हर दिन हम दूध और दूध से बनी चीज़ें खाते-पीते हैं — जैसे दूध, दही, पनीर, चीज़, आइसक्रीम और भी बहुत कुछ। लेकिन क्या आप जानते हैं कि कुछ लोग दूध पीने के बाद पेट में मरोड़, गैस, सूजन या दस्त जैसी समस्याओं से जूझते हैं? अगर ऐसा बार-बार हो रहा है, तो यह लैक्टोज इंटोलरेंस (Lactose Intolerance) हो सकता है। यह एक आम लेकिन कम समझी जाने वाली स्थिति है।
इस ब्लॉग में हम विस्तार से जानेंगे कि लैक्टोज इंटोलरेंस क्या होती है, इसके लक्षण क्या हैं, क्यों होती है, किन लोगों को होती है, और इससे बचाव के आसान उपाय क्या हैं। आइए इस महत्वपूर्ण स्वास्थ्य विषय को आसान भाषा में समझते हैं।
लैक्टोज इंटोलरेंस क्या है? What is Lactose Intolerance?
लैक्टोज इंटोलरेंस का मतलब है कि आपका शरीर दूध में पाए जाने वाले शुगर को पचाने में असमर्थ है। दूध और दूध से बने उत्पादों में मौजूद एक प्राकृतिक शुगर होता है जिसे लैक्टोज कहा जाता है। जब किसी के शरीर में लैक्टेज नामक एंजाइम की कमी होती है, जो लैक्टोज को तोड़ने में मदद करता है, तो उस व्यक्ति को लैक्टोज इंटोलरेंस कहा जाता है।
यह एक एलर्जी नहीं है, लेकिन यह एक पाचन समस्या है। इसका मतलब यह नहीं है कि यह खतरनाक है, लेकिन यह असुविधाजनक ज़रूर हो सकती है।
क्यों होती है लैक्टोज इंटोलरेंस?
यह समस्या तब शुरू होती है जब हमारी छोटी आंत पर्याप्त लैक्टेज एंजाइम नहीं बनाती। लैक्टेज वह एंजाइम है जो लैक्टोज को ग्लूकोज और गैलेक्टोज नामक सरल शुगर में तोड़ता है ताकि शरीर उसे पचा सके। अगर यह प्रक्रिया नहीं हो पाती, तो लैक्टोज बिना पचे बड़ी आंत तक पहुंचता है, जहाँ यह गैस, मरोड़, सूजन और दस्त जैसी समस्याएं पैदा करता है।
Lactose Intolerance के पीछे कई वजहें हो सकती हैं:
आनुवांशिक कारण: कुछ लोगों में यह समस्या जन्म से ही होती है। विशेषकर एशियाई, अफ्रीकी और लैटिन अमेरिकी समुदायों में लैक्टोज इंटोलरेंस अधिक देखने को मिलता है।
उम्र बढ़ना: उम्र के साथ शरीर में लैक्टेज का निर्माण कम होता जाता है। इसलिए कई लोगों को उम्र बढ़ने के साथ दूध से परेशानी होने लगती है।
आंतों की चोट या बीमारी: अगर किसी को गंभीर गैस्ट्रोएंटेराइटिस, सीलिएक डिजीज, या क्रोन्स डिजीज जैसी बीमारी होती है, तो यह लैक्टेज की कमी का कारण बन सकती है।
सर्जरी: कभी-कभी आंतों की सर्जरी के बाद भी यह समस्या हो सकती है।
लैक्टोज इंटोलरेंस के लक्षण क्या हैं? Symptoms of Lactose Intolerance
लैक्टोज इंटोलरेंस के लक्षण आमतौर पर दूध या दूध से बने उत्पाद खाने के 30 मिनट से 2 घंटे के भीतर दिखाई देने लगते हैं। इन लक्षणों में शामिल हैं:
- पेट में मरोड़ या ऐंठन
- गैस बनना
- सूजन या फुलाव
- दस्त या ढीला पेट
- उल्टी जैसा महसूस होना
- कभी-कभी सिरदर्द या थकान
हर व्यक्ति में ये लक्षण अलग-अलग तीव्रता के हो सकते हैं। कुछ लोगों को सिर्फ थोड़ा फुलाव महसूस होता है, तो कुछ को दस्त जैसी गंभीर समस्या होती है।
कैसे पता चले कि आपको लैक्टोज इंटोलरेंस है?
अगर आपको दूध या उससे बनी चीजें खाने के बाद बार-बार पेट से जुड़ी समस्या होती है, तो यह Lactose Intolerance हो सकता है। लेकिन खुद से निष्कर्ष निकालना ठीक नहीं है। सही जानकारी के लिए डॉक्टर से संपर्क करना ज़रूरी है।
डॉक्टर कुछ जांचें कर सकते हैं जैसे:
लैक्टोज टॉलरेंस टेस्ट: इसमें आपको लैक्टोज पीने को दिया जाता है और फिर ब्लड टेस्ट से देखा जाता है कि आपका शरीर इसे कितनी मात्रा में अवशोषित कर पाता है।
हाइड्रोजन ब्रीथ टेस्ट: लैक्टोज पचाने में असमर्थ शरीर की बड़ी आंत में बैक्टीरिया गैस बनाते हैं। यह गैस सांस में मौजूद होती है, जिसे इस टेस्ट से मापा जाता है।
स्टूल एसिडिटी टेस्ट: खासकर छोटे बच्चों के लिए यह टेस्ट किया जाता है जिससे यह देखा जाता है कि लैक्टोज बिना पचे ही बाहर आ रहा है या नहीं।
लैक्टोज इंटोलरेंस और डेयरी एलर्जी में क्या फर्क है?
