क्योंकि सास भी कभी बहू थी सीज़न 2: भारतीय टेलीविज़न के इतिहास की बात हो और क्योंकि सास भी कभी बहू थी का नाम न आए, यह संभव ही नहीं। एकता कपूर के बालाजी टेलीफिल्म्स के बैनर तले बना यह शो साल 2000 में शुरू हुआ था और पूरे आठ वर्षों तक घर-घर में राज किया। इसने न केवल टीआरपी के रिकॉर्ड तोड़े बल्कि भारतीय समाज की सोच और पारिवारिक मूल्यों पर भी गहरा असर छोड़ा। अब, एक लंबे अंतराल के बाद, दर्शकों के बीच उत्साह है क्योंकि यह धारावाहिक अपने सीज़न 2 के साथ वापसी कर रहा है।

पहले सीज़न की विरासत:
क्योंकि सास भी कभी बहू थी सिर्फ़ एक टीवी सीरियल नहीं बल्कि एक भावना थी। स्मृति ईरानी ने तुलसी विरानी के किरदार को जिस जीवंतता से निभाया, वह आज भी दर्शकों के दिलों में बसा हुआ है। विशाल विरानी परिवार की कहानी में परंपरा, संस्कार, रिश्तों की जटिलताएँ और परिवार के उतार-चढ़ाव को बड़े ही भावनात्मक अंदाज़ में दिखाया गया था।
तुलसी, मिहिर, साविता और बा जैसे किरदार उस दौर में हर भारतीय घर के सदस्य जैसे बन गए थे। शादी-ब्याह की रस्मों से लेकर पारिवारिक राजनीति तक, इस शो का प्रभाव वास्तविक जीवन की चर्चाओं तक में दिखता था।
सीज़न 2 में क्या होगा नया?
अब जब सीज़न 2 की घोषणा हो चुकी है, दर्शकों की उम्मीदें आसमान छू रही हैं।
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नई कहानी: सूत्रों के अनुसार, यह शो एक पूरी तरह से रीमेक नहीं बल्कि विरानी परिवार की नई पीढ़ी पर आधारित होगा। इसमें पुराने संस्कारों और आधुनिक विचारों के बीच संतुलन दिखाया जाएगा।
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कलाकार: स्मृति ईरानी, जो अब राजनीति में सक्रिय हैं, के वापसी करने की संभावना कम है। लेकिन निर्माताओं ने इशारा किया है कि कुछ नए चेहरे और संभवतः कुछ पुराने कलाकार गेस्ट अपीयरेंस में नज़र आ सकते हैं।
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निर्माण गुणवत्ता: आधुनिक तकनीक और बड़े बजट के कारण इस बार शो की शूटिंग, सेट और वेशभूषा पहले से कहीं ज़्यादा भव्य होगी।

अब क्यों हो रही है वापसी?
इस शो की वापसी का समय बेहद खास है। हाल के वर्षों में पुराने लोकप्रिय शोज़ की वापसी का ट्रेंड तेज़ी से बढ़ा है। क्योंकि सास भी कभी बहू थी के पुराने एपिसोड्स आज भी डिजिटल प्लेटफॉर्म्स पर खूब देखे जाते हैं, जिससे यह साफ़ हो गया कि दर्शक अब भी तुलसी और विरानी परिवार की कहानियों को मिस कर रहे हैं।
एकता कपूर ने भी हाल ही में संकेत दिए कि प्रशंसकों की डिमांड लगातार बढ़ रही थी और यही सही समय है जब इस शो को दोबारा शुरू किया जाए।
दर्शकों की उम्मीदें:
पहली पीढ़ी के दर्शक, जिन्होंने तुलसी का संघर्ष और विजय देखी थी, अब एक अलग उम्र समूह में हैं। वे उसी भावनात्मक जुड़ाव और पारिवारिक ऊष्मा की उम्मीद कर रहे हैं। वहीं, नई पीढ़ी के दर्शक तेज़-रफ़्तार कहानी, आधुनिक मुद्दों और मजबूत किरदारों की उम्मीद लगाए बैठे हैं।
निर्माताओं के लिए चुनौती यही है कि वे नॉस्टैल्जिया और आधुनिकता के बीच सही संतुलन बना पाएँ।
भारतीय टेलीविज़न पर असर:
पहले सीज़न ने भारतीय टीवी की परिभाषा बदल दी थी। इसने बड़े संयुक्त परिवारों, भावनात्मक ड्रामा, रिश्तों की पेचीदगियों और परंपराओं के इर्द-गिर्द घूमने वाले सीरियल्स का एक नया दौर शुरू किया।
सीज़न 2 से उम्मीद है कि यह:
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फिर से बहु-पीढ़ी के दर्शकों को जोड़ पाएगा
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फैमिली ड्रामा का स्तर ऊँचा उठाएगा
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टीवी इंडस्ट्री में नए रिकॉर्ड बनाएगा
चुनौतियाँ:
आज का दर्शक पहले से कहीं ज़्यादा विकल्पों का आदी है। ओटीटी प्लेटफॉर्म्स पर अंतरराष्ट्रीय कंटेंट उपलब्ध होने से दर्शकों का स्वाद बदल गया है। ऐसे में लंबे समय तक चलने वाले डेली सोप के लिए दर्शकों को बांधे रखना आसान नहीं होगा।
साथ ही, स्मृति ईरानी के बिना तुलसी का प्रभाव दोबारा गढ़ना एक बड़ी चुनौती होगी।
क्योंकि सास भी कभी बहू थी सीज़न 2 का आना भारतीय टेलीविज़न के लिए एक उत्सव से कम नहीं है। यह शो एक बार फिर दर्शकों को पारिवारिक मूल्यों, भावनाओं और नाटकीयता से भरपूर मनोरंजन देने का वादा करता है। क्या यह पहले सीज़न की तरह इतिहास रचेगा? यह तो समय बताएगा, लेकिन एक बात तय है—विरानी परिवार एक बार फिर सबका दिल जीतने लौट रहा है।
तो तैयार हो जाइए, क्योंकि फिर गूंजेगा —
“क्योंकि सास भी कभी बहू थी।”
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