कुमाऊँनी व्यंजन रोटाणा (Rotana) की रेसिपी, इतिहास और पारंपरिक महत्त्व

कुमाऊँनी व्यंजन रोटाणा: उत्तराखंड के कुमाऊँ क्षेत्र की पारंपरिक रसोई में कई ऐसे व्यंजन हैं जो न केवल स्वादिष्ट होते हैं, बल्कि स्वास्थ्यवर्धक भी होते हैं। इन्हीं व्यंजनों में से एक है “रोटाणा”। यह एक पारंपरिक मीठा व्यंजन है जो गेहूं या मंडुए (रागी) के आटे से बनाया जाता है और इसमें गुड़ या शक्कर का उपयोग होता है। रोटाणा को खास अवसरों या त्यौहारों पर बनाया जाता था, विशेषकर तब जब घर में कोई पूजा या मांगलिक कार्य होता था। आज हम रोटाणा की रेसिपी, इसका इतिहास और इसके सांस्कृतिक महत्त्व को विस्तार से जानेंगे।

कुमाऊँनी व्यंजन रोटाणा
           कुमाऊँनी व्यंजन रोटाणा

कुमाऊँनी व्यंजन रोटाणा का इतिहास और सांस्कृतिक महत्त्व:

रोटाणा कुमाऊँ की पारंपरिक ग्रामीण रसोई से जुड़ा हुआ एक व्यंजन है, जिसका इतिहास सदियों पुराना है। यह व्यंजन मुख्य रूप से पर्वतीय क्षेत्रों में खाए जाने वाले उस समय के भोजन का हिस्सा था जब रसोई में सीमित सामग्री ही उपलब्ध होती थी। पर्वतीय जीवन की कठिन परिस्थितियों में ऐसे व्यंजन बनाए जाते थे जो ऊर्जा देने वाले हों और लंबे समय तक पेट भरकर रख सकें। रोटाणा इसी श्रेणी में आता है।

कुमाऊँ में इसे विशेष रूप से उन दिनों में बनाया जाता था जब घर में देसी घी, गुड़ और ताजे आटे की उपलब्धता हो। पहले जब खेतों से नई फसल आती थी, तो उसका आटा पिसवाकर रोटाणा बनाया जाता था और इसे प्रसाद के रूप में देवताओं को अर्पित किया जाता था। कई बार यह किसी नवविवाहित कन्या के ससुराल जाने से पहले उसकी विदाई पर भी बनाया जाता था।

रोटाणा बनाने की विधि (Rotana Recipe in Hindi):

सामग्री (Ingredients):

  • गेहूं का आटा – 2 कप (या मंडुए का आटा भी उपयोग किया जा सकता है)

  • गुड़ – 1 कप (कद्दूकस किया हुआ या टुकड़ों में)

  • पानी – 2 कप

  • देसी घी – 4-5 बड़े चम्मच

  • सौंफ – 1 छोटा चम्मच

  • इलायची पाउडर – ½ छोटा चम्मच

  • सूखे मेवे (काजू, बादाम – वैकल्पिक)

बनाने की विधि (Step-by-Step Method):

चरण 1: गुड़ का घोल तैयार करें

  • सबसे पहले एक पैन में 2 कप पानी डालें और उसमें कद्दूकस किया हुआ गुड़ डालें।

  • मध्यम आंच पर पकाते हुए गुड़ को पूरी तरह से घुलने दें।

  • जब घोल तैयार हो जाए, तो छानकर अलग रख लें ताकि कोई अशुद्धि या गंदगी न रह जाए।

चरण 2: आटे को भूनना

  • एक कढ़ाई में देसी घी डालें और गर्म करें।

  • अब उसमें गेहूं का आटा डालें और धीमी आंच पर लगातार चलाते हुए भूनें।

  • आटा जब सुनहरा भूरा रंग का हो जाए और उसमें से सुगंध आने लगे, तब समझिए कि वह अच्छी तरह भुन चुका है। इसमें लगभग 10-12 मिनट का समय लग सकता है।

चरण 3: गुड़ का घोल मिलाना

  • अब भुने हुए आटे में धीरे-धीरे गुड़ का घोल डालें और साथ ही चलाते रहें ताकि गांठें न बनें।

  • अब इसमें सौंफ और इलायची पाउडर भी डालें।

चरण 4: पकाना और गाढ़ा करना

  • अब इस मिश्रण को धीमी आंच पर तब तक पकाएं जब तक यह गाढ़ा न हो जाए और कढ़ाई छोड़ने लगे।

  • जब रोटाणा गाढ़ा होकर एकसार हो जाए तो गैस बंद कर दें।

चरण 5: परोसना

  • अब इसे एक थाली में निकाल लें, ऊपर से थोड़ा घी डालें और चाहें तो सूखे मेवे से सजाएं।

  • इसे गरम-गरम ही खाएं, इसका स्वाद और सुगंध दोनों ही अद्भुत होते हैं।

रोटाणा से जुड़े कुछ रोचक तथ्य:

  1. त्योहारों पर महत्त्व:
    रोटाणा को विशेष रूप से मकर संक्रांति और हरेला जैसे लोक पर्वों पर भी बनाया जाता था।

  2. स्वास्थ्य की दृष्टि से लाभकारी:
    इसमें गुड़ होता है जो आयरन का अच्छा स्रोत है और घी जो ऊर्जा देता है। साथ ही भुना आटा पाचन में सहायक होता है।

  3. मंडुए का रोटाणा:
    आधुनिक दौर में लोग मंडुए (फिंगर मिलेट) के आटे से भी रोटाणा बनाते हैं जिससे यह और भी पौष्टिक हो जाता है। मंडुआ ग्लूटन-फ्री होता है और शुगर नियंत्रित करने में सहायक होता है।

रोटाणा केवल एक मिठाई नहीं है, यह कुमाऊँ की सांस्कृतिक विरासत का प्रतीक है। यह व्यंजन हमें यह याद दिलाता है कि कैसे सरलतम सामग्री से स्वादिष्ट और स्वास्थ्यवर्धक भोजन तैयार किया जा सकता है। आज भले ही आधुनिक रेसिपीज़ ने रसोई में जगह बना ली हो, लेकिन पारंपरिक व्यंजनों की मिठास और अपनापन आज भी दिल को छू जाता है।

यदि आप उत्तराखंड के पारंपरिक स्वाद को अपने घर में महसूस करना चाहते हैं, तो रोटाणा अवश्य बनाएं और कुमाऊँ की रसोई का हिस्सा बनाएं।

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