लद्दाख में ‘आकाश प्राइम’ मिसाइल का सफल परीक्षण: भारत की वायु सुरक्षा को नई मजबूती

लद्दाख में ‘आकाश प्राइम’ मिसाइल: भारत की रक्षा तैयारियों में एक और ऐतिहासिक अध्याय जुड़ गया है। हाल ही में लद्दाख की ऊँचाई वाली विषम परिस्थितियों में भारत ने अपनी स्वदेशी रूप से विकसित ‘आकाश प्राइम’ मिसाइल का सफल परीक्षण किया। यह परीक्षण भारतीय रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (DRDO) द्वारा किया गया, जो वायु रक्षा प्रणाली को और अधिक सशक्त करने की दिशा में एक अहम कदम है।

इस ब्लॉग में हम विस्तार से जानेंगे कि ‘आकाश प्राइम’ क्या है, इसका परीक्षण क्यों महत्वपूर्ण है, इसके तकनीकी पक्ष क्या हैं और इसका भारत की सैन्य शक्ति पर क्या असर होगा।

लद्दाख में 'आकाश प्राइम' मिसाइल
        लद्दाख में ‘आकाश प्राइम’ मिसाइल

क्या है ‘आकाश प्राइम’ मिसाइल?

‘आकाश प्राइम’ (Akash Prime) एक एडवांस्ड सतह से हवा में मार करने वाली मिसाइल (Surface to Air Missile – SAM) है, जिसे DRDO द्वारा विकसित किया गया है। यह आकाश मिसाइल सिस्टम का उन्नत संस्करण है, जो उच्च ऊँचाई और अत्यधिक ठंडी जलवायु में भी प्रभावी ढंग से काम कर सकती है।

आकाश प्राइम को विशेष रूप से उच्च गति वाले हवाई लक्ष्यों को पहचानने और मार गिराने की क्षमता दी गई है। यह भारत के सीमावर्ती क्षेत्रों जैसे लद्दाख, सियाचिन और अरुणाचल प्रदेश में बहुत उपयोगी साबित हो सकती है।

लद्दाख में क्यों किया गया परीक्षण?

लद्दाख भारत का एक सामरिक दृष्टि से अत्यंत महत्वपूर्ण क्षेत्र है, जो चीन और पाकिस्तान की सीमाओं से जुड़ा है। यहां का तापमान -30 डिग्री सेल्सियस तक गिर सकता है और ऊँचाई 14,000 फीट से अधिक होती है।

ऐसे में किसी भी रक्षा प्रणाली की वास्तविक प्रभावशीलता का मूल्यांकन करने के लिए इसे लद्दाख जैसी विषम परिस्थितियों में परखना जरूरी होता है।

इस परीक्षण के पीछे मुख्य उद्देश्य यह था कि यह पता लगाया जा सके कि क्या आकाश प्राइम अत्यधिक ऊँचाई, कम ऑक्सीजन और सर्द जलवायु में भी लक्ष्य को सटीकता से नष्ट कर सकती है।

DRDO ने यह सिद्ध कर दिया कि भारत की मिसाइल तकनीक अब दुनिया के किसी भी हिस्से में काम कर सकती है।

परीक्षण की प्रमुख बातें:

  1. सफलता का स्तर: आकाश प्राइम ने अपने लक्ष्य को हवा में ही भेद दिया और इसे पूरी तरह नष्ट कर दिया।

  2. लक्ष्य: यह एक नकली दुश्मन ड्रोन (टारगेट एयरक्राफ्ट) पर किया गया परीक्षण था।

  3. रडार और ट्रैकिंग: परीक्षण के दौरान मल्टी-फंक्शन रडार और कमांड एंड कंट्रोल सिस्टम का भी उपयोग हुआ, जिसने लक्ष्य को ट्रैक करने और निर्देश देने में भूमिका निभाई।

  4. मोबाइल प्लेटफॉर्म: मिसाइल लॉन्चर एक मोबाइल प्लेटफॉर्म पर स्थापित किया गया था, जो सेना को अधिक लचीलापन प्रदान करता है।

लद्दाख में 'आकाश प्राइम' मिसाइल
          लद्दाख में ‘आकाश प्राइम’ मिसाइल

आकाश प्राइम के प्रमुख फीचर:

विशेषता विवरण
मारक क्षमता   25 से 30 किलोमीटर
लक्ष्य की गति 1.8 से 2.5 मैक तक
गति सुपरसोनिक
प्रणाली मोबाइल स्वचालित प्रणाली
रडार AESA रडार के साथ

भारत के लिए रणनीतिक लाभ:

  1. चीन और पाकिस्तान के लिए संदेश: भारत अब उच्च ऊंचाई वाली सीमाओं पर भी आत्मनिर्भर और आक्रामक रक्षा नीति अपनाने में सक्षम है।

  2. आत्मनिर्भर भारत अभियान: यह परीक्षण ‘मेक इन इंडिया’ और ‘आत्मनिर्भर भारत’ मिशन को मजबूत करता है क्योंकि यह पूरी तरह से स्वदेशी तकनीक से बनी मिसाइल है।

  3. वायु रक्षा कवच को मजबूती: आकाश प्राइम मिसाइल प्रणाली भारत के एयर डिफेंस नेटवर्क को और मजबूत बनाएगी, जिससे किसी भी हवाई घुसपैठ का त्वरित और सटीक जवाब दिया जा सकेगा।

विशेषज्ञों की राय:

रक्षा विश्लेषक मानते हैं कि आकाश प्राइम जैसी मिसाइलों का परीक्षण यह दिखाता है कि भारत अब सिर्फ रणनीतिक रक्षा ही नहीं, बल्कि सामरिक आक्रामकता की दिशा में भी तैयार है।

पूर्व वायुसेना प्रमुख एयर चीफ मार्शल (सेवानिवृत्त) बी.एस. धनोआ ने कहा,

“आकाश प्राइम जैसे सिस्टम भारत को सीमाओं पर युद्ध के पहले चरण में वर्चस्व दिला सकते हैं।”

लद्दाख में 'आकाश प्राइम' मिसाइल
          लद्दाख में ‘आकाश प्राइम’ मिसाइल

आगे की राह:

अब जब यह परीक्षण सफल हो चुका है, तो जल्द ही इसे भारत की सेनाओं में तैनात किया जाएगा। लद्दाख, अरुणाचल और उत्तराखंड जैसे संवेदनशील क्षेत्रों में इसकी तैनाती से देश की सुरक्षा को कई गुना बढ़ावा मिलेगा।

DRDO अब इसके और भी उन्नत संस्करणों पर कार्य कर रहा है जिसमें लंबी दूरी की वेरिएंट और स्मार्ट रडार तकनीक शामिल होंगी।

लद्दाख में आकाश प्राइम का सफल परीक्षण भारत के रक्षा इतिहास में एक मील का पत्थर है। यह सिर्फ एक मिसाइल नहीं, बल्कि भारत की वैज्ञानिक और सामरिक आत्मनिर्भरता का प्रतीक है। जब सीमाएं तनावपूर्ण हों, तो ऐसी तकनीकें भारत को आत्मविश्वास और निर्णायक क्षमता प्रदान करती हैं।

भारत अब अपनी सीमाओं की रक्षा के लिए किसी पर निर्भर नहीं है — आकाश अब और भी प्राइम हो चुका है।

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