इलाकों तक बैंकिंग पहुंच में सुधार होगा
  • कर्ज लेना आसान हो सकता है, खासकर छोटे कारोबारियों के लिए
  • बैंकिंग में टेक्नोलॉजी का उपयोग और बढ़ेगा

अभी क्या कह रहे हैं अधिकारी?

हालांकि अभी तक वित्त मंत्रालय और RBI की तरफ से कोई आधिकारिक बयान नहीं आया है। लेकिन रिपोर्ट के अनुसार, सरकार इस मुद्दे को गंभीरता से देख रही है और जल्द ही इस पर कोई ठोस रूपरेखा सामने आ सकती है।

निष्कर्ष

देश में लगभग एक दशक बाद नए बैंक खोलने को लेकर जो बातचीत शुरू हुई है, वो भारत की आर्थिक नीतियों और बैंकिंग सेक्टर के भविष्य के लिए बेहद अहम मानी जा रही है। अगर सरकार और RBI मिलकर इस दिशा में ठोस कदम उठाते हैं, तो यह बैंकिंग सेक्टर और आम नागरिकों के लिए एक बड़ा सकारात्मक बदलाव हो सकता है।

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