बहुत से लोग लैक्टोज इंटोलरेंस(Lactose Intolerance) को डेयरी एलर्जी समझ बैठते हैं, लेकिन दोनों बिल्कुल अलग चीज़ें हैं। लैक्टोज इंटोलरेंस एक पाचन समस्या है जबकि डेयरी एलर्जी शरीर की इम्यून प्रणाली की प्रतिक्रिया होती है। एलर्जी में दूध पीने के तुरंत बाद रैश, सांस लेने में तकलीफ या सूजन हो सकती है, जबकि लैक्टोज इंटोलरेंस में केवल पेट से जुड़ी समस्याएं होती हैं।
लैक्टोज इंटोलरेंस का इलाज और बचाव कैसे करें?
अभी तक लैक्टोज इंटोलरेंस का कोई स्थायी इलाज नहीं है, लेकिन इससे बचाव किया जा सकता है। सबसे पहले तो आपको लैक्टोज युक्त खाद्य पदार्थों से परहेज़ करना होगा या सीमित मात्रा में उनका सेवन करना होगा। कुछ और उपायों से आप बेहतर जीवन जी सकते हैं:
लैक्टोज फ्री डायट अपनाएं
बाजार में अब लैक्टोज फ्री दूध, दही और पनीर जैसे विकल्प उपलब्ध हैं जिन्हें आप अपनी डायट में शामिल कर सकते हैं।
लैक्टेज एंजाइम सप्लीमेंट
यह टेबलेट या पाउडर के रूप में आता है जिसे आप लैक्टोज युक्त भोजन के साथ ले सकते हैं। यह शरीर को लैक्टोज पचाने में मदद करता है।
दही और पनीर का सीमित सेवन
कुछ लोगों को दही और पनीर कम मात्रा में पच जाते हैं क्योंकि इनमें लैक्टोज की मात्रा कम होती है। आप इन्हें ट्राई कर सकते हैं।
कैल्शियम के अन्य स्रोत
दूध ना पी पाने के कारण शरीर में कैल्शियम की कमी हो सकती है। इसके लिए आप हरी पत्तेदार सब्जियां, टोफू, बादाम, सोया दूध, और कैल्शियम सप्लीमेंट का सेवन कर सकते हैं।
लोगों में लैक्टोज इंटोलरेंस कितना आम है?
विश्व स्तर पर देखा जाए तो लगभग 65% वयस्कों में कुछ न कुछ मात्रा में लैक्टोज इंटोलरेंस(Lactose Intolerance) पाई जाती है। एशिया, अफ्रीका और दक्षिण अमेरिका के देशों में यह संख्या अधिक है। भारत में भी बड़ी संख्या में लोग इससे प्रभावित हैं, खासकर दक्षिण भारत और उत्तर-पूर्वी क्षेत्रों में।
बच्चों में लैक्टोज इंटोलरेंस
बच्चों में यह समस्या कम देखने को मिलती है, लेकिन अगर किसी बच्चे को दूध पीने के तुरंत बाद पेट दर्द या दस्त होता है, तो यह संकेत हो सकता है। जन्मजात लैक्टेज की कमी दुर्लभ होती है, लेकिन हो सकती है। अगर ऐसा है, तो तुरंत बाल रोग विशेषज्ञ से संपर्क करें।
क्या लैक्टोज इंटोलरेंस से वजन बढ़ता है या घटता है?
यह सवाल बहुत से लोग पूछते हैं। दरअसल, लैक्टोज इंटोलरेंस सीधे तौर पर वजन को प्रभावित नहीं करता। लेकिन अगर आप दूध और डेयरी उत्पादों से परहेज़ करते हैं और उन्हें पौष्टिक विकल्पों से नहीं बदलते हैं, तो पोषण की कमी या भूख कम लगने से वजन घट सकता है। वहीं कुछ लोग हेल्दी विकल्प की जगह जंक फूड खाने लगते हैं जिससे वजन बढ़ सकता है।
क्या लैक्टोज इंटोलरेंस हमेशा के लिए होता है?
इसका जवाब व्यक्ति विशेष पर निर्भर करता है। कुछ लोगों को यह उम्र के साथ अस्थायी रूप से होता है, खासकर अगर यह किसी बीमारी या संक्रमण के कारण हुआ हो। लेकिन ज्यादातर मामलों में यह समस्या लंबे समय तक रहती है और लोगों को अपनी जीवनशैली में बदलाव लाना होता है।
मानसिक स्वास्थ्य पर असर
हालांकि यह पाचन से जुड़ी समस्या है, लेकिन बार-बार होने वाली असुविधा, भोजन में सीमाएं और सामाजिक मौकों पर परेशानी के कारण कुछ लोगों में तनाव और चिंता जैसी मानसिक स्थिति भी हो सकती है। इसलिए सही जानकारी और हेल्दी रूटीन जरूरी है।
समझदारी और संयम से लैक्टोज इंटोलरेंस को संभालें
लैक्टोज इंटोलरेंस (Lactose Intolerance) कोई बीमारी नहीं बल्कि एक सामान्य पाचन समस्या है जिसे सही जानकारी, डॉक्टर की सलाह और खानपान में बदलाव से अच्छी तरह नियंत्रित किया जा सकता है। ज़रूरी है कि आप अपने शरीर के संकेतों को समझें और किसी भी समस्या को नजरअंदाज़ ना करें।
अगर आपको भी दूध पीने के बाद बार-बार पेट में दिक्कत होती है, तो समय रहते जांच करवाएं और ज़रूरी कदम उठाएं। हेल्दी जीवन जीने के लिए ज़रूरी नहीं कि आप दूध ही पिएं — विकल्पों की कोई कमी नहीं।
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