Natural Bodybuilding vs Steroid: क्या प्राकृतिक बॉडी बनाना आज भी संभव है?

Natural Bodybuilding vs Steroid: आज के समय में युवा वर्ग के बीच फिटनेस और बॉडीबिल्डिंग का क्रेज बहुत तेजी से बढ़ा है। हर कोई 6 पैक एब्स, चौड़ी छाती और कटे हुए मसल्स पाना चाहता है। लेकिन यह दौड़ धीरे-धीरे एक खतरनाक मोड़ पर जा रही है—Steroid की ओर। वहीं दूसरी ओर कुछ लोग अब भी Natural Bodybuilding को ही अपनाने में विश्वास रखते हैं।
इस ब्लॉग में हम विस्तार से जानेंगे कि Natural Bodybuilding vs Steroid की सच्चाई क्या है, इसका इतिहास, नुकसान, और क्या आज भी प्राकृतिक रूप से अच्छी बॉडी बनाना संभव है।

Natural Bodybuilding vs Steroid
           Natural Bodybuilding vs Steroid

Natural Bodybuilding vs Steroid: इतिहास कहां से शुरू हुआ?

बॉडीबिल्डिंग की शुरुआत 19वीं सदी में यूरोप से मानी जाती है, जहां लोग शारीरिक शक्ति और सौंदर्य के लिए व्यायाम करते थे। शुरुआती बॉडीबिल्डर्स जैसे यूजेन सैंडो ने पूरी तरह Natural Bodybuilding पर भरोसा किया। उस समय कोई भी कृत्रिम दवा या स्टेरॉइड नहीं था।

लेकिन 1950 और 60 के दशक में अमेरिका और सोवियत यूनियन की खेल प्रतिस्पर्धा के दौरान Steroid का उपयोग बढ़ने लगा। खिलाड़ियों ने जल्दी मसल्स बढ़ाने और प्रदर्शन सुधारने के लिए अनाबॉलिक स्टेरॉइड लेना शुरू किया। धीरे-धीरे यह चलन बॉडीबिल्डिंग की दुनिया में आम हो गया।

Steroid की खोज किसने की थी?

स्टेरॉयड (Anabolic Steroids) की खोज सीधे तौर पर टेस्टोस्टेरोन (पुरुष हार्मोन) की खोज और संश्लेषण से जुड़ी है।

👉 मुख्य खोजकर्ता:

डॉ. अर्नोल्ड एडलर एंड बटेनडैंट (Adolf Butenandt) और लियोपोल्ड रूजिका (Leopold Ruzicka)- 1935

  • इन दोनों वैज्ञानिकों ने सबसे पहले टेस्टोस्टेरोन को मनुष्य के शरीर से अलग कर उसे लैब में कृत्रिम रूप से तैयार किया।

  • इसके लिए अडॉल्फ बुटेनडैंट को 1939 में नोबेल पुरस्कार भी मिला (रसायन शास्त्र में)।

Adolf Butenandt
Adolf Butenandt

 

Leopold Ruzicka
Leopold Ruzicka

🧬 शुरुआत इंसानों के लिए हुई थी:

  • 1930 के दशक में, जब वैज्ञानिकों ने टेस्टोस्टेरोन (पुरुष हार्मोन) की पहचान की और उसे कृत्रिम रूप से बनाया, तो इसका मकसद था—

    • उन पुरुषों का इलाज करना जिन्हें हार्मोनल कमी थी (जैसे कामेच्छा की कमी, मांसपेशी कमजोरी, आदि)।

    • डिप्रेशन, थकावट, और बुजुर्गों की कमजोरी में इसका क्लिनिकल उपयोग सोचा गया।

🐄 लेकिन बाद में जानवरों में भी हुआ इस्तेमाल:

  • 1950 और 60 के दशक में, स्टेरॉयड का प्रयोग पशुपालन (animal husbandry) में किया जाने लगा।

  • विशेष रूप से:

    • गाय, भैंस, मुर्गियां आदि को जल्दी बड़ा करने और वजन बढ़ाने के लिए।

    • ताकि उनसे अधिक मांस (meat production) और दूध (milk yield) प्राप्त किया जा सके।

    • इसके लिए anabolic steroids को इंजेक्शन के रूप में दिया जाने लगा।

Natural Bodybuilding vs Steroid
Natural Bodybuilding vs Steroid

⚠️ क्यों हुआ विवाद?

