Walking Barefoot Benefits: हमारे दादी-नानी के ज़माने में नंगे पैर चलना आम बात थी। गांवों में बच्चे हों या बड़े, ज़्यादातर लोग बिना चप्पल-जूते के ही ज़मीन पर चलते थे। लेकिन आधुनिक जीवनशैली ने इंसान को जूतों और फर्श के सहारे का आदी बना दिया है। अब रिसर्च कहती है कि अगर हम रोजाना सिर्फ 30 मिनट नंगे पैर चलें, तो हमारे शरीर और मन में चौंकाने वाले बदलाव देखने को मिल सकते हैं।
नंगे पैर चलने को मेडिकल साइंस में “अर्थिंग” या “ग्राउंडिंग” भी कहा जाता है। यह प्रक्रिया शरीर को धरती के साथ प्राकृतिक रूप से जोड़ती है और कई स्वास्थ्य लाभ देती है।
क्या कहती है रिसर्च?
अमेरिका, जर्मनी और जापान जैसे देशों में हुई कई शोधों से यह सामने आया है कि रोज़ाना नंगे पैर चलना शरीर के तंत्रिका तंत्र, हार्मोन बैलेंस और इम्यून सिस्टम पर गहरा असर डालता है।
जर्नल ऑफ एनवायर्नमेंटल एंड पब्लिक हेल्थ में छपी एक स्टडी के अनुसार, धरती के साथ प्रत्यक्ष संपर्क शरीर में इलेक्ट्रॉन बैलेंस को संतुलित करता है, जिससे सूजन, तनाव और दर्द में राहत मिलती है।
यह कोई योग या ध्यान जैसी प्रक्रिया नहीं, बल्कि हमारी रोज़मर्रा की आदतों का हिस्सा बन सकती है — बस जरूरत है इसे अपनाने की।
शरीर में क्या होता है जब आप नंगे पैर चलते हैं?
रोज़ाना सिर्फ 30 मिनट नंगे पैर चलने से शरीर में बहुत से सकारात्मक परिवर्तन होते हैं। पैरों के तलवों में सैकड़ों नसें और एक्यूप्रेशर पॉइंट होते हैं जो जमीन के संपर्क में आने से एक्टिव हो जाते हैं। इससे न केवल ब्लड सर्कुलेशन बेहतर होता है, बल्कि शरीर का ऊर्जा स्तर भी संतुलित रहता है।
इस प्रक्रिया में धरती से मिलने वाली प्राकृतिक ऊर्जा हमारे शरीर के नर्वस सिस्टम, एंडोक्राइन सिस्टम, और स्लीप साइकिल को बेहतर बनाती है।
तनाव होता है दूर
आज के समय में तनाव एक आम समस्या बन चुकी है। दिनभर की भागदौड़, काम का दबाव और नींद की कमी मानसिक थकान का कारण बनते हैं। नंगे पैर चलने से शरीर में कॉर्टिसोल (तनाव का हार्मोन) का स्तर कम होता है। यह बात कई मेडिकल जर्नल्स में भी प्रमाणित हो चुकी है।
जब आप घास पर या मिट्टी पर बिना चप्पल के चलते हैं, तो एक मनोवैज्ञानिक संतुलन बनता है जो दिमाग को शांत करता है। यह एक तरह का माइंडफुल मेडिटेशन बन जाता है जो अवचेतन मन को भी सुकून देता है।
नींद होती है बेहतर
यदि आप अनिद्रा या नींद की कमी से परेशान हैं, तो नंगे पैर चलना आपकी मदद कर सकता है। वैज्ञानिक मानते हैं कि नंगे पैर चलने से शरीर का सर्केडियन रिदम यानी बॉडी क्लॉक संतुलित होती है, जिससे नींद गहरी और नियमित हो जाती है।
जमीन के संपर्क से शरीर को प्राकृतिक चुंबकीय ऊर्जा मिलती है, जो मस्तिष्क को रिलैक्स करती है और नींद की गुणवत्ता को बेहतर बनाती है।
दिल को मिलता है फायदा
दिल की सेहत के लिए व्यायाम जरूरी है, लेकिन नंगे पैर चलना एक अतिरिक्त लाभ देता है। रिसर्च के अनुसार, जब आप जूते के बिना चलते हैं तो पैर की मांसपेशियों और नसों को प्राकृतिक एक्सरसाइज मिलती है। इससे ब्लड प्रेशर संतुलित रहता है और हृदय को अतिरिक्त लाभ मिलता है।
इसके अलावा, पैरों के जरिए होने वाली सूक्ष्म गतिविधियां दिल की कार्यप्रणाली को एक्टिव रखती हैं। यह हृदयाघात और ब्लड क्लॉट जैसे जोखिमों को भी कम करता है।
जोड़ों का दर्द और सूजन होती है कम
