खसखस का दूध: खसखस (पोस्ता दाना) एक बेहद पौष्टिक और औषधीय गुणों से भरपूर बीज है, जिसे भारतीय रसोई में पारंपरिक रूप से इस्तेमाल किया जाता रहा है। विशेष रूप से गर्मियों में यह ठंडक देने वाले पेय — “खसखस का दूध” — के रूप में लोकप्रिय है। यह सिर्फ एक पेय नहीं, बल्कि शरीर को शीतलता और मानसिक शांति देने वाला औषधीय टॉनिक है।

खसखस का इतिहास और उत्पत्ति:
उत्पत्ति:
खसखस की खेती का सबसे पुराना प्रमाण मेसोपोटामिया और मिस्र की सभ्यताओं में मिलता है, जहां इसे “जादुई बीज” कहा जाता था। भारत में यह मुख्यतः ईरान और मध्य एशिया से आया। मुगलों के आगमन के साथ ही खसखस और उससे बनने वाले पेयों और मिठाइयों ने शाही दरबारों में जगह बनाई।
मुगल बादशाहों में खासकर अकबर और जहाँगीर के खानपान में खसखस का विशेष महत्व था।
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अकबर के काल में:
अकबर के राजवैद्य हकीम अली गिलानी द्वारा शाही भोजन में खसखस का दूध रात के भोजन के बाद अनिवार्य किया गया था, जिससे शांति से नींद आए और शरीर की गर्मी शांत हो। -
जहाँगीर के समय:
जहाँगीर, जो अत्यधिक शराब सेवन के लिए भी जाने जाते थे, के लिए खसखस का दूध एक तरह से मानसिक संतुलन और लीवर को राहत देने वाला टॉनिक था। इतिहासकार अबुल फज़ल ने आइन-ए-अकबरी में खसखस का उल्लेख करते हुए इसे “रात्रि विश्राम हेतु उपयुक्त” बताया है।
खसखस का दूध कैसे बनाएं?
सामग्री:
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सफेद खसखस – 3 बड़े चम्मच
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काजू – 6-7 (वैकल्पिक)
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बादाम – 6-7 (रातभर भीगे हुए)
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दूध – 500 मि.ली.
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इलायची पाउडर – ¼ चम्मच
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शहद/गुड़/कद्दू का मिश्री – स्वाद अनुसार
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केसर – कुछ धागे (वैकल्पिक)
विधि:
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भीगाना:
रातभर सफेद खसखस को पानी में भिगो दें। अगर समय कम हो, तो गर्म पानी में 2-3 घंटे भीगने दें। साथ में बादाम और काजू भी भिगो सकते हैं। -
पीसना:
भीगे हुए खसखस को बादाम, काजू और थोड़ा दूध डालकर बारीक पेस्ट बना लें। -
पकाना:
एक भगोने में दूध गर्म करें। जब उबाल आने लगे, तो उसमें खसखस का पेस्ट डालें। -
मसाले मिलाना:
अब उसमें इलायची पाउडर और केसर डालें। धीमी आंच पर 5-7 मिनट पकाएं। -
मीठा मिलाएं:
आंच बंद करने के बाद इसमें शहद या मिश्री डालें। चीनी से बचें, क्योंकि खसखस का दूध औषधीय होता है। -
परोसना:
इसे गर्म या ठंडा — दोनों तरह से पी सकते हैं। यह बच्चों से लेकर बुजुर्गों तक सभी के लिए लाभकारी है।
खसखस के दूध के फायदे:
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नींद लाने में सहायक:
खसखस में मैग्नीशियम व ट्रिप्टोफैन होता है, जो मस्तिष्क को शांति देता है। -
पाचन में सुधार:
फाइबर से भरपूर होने के कारण यह पाचन को बेहतर करता है। -
शीतलता प्रदान करता है:
शरीर की गर्मी को शांत करता है, विशेषकर गर्मियों में। -
हड्डियों के लिए फायदेमंद:
इसमें कैल्शियम, जिंक और फॉस्फोरस होता है जो हड्डियों को मजबूत करता है। -
तनाव और चिड़चिड़ापन कम करता है।

ध्यान देने योग्य बातें:
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बच्चों को सीमित मात्रा में दें।
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अधिक मात्रा में सेवन से नींद अत्यधिक आ सकती है।
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नशे या अवसाद में इसका दुरुपयोग न करें, क्योंकि खसखस अफीम के पौधे से संबंधित है, भले ही बीज में नशा नहीं होता।
खसखस का दूध भारतीय पारंपरिक औषधियों में एक अद्वितीय स्थान रखता है। यह न सिर्फ पोषण से भरपूर है, बल्कि मानसिक और शारीरिक संतुलन बनाए रखने में भी सहायक है। जब राजा-महाराजा इसे रात में विश्राम से पहले पीते थे, तो आज भी यह हम सबके लिए एक प्राकृतिक औषधि के समान है।
खसखस का दूध न केवल स्वादिष्ट है, बल्कि आयुर्वेदिक गुणों से भरपूर एक पारंपरिक पेय है। यह शरीर को ठंडक, मानसिक शांति और अच्छी नींद प्रदान करता है। शाही रसोई से लेकर आज की थकान भरी दिनचर्या तक, यह दूध हर युग में लाभकारी साबित हुआ है।
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