  • जब यह पता चला कि स्टेरॉयड से मांस और दूध में हार्मोन के अंश (residues) बच जाते हैं जो मानव स्वास्थ्य के लिए हानिकारक हो सकते हैं—

    • तब कई देशों में जानवरों के लिए स्टेरॉयड के उपयोग पर रोक लगाई गई (जैसे यूरोपियन यूनियन)।

    • भारत में भी इसका नियंत्रित प्रयोग होता है, लेकिन अवैध फार्मिंग में आज भी इसका दुरुपयोग हो जाता है।

आज की स्थिति:

आजकल सोशल मीडिया और फिटनेस इंडस्ट्री ने बॉडीबिल्डिंग को एक ग्लैमर की दुनिया बना दिया है। कम उम्र में ही युवा जिम जाना शुरू करते हैं, और कुछ महीनों में रिजल्ट ना मिलने पर Steroid का सहारा लेते हैं। उन्हें लगता है कि सिर्फ यहीं से “हॉलीवुड बॉडी” पाई जा सकती है।

लेकिन सच्चाई यह है कि Natural Bodybuilding एक धीमी लेकिन स्थाई प्रक्रिया है, जिसमें धैर्य, सटीक आहार, और सटीक ट्रेनिंग का बड़ा योगदान होता है। जबकि Steroid के जरिए बनाई गई बॉडी दिखने में आकर्षक हो सकती है, लेकिन इसके नुकसान गंभीर होते हैं।

Natural Bodybuilding vs Steroid
        Natural Bodybuilding vs Steroid

सेहत पर प्रभाव:

पक्ष Natural Bodybuilding Steroid
मसल्स विकास धीमा लेकिन स्थाई तेज लेकिन अस्थाई
हार्मोन प्रभाव प्राकृतिक संतुलन हार्मोनल असंतुलन
लिवर/किडनी पर असर कोई खतरा नहीं गंभीर नुकसान
मानसिक स्थिति स्थिर और सकारात्मक चिड़चिड़ापन, डिप्रेशन
जीवनकाल लम्बा और स्वस्थ बीमारियों का खतरा

क्यों युवा हो रहे हैं शिकार?

  1. तत्काल परिणाम की लालसा: आज की पीढ़ी “जल्दी करो, जल्दी दिखाओ” के चक्कर में पड़ गई है।

  2. सोशल मीडिया दबाव: इंस्टाग्राम, यूट्यूब जैसे प्लेटफॉर्म्स पर दिखने वाली नकली बॉडीज एक भ्रम रचती हैं।

  3. प्रशिक्षकों की कमी: योग्य ट्रेनर ना होने के कारण युवा गलत सलाह के शिकार हो जाते हैं।

  4. ज्ञान की कमी: उन्हें नहीं पता होता कि Steroid क्या है, इसका शरीर पर क्या प्रभाव होता है।

“आंख मूंदकर अपने फिटनेस influencer पर भरोसा मत करो, हो सकता है वो स्टेरॉयड यूज करता हो।”
यह बात आज के सोशल मीडिया दौर में बहुत जरूरी और चेतावनी जैसी है।

क्यों जरूरी है इस पर शक करना?

  1. दिखावे की दुनिया है:
    इंस्टाग्राम, यूट्यूब पर जो बॉडी दिखती है वो अक्सर रिंग लाइट, पंप, फिल्टर और फोटोशॉप से निकली होती है।

  2. कभी नहीं बताते स्टेरॉयड के बारे में:
    बहुत से influencers कहते हैं “मैं Natural हूँ”, लेकिन उनकी मसल्स ग्रोथ, vascularity और recovery unnatural होती है।

  3. बच्चों को भ्रम में डालते हैं:
    युवा सोचते हैं कि “अगर वो 6 महीने में ऐसा बन सकता है, तो मैं भी बन सकता हूँ,” और जल्दी ही हार मानकर स्टेरॉयड की तरफ बढ़ जाते हैं।

🚩 इन संकेतों से सावधान रहें:

संकेत क्या मतलब हो सकता है?
बहुत तेज़ मसल्स ग्रोथ (3-6 महीने में) स्टेरॉयड संभव
Acne (मुंहासे) पीठ और चेहरे पर टेस्टोस्टेरोन का ओवरडोज
गुस्सैल व्यवहार (Roid Rage) हार्मोनल असंतुलन
बहुत ज्यादा vascularity और dryness Cutting steroids का असर
Hairfall और low voice हार्मोन असंतुलन के साइड इफेक्ट

सच्चा Influencer कौन है?

