मनसा देवी मंदिर हरिद्वार में भगदड़: 27 जुलाई 2025, हरिद्वार में स्थित प्रसिद्ध मंसा देवी मंदिर में श्रावण मास के दौरान एक दुखद स्टाम्पेड (भीड़ नियंत्रण की विफलता से उत्पन्न भगदड़) में कम से कम 6 लोग मारे गए और 28 से 34 लोग घायल हुए। यह हादसा सुबह लगभग 9 बजे हुआ — अफवाहों की चपेट में आकर हजारों श्रद्धालु भय से भगदड़ मचाने लगे थे। यह घटना सिर्फ धार्मिक स्थल की संवेदनशीलता ही नहीं बल्कि भीड़ प्रबंधन में चूक उजागर कर रही है।

घटना का क्रम और कारण:
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समय व स्थान: घटना हुई 27 जुलाई 2025, सुबह 8:30–9:00 बजे, मंदिर की नैरो फुटपाथ पर, जहाँ 5,000 से अधिक श्रद्धालु संकरी 5‑फुट चौड़ी यात्रा मार्ग पर फंसे हुए थे।
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ट्रिगर: किसी ने अफवाह फैलाई कि उच्च वोल्टेज विद्युत तार गिर गया या कोई व्यक्ति इलेक्ट्रिक शॉक ले चुका है। इससे भय पैदा हुआ और भीड़ एक‑दूसरे पर धकेलने लगी।
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वास्तविकता: Uttarakhand Power Corporation Limited (UPCL) ने जांच में पुष्टि की कि वहाँ केवल पूरी तरह इन्सुलेटेड कम वोल्टेज (LT) तार थे, कोई HT लाइन नहीं थी, और किसी को विद्युत झटका नहीं लगा था। अफवाह मात्र थी।

हताहत व घायल विवरण:
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प्रारंभिक रिपोर्ट में 6 लोगों की मौत बताई गई; थोड़ी देर बाद मृतकों की संख्या बढ़कर 8 हो गई, जिनमें एक 6 वर्षीय बालक अरुष शामिल थे।
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लगभग 28 से 34 लोग घायल हुए, जिनमें कई बच्चे व महिलाएं शामिल थीं।
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पीड़ितों की स्थिति: छाती व फेफड़ों पर चोटें (asphyxiation) मुख्य कारण थीं; कुछ पर जले‑नुमा निशान पाए गए, लेकिन UPCL ने विद्युत कारण की पुष्टि नहीं की।

दुविधाएँ और विफलताएँ:
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भीड़ नियंत्रण व्यवस्था विफल: प्रशासन ने भीड़ की तादाद का पूर्वानुमान नहीं लगाया और संकरी पगडंडी पर कोई संशोधित प्रवेश प्रणाली नहीं लागू की गई।
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अवैध दुकानें: पैदल मार्ग पर लगभग 200 से अधिक गैरकानूनी व्यापारी दुकानों ने रास्ता और भी संकरा कर दिया, जिससे निकासी कठिन हो गई।
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पुलिस की अनुपस्थिति: उस समय कोई पुलिस मौजूद नहीं थी, जिससे अफरातफरी बढ़ गई। अधिकारी अनियंत्रित स्थिति में भीड़ को संभाल नहीं पाए।
प्रशासन एवं प्रतिक्रिया:
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उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने गहरी संवेदना व्यक्त की और सभी तीर्थस्थलों पर भीड़ प्रबंधन प्रणाली की समीक्षा का निर्देश दिया।
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जिला मजिस्ट्रेट मयूर दीक्षित ने घटना की मजिस्ट्रियल जांच का आदेश दिया और सड़क, पुलिसिंग और परेशानी की जांच शुरू कर दी है।
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पीड़ितों को मुआवजा: उत्तर प्रदेश सरकार ने मृतक परिवारों को ₹2 लाख और घायल व्यक्तियों को ₹50,000 मुआवजे का ऐलान किया; उत्तराखंड सरकार ने भी समान घोषणा की।
पाठ और भविष्य की तैयारी:
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भीड़‑नियंत्रण में सुधार: ज्योतिर्मय घाटों पर प्रवेश‑निष्कासन पथ, बैरिकेटिंग, और संकरी हिल पगडंडियों का विस्तार आवश्यक हैं।
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मीडिया‑प्रबंधन व अफवाह नियंत्रण: अफवाहों को त्वरित रूप से रोकने के लिए उपयुक्त सूचना व्यवस्था और लाउडस्पीकर सूचना प्रणाली, फैक्ट चेकिंग टीम एवं सोशल मीडिया मॉनिटरिंग ज़रूरी है।
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स्थानीय प्रशासन एवं मंदिर प्रबंधन की भूमिका: धर्मिक स्थलों के आसपास अनधिकृत भवनों व दुकानों का नियंत्रण, और भीड़‑संख्या के अनुसार पुलिस व आपात‑सेवाओं का तैनाती होना चाहिए।

धार्मिक दृष्टि और संवेदनशीलता:
मंसा देवी मंदिर जहां श्रद्धा व आस्था का प्रतीक है, वही यह घटना एक कठोर चेतावनी भी है: धार्मिक आस्था और आधुनिक सुरक्षा प्रबंधन में संतुलन रखना अत्यावश्यक है। विशेष रूप से सावन, नवरात्रि या कुम्भ जैसे अवसरों पर विभिन्न मंदिरों व तीर्थ स्थलों पर सुरक्षा मानकों का पालन बेहद महत्वपूर्ण माना जाना चाहिए।
27 जुलाई 2025 को हुए इस दुःखद Stampede ने केवल 6‑8 परिवारों का जीवन नहीं छीना, बल्कि यह हमें यह भी याद दिलाया कि भीड़‑प्रबंधन, शारीरिक संरचना संरचना, और प्रभावशाली सूचना प्रणाली के अभाव में धार्मिक स्थल कितने असुरक्षित बन सकते हैं। भविष्य में ऐसी त्रासदियों से बचने के लिए:
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मंदिर पथों को साफ व खुला रखना,
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भीड़ विश्लेषण‑आधारित व्यवस्था,
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अफवाह नियंत्रण उपकरण,
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और रात‑दिन आपात‑सेवा व्यवस्था,
इन सभी पहलुओं को मिलाकर योजना बनाना अनिवार्य है।
➤ यदि आप इस घटना से संबंधित मंदिर का इतिहास, यात्रा‑माहौल, या अन्य सावधानियों को जानना चाहते हैं तो कृपया बताएं।
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