अर्थिंग तकनीक से शरीर में फ्री रेडिकल्स की संख्या घटती है, जो सूजन और दर्द के लिए जिम्मेदार होते हैं। खासकर बुजुर्गों में घुटनों और एड़ियों का दर्द, गठिया जैसी समस्याओं में राहत देखने को मिली है।
यह भी देखा गया है कि जिन लोगों को नियमित जोड़ों में सूजन रहती है, उन्हें नंगे पैर मिट्टी या घास पर चलने से काफी आराम मिला।
प्रतिरोधक क्षमता होती है मजबूत
धरती के साथ सीधा संपर्क इम्यून सिस्टम को एक्टिव करता है। कई अध्ययनों से साबित हुआ है कि जिन लोगों ने नंगे पैर चलने को दिनचर्या में शामिल किया, उनकी बीमार पड़ने की दर कम हो गई।
प्राकृतिक जीवाणुओं के संपर्क में आने से शरीर की रोगों से लड़ने की क्षमता बढ़ती है। साथ ही, त्वचा के पोर्स खुलते हैं जिससे टॉक्सिन बाहर निकलते हैं।
आंखों और दिमाग के लिए वरदान
आपको यह जानकर आश्चर्य होगा कि पैरों में ऐसे बिंदु होते हैं जिनका संबंध नेत्र तंत्र और मस्तिष्क से होता है। नंगे पैर घास पर चलने से ये पॉइंट्स उत्तेजित होते हैं जिससे आंखों की रोशनी और मस्तिष्क की सक्रियता में सुधार होता है।
सुबह-सुबह ओस से भीगी घास पर चलना एक प्राकृतिक थेरेपी है जो आंखों को ठंडक देती है और दिमाग को स्फूर्तिवान बनाती है।
बच्चों और बुजुर्गों के लिए भी जरूरी
नंगे पैर चलना सिर्फ युवाओं के लिए ही नहीं बल्कि बच्चों और बुजुर्गों के लिए भी फायदेमंद है। बच्चों में इससे संतुलन की भावना विकसित होती है और उनका इम्यून सिस्टम मजबूत बनता है।
बुजुर्गों को यह थकान कम करने, नींद सुधारने और दर्द में राहत देने में मदद करता है। यदि वे सीधा मिट्टी पर नहीं चल सकते, तो घर में ही घास के टुकड़े बिछाकर उस पर चलने से भी लाभ मिलता है।
कैसे और कहां चलें नंगे पैर?
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सुबह-सुबह पार्क या बगीचे में ओस वाली घास पर चलना सबसे लाभदायक होता है।
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कोशिश करें कि मिट्टी, बालू या गीली घास जैसी प्राकृतिक सतह पर चलें।
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धूप तेज़ हो तो दोपहर में न चलें, नहीं तो पैरों में जलन हो सकती है।
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जिन इलाकों में ज्यादा धूल या कचरा है, वहां सावधानी बरतें और स्वच्छ सतह ही चुनें।
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शुरुआत में 10 मिनट से शुरू करें और धीरे-धीरे 30 मिनट तक बढ़ाएं।
सावधानियां भी जरूरी हैं
जहां नंगे पैर चलना सेहत के लिए वरदान है, वहीं कुछ मामलों में सावधानी भी जरूरी है। अगर आपको डायबिटीज है और पैरों में सेंसेशन कम है, तो डॉक्टर से सलाह जरूर लें।
इसके अलावा गंदे या कांच पड़े इलाकों में नंगे पैर चलना नुकसान पहुंचा सकता है। बच्चों को शुरू में छोटे-छोटे सत्र में इसकी आदत डालें ताकि उन्हें कोई परेशानी न हो।
धरती से जुड़िए, सेहत से भरिए
आज की भागती-दौड़ती दुनिया में हम प्राकृतिक चीज़ों से दूर होते जा रहे हैं। लेकिन नंगे पैर चलना एक ऐसा साधन है जो हमें फिर से प्रकृति से जोड़ता है। यह ना सिर्फ एक एक्सरसाइज है, बल्कि एक नेचुरल हीलिंग प्रोसेस है जो शारीरिक, मानसिक और भावनात्मक स्वास्थ्य को संपूर्ण रूप से बेहतर बनाता है।
अगर आप भी रोजाना की जिंदगी में कुछ अच्छा जोड़ना चाहते हैं, तो 30 मिनट नंगे पैर चलना शुरू करें — न फार्मेसी की ज़रूरत, न डॉक्टर की फीस।
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