  • जो सालों की मेहनत, consistency और patience की बात करे।

  • जो openly बताए कि natural रहना slow लेकिन safe है

  • जो unrealistic expectations ना बनाए।

❝ हर बड़ी बॉडी के पीछे बड़ी मेहनत नहीं, कभी-कभी बड़ा इंजेक्शन होता है। आंखें खोलो, सोचो, पूछो… क्योंकि Health का Shortcut नहीं होता। ❞

ज़रूर! नीचे कुछ चर्चित और खतरनाक Steroids के नाम दिए गए हैं, जिन्हें अक्सर बॉडीबिल्डिंग, एथलेटिक्स या मॉडलिंग की दुनिया में तेजी से मसल्स बढ़ाने, कटिंग करने या प्रदर्शन बढ़ाने के लिए उपयोग किया जाता है — हालांकि ये कानूनी और स्वास्थ्य दोनों दृष्टि से जोखिमभरे होते हैं:

कुछ चर्चित Anabolic Steroids के नाम:

स्टेरॉयड नाम उपयोग जोखिम
Dianabol (Methandrostenolone) मसल्स मास बढ़ाने के लिए लिवर डैमेज, हार्मोनल गड़बड़ी
Testosterone (Injectable/Test Cypionate)       बेसिक मसल्स ग्रोथ के लिए हार्ट, लिवर और प्रोस्टेट पर असर
Trenbolone (Tren) कटिंग और vascularity के लिए बहुत aggressive side-effects, मानसिक गड़बड़ी
Anadrol (Oxymetholone) भारी मसल्स गेन के लिए पानी की अति मात्रा, लिवर टॉक्सिसिटी
Winstrol (Stanozolol) कटिंग के दौरान इस्तेमाल जोड़ों में दर्द, कोलेस्ट्रॉल गड़बड़ी
Deca Durabolin (Nandrolone) रिकवरी और मास गेन सेक्स ड्राइव में गिरावट, हार्मोन दिक्कत
Clenbuterol (Strictly speaking,

ये steroid नहीं है पर fat loss में प्रयोग होता है)

फैट बर्न के लिए हार्ट रेट तेज़, anxiety
Anavar (Oxandrolone) हल्का steroid, महिलाओं में भी उपयोग होता है हार्मोनल असंतुलन, लीवर तनाव

⚠️ ध्यान रखें:

  • ये सभी Performance Enhancing Drugs (PEDs) की श्रेणी में आते हैं।

  • भारत में इनका बिना डॉक्टर की सलाह के उपयोग अवैध और स्वास्थ्य के लिए खतरनाक है।

  • ये शरीर की प्राकृतिक टेस्टोस्टेरोन प्रणाली को बिगाड़ देते हैं, जिससे लंबे समय तक शरीर निर्भर हो जाता है।

💀 कुछ खतरनाक साइड-इफेक्ट्स:

  • लिवर फेल होना

  • Gynecomastia (पुरुषों में स्तनों का बढ़ना)

  • Infertility (नपुंसकता)

  • बाल झड़ना

  • Acne & oily skin

  • Depression और Suicide tendency

  • हार्ट अटैक की संभावना

क्या समाधान है?

  1. शिक्षा और जागरूकता: स्कूल और कॉलेज स्तर पर फिटनेस और पोषण से जुड़ी जानकारी देना जरूरी है।

  2. रोल मॉडल का बदलाव: असली हीरो वही हैं जो Natural Bodybuilding से प्रेरणा देते हैं।

  3. समाज की भूमिका: माता-पिता और समाज को समझना होगा कि दिखावे की बजाय स्वास्थ्य जरूरी है।

  4. प्राकृतिक सप्लीमेंट्स: यदि सही गाइडेंस मिले तो Whey Protein, Creatine जैसे प्राकृतिक सप्लीमेंट्स से भी मांसपेशियाँ विकसित की जा सकती हैं।

Natural Bodybuilding एक कठिन लेकिन संतुलित और दीर्घकालिक रास्ता है। यह केवल मसल्स नहीं बनाता, बल्कि आत्म-विश्वास, मानसिक शांति और असली स्वास्थ्य देता है। वहीं दूसरी ओर Steroid एक आसान लेकिन खतरनाक रास्ता है, जो शरीर को बाहर से चमकदार बना देता है लेकिन अंदर से खोखला कर देता है।

हर किसी के जीवन में कभी ना कभी ऐसा वक्त आता है जब हम थक जाते हैं, टूट जाते हैं या फिर आगे बढ़ने की इच्छा ही खत्म हो जाती है। लेकिन मोटिवेशन कोई जादू नहीं, ये एक आदत (habit) और सोच (mindset) से आता है।

“थक कर मत बैठो ऐ मुसाफ़िर,
मंज़िल भी आएगी और मंज़र भी,
हर रात के बाद सुबह होती है,
बस चलते रहो, यही ज़िंदगी की ख़ूबसूरती है।“

आज ज़रूरत इस बात की है कि हम अपने युवाओं को सही जानकारी दें, उन्हें समझाएं कि शरीर केवल दिखाने की चीज नहीं, यह जीने का माध्यम है। Natural Bodybuilding vs Steroid की इस लड़ाई में जीत हमेशा प्राकृतिकता की होनी चाहिए।

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