क्यों न निकलें घर से बाहर इस मानसून में

क्यों न निकलें घर से बाहर इस मानसून में: बरसात का मौसम यानी मानसून का समय प्रकृति की ताजगी और हरियाली लेकर आता है। पेड़‑पौधे हरे‑भरे हो जाते हैं, नदियाँ और झरने लबालब हो जाते हैं, और वातावरण सुहावना लगता है। लेकिन इसी सुहावने मौसम में कई खतरे भी छिपे होते हैं। अक्सर लोग बारिश का मज़ा लेने या रोज़मर्रा के कामों के लिए घर से बाहर निकलते हैं, लेकिन इस मौसम में यह कदम कभी‑कभी जोखिम भरा साबित हो सकता है। आइए जानते हैं कि क्यों मानसून के दौरान घर से बाहर निकलने से बचना चाहिए।

क्यों न निकलें घर से बाहर इस मानसून में
     क्यों न निकलें घर से बाहर इस मानसून में

सड़क हादसों का बढ़ा खतरा:

बरसात में सड़कें फिसलन भरी हो जाती हैं। बारिश के पानी से गड्ढे छिप जाते हैं और वाहनों की ब्रेकिंग क्षमता कम हो जाती है। अक्सर दुर्घटनाएं इसी वजह से होती हैं। दोपहिया वाहन चलाने वालों के लिए तो यह मौसम और भी खतरनाक है, क्योंकि फिसलने की संभावना बहुत अधिक रहती है।

बिजली गिरने का खतरा:

मानसून के दौरान आकाशीय बिजली गिरने की घटनाएँ आम हो जाती हैं। खेतों, खुले मैदानों या ऊंचे स्थानों पर जाने से यह खतरा और बढ़ जाता है। विशेषज्ञों के अनुसार, आकाशीय बिजली से बचने का सबसे सुरक्षित तरीका यही है कि घर या पक्की इमारत के अंदर रहें।

जलभराव और बाढ़ का खतरा:

शहरों और गाँवों दोनों में ही मानसून के दौरान जलभराव एक आम समस्या है। सड़कें नदी का रूप ले लेती हैं और पैदल चलने वाले लोगों को भी कठिनाई होती है। कई बार खुले गड्ढे, मैनहोल और नालियाँ बारिश के पानी में दिखाई नहीं देते और हादसे हो जाते हैं। इसके अलावा, नदियों के किनारे रहने वाले क्षेत्रों में अचानक बाढ़ का खतरा हमेशा बना रहता है।

संक्रामक बीमारियों का फैलना:

मानसून के मौसम में डेंगू, मलेरिया, चिकनगुनिया और टाइफाइड जैसी बीमारियाँ तेजी से फैलती हैं। गंदे और रुके हुए पानी में मच्छरों का प्रजनन होता है, जिससे मलेरिया और डेंगू का खतरा बढ़ जाता है। इसी तरह, गंदे पानी के संपर्क में आने से पेट और त्वचा से जुड़ी बीमारियाँ भी हो सकती हैं।

भूस्खलन और क्लाउड बर्स्ट का खतरा:

विशेषकर उत्तराखंड जैसे पहाड़ी इलाकों में मानसून का मौसम अत्यधिक खतरनाक हो सकता है। भूस्खलन और क्लाउड बर्स्ट की घटनाएँ आम होती हैं, जिससे सड़कें बंद हो जाती हैं और जान-माल का नुकसान होता है। ऐसे इलाकों में घर से बाहर निकलना जान जोखिम में डालने जैसा है।

यातायात जाम और परेशानी:

भारी बारिश के दौरान यातायात जाम की स्थिति भी आम है। गाड़ियों के खराब हो जाने, जलभराव और दुर्घटनाओं के कारण लोग घंटों जाम में फंसे रहते हैं। इससे न केवल समय की बर्बादी होती है बल्कि तनाव भी बढ़ता है।

क्यों न निकलें घर से बाहर इस मानसून में
    क्यों न निकलें घर से बाहर इस मानसून में

मानसिक और शारीरिक थकान:

बरसात में बाहर निकलना सिर्फ खतरनाक ही नहीं बल्कि थकान भरा भी होता है। भीगने से सर्दी‑जुकाम और बुखार की संभावना बढ़ जाती है। गंदे पानी और कीचड़ में चलना व्यक्ति को मानसिक और शारीरिक रूप से थका देता है।

सुरक्षित रहने के उपाय:

अगर किसी मजबूरी में आपको घर से बाहर निकलना ही पड़े तो इन बातों का ध्यान रखें:

  • रेनकोट और छतरी का प्रयोग करें, ताकि आप भीगने से बच सकें।

  • पानी से भरी सड़कों से बचें, क्योंकि गड्ढे या खुले मैनहोल खतरनाक साबित हो सकते हैं।

  • मच्छरों से बचाव के लिए रिपेलेंट लगाएँ और पूरे कपड़े पहनें।

  • जरूरी दवाएँ और मोबाइल चार्जर साथ रखें।

  • मौसम की जानकारी लेकर ही यात्रा करें।

घर पर रहते हुए बरसात का आनंद:

यदि आप घर पर ही रहेंगे तो न केवल सुरक्षित रहेंगे बल्कि बरसात का मज़ा भी ले पाएंगे।

  • खिड़की से बारिश की बूंदों को देखते हुए चाय या कॉफी का आनंद लें।

  • परिवार के साथ बैठकर किताब पढ़ें या फिल्म देखें।

  • बच्चों के साथ इनडोर गेम्स खेलें।

  • पौधों की देखभाल करें और उन्हें बारिश के पानी से सींचें।

मानसून निश्चित ही रोमांचक और ताजगी देने वाला मौसम है, लेकिन इसके साथ कई खतरे भी जुड़े होते हैं। चाहे वह सड़क हादसे हों, बीमारियों का खतरा हो या भूस्खलन जैसी आपदाएँ—सावधानी ही सबसे बड़ा उपाय है। इसलिए इस बरसात के मौसम में जब तक बेहद जरूरी न हो, घर से बाहर निकलने से बचें। यही आपकी और आपके परिवार की सुरक्षा का सबसे अच्छा तरीका है।

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