मुहर्रम 2025 एक महत्वपूर्ण इस्लामी पर्व है, जो इस्लामी कैलेंडर के पहले महीने के रूप में मनाया जाता है। यह न केवल इस्लामी नववर्ष की शुरुआत का प्रतीक है, बल्कि इस माह की 10वीं तारीख यानी आशूरा का दिन, गहरा धार्मिक और ऐतिहासिक महत्व रखता है। इस्लाम धर्म के अनुयायियों के लिए यह महीना श्रद्धा, बलिदान और आत्मनिरीक्षण का समय होता है।

इस लेख में हम मुहर्रम 2025 के इतिहास, महत्व और इसकी रस्मों पर प्रकाश डालेंगे और जानेंगे कि इसे कैसे मनाया जाता है।
मुहर्रम का इतिहास:
मुहर्रम का इतिहास इस्लामिक दुनिया के सबसे दुखद घटनाक्रमों में से एक से जुड़ा हुआ है – करबला की जंग। इस युद्ध में पैगंबर मोहम्मद साहब के नवासे हज़रत इमाम हुसैन और उनके अनुयायियों ने अन्याय के खिलाफ लड़ते हुए अपनी जान न्योछावर कर दी थी।
सन् 680 ई. में यज़ीद नामक शासक ने खिलाफत को विरासत में बदलने की कोशिश की और अपने अत्याचारों को वैधता देने के लिए इमाम हुसैन से समर्थन मांगा। इमाम हुसैन ने अन्याय का समर्थन करने से इनकार कर दिया, जिससे करबला की लड़ाई हुई। इस युद्ध में इमाम हुसैन, उनके परिवार और साथियों को निर्दयता से शहीद कर दिया गया।
मुहर्रम 2025 की तारीखें:
इस्लामी कैलेंडर चंद्र आधारित होता है, इसलिए मुहर्रम की तारीखें हर साल बदलती हैं। मुहर्रम 2025 की शुरुआत 28 जून 2025 (चांद दिखने पर निर्भर) को मानी जा रही है, जबकि आशूरा (10 मुहर्रम) 7 जुलाई 2025 को मनाया जाएगा।
इस वर्ष भी दुनियाभर में मुसलमान मुहर्रम 2025 को गम, श्रद्धा और संयम के साथ मनाएंगे।
मुहर्रम 2025 का धार्मिक महत्व:
मुहर्रम इस्लाम धर्म के चार पवित्र महीनों में से एक है। इस माह में युद्ध और हिंसा वर्जित मानी जाती है। खासतौर पर आशूरा का दिन, उपवास और इबादत के लिए बहुत पवित्र माना जाता है।
मुहर्रम 2025 के दौरान कई मुसलमान रोज़ा रखते हैं, विशेष दुआएं करते हैं और करबला की घटना को याद करते हुए मातम करते हैं। यह समय आत्मविश्लेषण, इंसाफ, और त्याग की भावना को अपनाने का होता है।
मुहर्रम 2025 की परंपराएँ और रीति-रिवाज:
-
मातम और जुलूस:
शिया समुदाय मुहर्रम 2025 में इमाम हुसैन की शहादत का शोक मनाते हुए जुलूस निकालते हैं। वे “या हुसैन” का नारा लगाते हुए करबला की याद को जीवित रखते हैं। -
मजलिस का आयोजन:
मस्जिदों और घरों में मजलिस यानी धार्मिक सभाएं होती हैं जहां इमाम हुसैन की कहानी और उनके आदर्शों को याद किया जाता है। -
तबर्रुक और नज़्र:
मुहर्रम 2025 के अवसर पर लोग खिचड़ा, शीरा, और अन्य व्यंजन बनाकर लोगों में बांटते हैं। इसे “नज़्र” कहा जाता है जो कि बलिदान की भावना को दर्शाता है। -
ताजिया:
कई स्थानों पर ताजिया (इमाम हुसैन की समाधि की प्रतीकात्मक प्रतिकृति) बनाकर शोभा यात्रा निकाली जाती है और अंत में उसे दफनाया या पानी में प्रवाहित किया जाता है।

मुहर्रम 2025 और दुनिया भर में इसका प्रभाव:
मुहर्रम 2025 के अवसर पर सिर्फ भारत ही नहीं, बल्कि ईरान, इराक, पाकिस्तान, अफगानिस्तान, लेबनान, बहरीन, और दुनिया के कई हिस्सों में विशेष आयोजन किए जाते हैं। इराक का करबला शहर इस दौरान श्रद्धालुओं से भर जाता है, जहां लाखों लोग इमाम हुसैन की मजार पर ज़ियारत (प्रार्थना) के लिए पहुंचते हैं।
मुहर्रम 2025 में अपनाएं ये संदेश:
-
सच और इंसाफ की राह पर चलना
-
अहंकार के खिलाफ आवाज उठाना
-
धार्मिक सहिष्णुता और भाईचारे को बढ़ावा देना
-
त्याग और बलिदान की भावना को जीवन में उतारना
मुहर्रम सिर्फ शोक का महीना नहीं, बल्कि यह जीवन को उच्च आदर्शों के अनुसार जीने की प्रेरणा देता है।
मुहर्रम 2025 सिर्फ एक धार्मिक अवसर नहीं, बल्कि यह मानवता, न्याय और बलिदान की अमर कहानी का प्रतीक है। इमाम हुसैन और करबला के शहीदों का त्याग हमें यह सिखाता है कि सच्चाई के लिए किसी भी हद तक जाया जा सकता है। इस मुहर्रम, आइए हम भी अपने जीवन में अच्छाई, सच्चाई और इंसाफ को अपनाएं।
ऐसे और भी राष्ट्रीय ख़बरों से संबंधित लेखों के लिए हमारे साथ जुड़े रहें! Khabari bandhu पर पढ़ें देश-दुनिया की ताज़ा ख़बरें — बिज़नेस, एजुकेशन, मनोरंजन, धर्म, क्रिकेट, राशिफल और भी बहुत कुछ।
जनगणना 2027 का आदेश जारी– जानिए इस बार क्या-क्या नया होगा 16th Census में!