कढ़ी चावल की रेसिपी: भारतीय रसोई की बात करें और उसमें “कढ़ी चावल” का जिक्र न हो, यह संभव नहीं। यह व्यंजन न केवल स्वाद में लाजवाब है, बल्कि इसकी सरलता, पौष्टिकता और संस्कृति से जुड़ाव इसे भारत के हर कोने में खास बनाता है। उत्तर भारत से लेकर पश्चिम और मध्य भारत तक, कढ़ी चावल हर किसी के दिल और थाली में बसा है।
यह व्यंजन एक ऐसा संयोजन है जो दही की खटास, बेसन के गाढ़ेपन और मसालों के संतुलन से तैयार होता है, जिसे गरमागरम चावल के साथ परोसा जाता है।

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Toggleकढ़ी चावल का इतिहास:
कढ़ी का इतिहास सदियों पुराना है। माना जाता है कि कढ़ी की उत्पत्ति राजस्थान और गुजरात से हुई थी, जहाँ पानी की कमी और लंबी गर्मियों के कारण दही और बेसन को मिलाकर पकवान तैयार किए जाते थे।
धीरे-धीरे यह व्यंजन उत्तर भारत, मध्य भारत और पंजाब तक फैल गया। हर क्षेत्र ने कढ़ी को अपने तरीके से अपनाया:
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राजस्थानी कढ़ी पतली और तीखी होती है।
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गुजराती कढ़ी में मीठापन होता है (गुड़ या शक्कर मिलाकर)।
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पंजाबी कढ़ी में पकोड़े जरूर डाले जाते हैं और तड़का भारी होता है।
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उत्तर भारतीय कढ़ी चावल हल्की होती है और अक्सर व्रत के अगले दिन बनाई जाती है।
कढ़ी चावल को कभी-कभी गरीबों का खाना भी कहा जाता था, क्योंकि इसमें सस्ते और सुलभ सामग्री का उपयोग होता है — फिर भी यह स्वाद और पोषण दोनों में बेहतरीन है।
कढ़ी चावल की सामग्री (4 लोगों के लिए):
🟡 कढ़ी के लिए:
सामग्री | मात्रा |
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बेसन | ½ कप |
दही (खट्टा) | 1 कप |
पानी | 4 कप |
हल्दी पाउडर | ½ टीस्पून |
लाल मिर्च पाउडर | 1 टीस्पून |
नमक | स्वादानुसार |
हींग | एक चुटकी |
मेथी दाना | ½ टीस्पून |
जीरा | 1 टीस्पून |
सरसों के दाने | ½ टीस्पून |
सूखी लाल मिर्च | 2-3 |
करी पत्ता | 7-8 पत्ते |
अदरक-लहसुन का पेस्ट (वैकल्पिक) | 1 टीस्पून |
सरसों का तेल / घी | 2 टेबल स्पून |
🟡 चावल के लिए:
सामग्री | मात्रा |
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बासमती/सादा चावल | 1 कप |
पानी | 2 कप |
नमक | स्वादानुसार |
कढ़ी बनाने की विधि:
👉 चरण 1: कढ़ी का घोल तैयार करें
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एक बड़े बर्तन में बेसन और दही डालें।
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उसमें हल्दी, लाल मिर्च पाउडर और नमक मिलाकर अच्छी तरह फेंटें।
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अब इसमें धीरे-धीरे पानी डालते हुए पतला घोल बना लें। ध्यान दें कि कोई गाठें न रहें।
👉 चरण 2: कढ़ी पकाना
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इस घोल को मध्यम आंच पर पकने रखें और लगातार चलाते रहें ताकि बेसन नीचे चिपके नहीं।
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जब यह उबलने लगे तो आंच धीमी कर दें और 25-30 मिनट तक पकने दें। जितना ज्यादा पकाएँगे, उतना ही स्वाद बढ़ेगा।
👉 चरण 3: तड़का लगाना
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एक छोटी कढ़ाई में तेल गरम करें।
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उसमें मेथी दाना, जीरा, सरसों, हींग, करी पत्ता, सूखी लाल मिर्च और अदरक-लहसुन पेस्ट डालें।
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जब मसाले भुन जाएं, तब यह तड़का पक रही कढ़ी में डालें।
पकोड़े बनाना (वैकल्पिक):
अगर आप पंजाबी स्टाइल कढ़ी चाहते हैं तो बेसन में नमक, अजवाइन, बारीक प्याज और थोड़े पानी से घोल बनाकर पकोड़े तल लें। ये पकोड़े पकने के बाद कढ़ी में डालें और 10 मिनट पकाएं।
चावल बनाना:
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चावल को धोकर 20 मिनट भिगो दें।
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एक बर्तन में पानी और थोड़ा नमक डालकर मध्यम आंच पर पकाएं।
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चावल जब पूरी तरह पक जाए तो पानी निकाल दें।
परोसने का तरीका:
कढ़ी और गरमागरम चावल को साथ परोसें। साथ में आप पापड़, हरी मिर्च, लहसुन की चटनी या अचार रख सकते हैं। इसे पीतल की थाली या मिट्टी की कटोरी में परोसने से स्वाद और भी बढ़ जाता है।
पोषण लाभ:
तत्व | लाभ |
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बेसन | प्रोटीन और फाइबर से भरपूर |
दही | पाचन के लिए लाभकारी, प्रोबायोटिक |
करी पत्ता | आयरन और कैल्शियम का स्रोत |
कम तेल में बना | वजन घटाने वालों के लिए उपयुक्त |
चावल और दाल का संतुलन | पूरा पोषण देता है |
धार्मिक और सांस्कृतिक जुड़ाव:
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कई ब्राह्मण भोज में कढ़ी चावल प्रमुख व्यंजन होता है।
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संक्रांति, होली और एकादशी के अगले दिन यह बनाया जाता है क्योंकि यह पाचन को सहज करता है।
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भारत के कई हिस्सों में यह मां के हाथों का प्यार भरा comfort food माना जाता है।
कुछ मजेदार तथ्य:
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पंजाब में कहा जाता है कि “कढ़ी पकाना जितना धीमा हो, उतना प्रेम दिखता है।”
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पुराने समय में बचा हुआ दही फेंकने की जगह कढ़ी बनाकर उपयोग में लाया जाता था।
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कढ़ी को पकाते समय अगर लोहे की कढ़ाई का उपयोग किया जाए तो उसका स्वाद और पौष्टिकता बढ़ जाती है।
कढ़ी चावल एक ऐसा व्यंजन है जो हमें हमारे गांव, घर और मां के हाथों की याद दिलाता है। यह स्वाद, परंपरा और स्वास्थ्य का संगम है। चाहे मौसम गर्मी का हो या सर्दी का, कढ़ी चावल हर समय शरीर और मन को सुकून देता है।
यह व्यंजन दिखने में भले ही साधारण लगे, लेकिन इसके पीछे की संस्कृति, इतिहास और भावनात्मक जुड़ाव इसे खास बनाता है। अगर आपने लंबे समय से कढ़ी चावल नहीं खाया है, तो आज ही बना लीजिए और इस सरल परंपरा को जीवित रखिए।
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