भारत के पारंपरिक भोजन में पराठों का खास स्थान है। पराठे ना केवल स्वादिष्ट होते हैं बल्कि पोषक तत्वों से भी भरपूर होते हैं। विशेष रूप से मूली का पराठा, जो उत्तर भारत — विशेषकर पंजाब, हरियाणा, दिल्ली, और पश्चिमी उत्तर प्रदेश — में सर्दियों के मौसम में बहुत चाव से खाया जाता है।

इतिहास की बात करें तो, मूली का पराठा भारत की ग्रामीण रसोई से निकलकर आज दुनिया भर में बसे भारतीयों की थाली में अपनी जगह बना चुका है। यह परंपरा उस समय से चली आ रही है जब लोग अपने खेतों में उगी ताजी मूली को सीधे आटे में भरकर रोटी के रूप में पकाया करते थे। यह एक सरल और ग्रामीण जीवनशैली का हिस्सा रहा है, जब ताजे मौसमी उत्पादों को सीधा भोजन में इस्तेमाल किया जाता था।
🥬 मूली के स्वास्थ्य लाभ:
मूली ना केवल स्वाद में तीखी होती है, बल्कि यह सेहत के लिए भी बहुत फायदेमंद है। इसमें पाचन एंजाइम्स, रफेज (फाइबर), विटामिन C, पोटैशियम और फोलिक एसिड जैसे पोषक तत्व होते हैं। मूली शरीर को डिटॉक्स करती है, लिवर को स्वस्थ रखती है और कब्ज से राहत देती है।
जब इसे गेहूं के आटे और देसी घी के साथ मिलाकर पराठे में ढाला जाता है, तो यह एक सम्पूर्ण भोजन बन जाता है — जिसमें स्वाद, ऊर्जा और पोषण तीनों होते हैं।
🧄 मूली का पराठा बनाने की विधि (पारंपरिक उत्तर भारतीय तरीका):
📝 आवश्यक सामग्री:
पराठे के लिए:
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गेहूं का आटा – 2 कप
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पानी – आवश्यकतानुसार
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नमक – स्वादानुसार
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घी/तेल – सेंकने के लिए
भरावन (स्टफिंग) के लिए:
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मूली – 2 मध्यम आकार की (कद्दूकस की हुई)
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हरा धनिया – बारीक कटा हुआ
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हरी मिर्च – 1-2 बारीक कटी हुई
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अदरक – 1 चम्मच (कद्दूकस किया हुआ)
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नमक – स्वादानुसार
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अजवाइन – 1/2 चम्मच
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लाल मिर्च पाउडर – 1/2 चम्मच
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अमचूर – 1/2 चम्मच (वैकल्पिक)
🍽️ बनाने की विधि:
स्टेप 1: मूली की तैयारी
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मूली को धोकर छील लें और कद्दूकस कर लें।
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अब इसे थोड़ी देर के लिए नमक लगाकर रख दें ताकि उसका अतिरिक्त पानी निकल जाए।
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10-15 मिनट बाद, मूली को अच्छे से निचोड़ लें। यह जरूरी है वरना पराठे फट सकते हैं।
स्टेप 2: भरावन बनाना
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निचोड़ी हुई मूली में अदरक, हरी मिर्च, धनिया, अजवाइन, लाल मिर्च, अमचूर और स्वादानुसार नमक डालकर मिला लें। भरावन तैयार है।
स्टेप 3: आटा गूंधना
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आटे में थोड़ा नमक मिलाएं और पानी डालते हुए नरम आटा गूंध लें।
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इसे ढककर 10-15 मिनट तक रख दें।
स्टेप 4: पराठा बेलना और सेंकना
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आटे की एक मध्यम लोई लें और हल्का बेलें।
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उसके बीच में एक या दो चम्मच मूली की भरावन रखें और चारों तरफ से बंद करके फिर से बेलें। बेलते समय ध्यान रखें कि भरावन बाहर ना निकले।
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अब तवे पर मध्यम आंच पर पराठा सेंकें। दोनों तरफ से हल्का ब्राउन होने तक घी या तेल लगाकर सेंकें।
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गरमा गरम मूली का पराठा तैयार है।
🍲 पराठे को कैसे परोसें?
मूली का पराठा आमतौर पर सफेद मक्खन, ताजा दही, हरी धनिया की चटनी या लहसुन की तीखी चटनी के साथ परोसा जाता है। सर्दियों में गरमागरम पराठा और उस पर पिघला हुआ मक्खन — यह एक ऐसा अनुभव है जो शरीर ही नहीं आत्मा को भी गर्माहट देता है।
🏡 ग्रामीण और पारिवारिक महत्व:
गाँवों में सर्दियों की सुबह अक्सर चूल्हे पर मूली के पराठे की खुशबू से शुरू होती है। यह सिर्फ एक व्यंजन नहीं, बल्कि एक भावनात्मक कड़ी है जो परिवार को साथ लाती है। माँ के हाथों का पराठा, चाय की प्याली, और ताजी धूप में बैठकर पराठा खाना — यह अनुभव शब्दों में नहीं समेटा जा सकता।
🌍 मूली का पराठा आज के दौर में:
आज मूली का पराठा सिर्फ उत्तर भारत ही नहीं, मुंबई, बेंगलुरु, कोलकाता और विदेशों तक फैले भारतीय घरों और रेस्टोरेंट्स में लोकप्रिय है। कुछ जगहों पर लोग इसमें चीज, पनीर या मसालों का नया ट्विस्ट भी देते हैं, लेकिन पारंपरिक स्वाद की बात ही कुछ और है।
मूली का पराठा केवल एक स्वादिष्ट व्यंजन नहीं है, यह हमारी सांस्कृतिक पहचान और पारिवारिक गर्मजोशी का प्रतीक है। यह हमें हमारे खेतों, हमारी मातृभूमि और हमारी रसोई की आत्मा से जोड़ता है।
तो अगली बार जब सर्द हवाएं चलें, तवे पर मूली का पराठा ज़रूर सेंकिए — और महसूस कीजिए भारत की मिट्टी की खुशबू अपने भोजन में।
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