पिल्ले के काटने से गई बृजेश सोलंकी की जान: रेबीज को नजरअंदाज करने की कीमत

उत्तर प्रदेश के एक उभरते हुए कबड्डी खिलाड़ी बृजेश सोलंकी की मौत ने पूरे देश को झकझोर कर रख दिया है। केवल 22 साल की उम्र में इस होनहार खिलाड़ी की जान एक छोटे से पिल्ले के काटने और उसके बाद रेबीज का टीका न लगवाने के कारण चली गई। बृजेश ने भलाई में एक कुत्ते के बच्चे को नाले से बचाया, लेकिन उसे क्या पता था कि वही उसकी जिंदगी का सबसे बड़ा खतरा बन जाएगा।

बृजेश सोलंकी कौन थे?

बृजेश सोलंकी उत्तर प्रदेश के अलीगढ़ जिले के रहने वाले थे। वे एक स्टेट लेवल कबड्डी खिलाड़ी थे और उन्होंने कई प्रतियोगिताओं में हिस्सा लेकर उत्तर प्रदेश और भारत का नाम रोशन किया था। बृजेश अपनी मेहनत और जुनून के लिए जाने जाते थे। उनके कोच और साथी खिलाड़ी उन्हें भविष्य का बड़ा नाम मानते थे।

बृजेश के कोच प्रवीण कुमार ने बताया कि वह बहुत मेहनती था। वह रोज घंटों प्रैक्टिस करता था और राष्ट्रीय स्तर तक पहुंचने का सपना देखता था। लेकिन एक छोटी सी लापरवाही ने उसकी सारी मेहनत और सपनों को मिटा दिया।

घटना कैसे घटी?

करीब दो महीने पहले, बृजेश ने एक छोटे पिल्ले को नाले में गिरा हुआ देखा। वह उसे बचाने के लिए कूद पड़ा और इस दौरान पिल्ले ने उसे हल्का काट लिया। चूंकि पिल्ला छोटा था और काटना गंभीर नहीं लगा, इसलिए बृजेश ने इसे हल्के में लिया और रेबीज का टीका नहीं लगवाया

समय बीतता गया। लेकिन 26 जून को बृजेश की तबीयत बिगड़ने लगी। पहले उन्हें हाथ में दर्द और सुन्नपन महसूस हुआ। फिर कबड्डी की प्रैक्टिस के दौरान उन्हें चक्कर आने लगे। इसके बाद 28 जून को हालत और खराब हो गई और उन्हें पानी से डर लगने लगा — जो कि रेबीज का बड़ा लक्षण है। आखिरकार, 4 जुलाई को बृजेश ने दम तोड़ दिया

रेबीज क्या होता है?

रेबीज एक वायरल बीमारी है जो आमतौर पर कुत्ते, बिल्ली, बंदर जैसे जानवरों के काटने या खरोंचने से होती है। यह वायरस इंसान के केंद्रीय तंत्रिका तंत्र (Central Nervous System) को प्रभावित करता है और अगर समय रहते इलाज न किया जाए तो यह लगभग 100% मौत का कारण बनता है

brijesh solanki rabies

यह वायरस जानवर की लार के ज़रिए इंसान के शरीर में पहुंचता है। अगर किसी को जानवर ने काटा है, तो उसकी लार ज़ख्म में चली जाती है और वहीं से वायरस शरीर में फैलता है।

रेबीज के लक्षण क्या हैं?

रेबीज के लक्षण धीरे-धीरे उभरते हैं और शुरुआत में यह आम बीमारी जैसा ही लगता है। लेकिन जैसे-जैसे यह मस्तिष्क और रीढ़ की हड्डी में फैलता है, लक्षण खतरनाक हो जाते हैं।

शुरुआती लक्षण:

  • बुखार
  • काटे गए स्थान पर झुनझुनी, जलन या खुजली
  • सिरदर्द
  • थकान

बाद के लक्षण:

  • पानी से डर लगना (Hydrophobia)
  • आवाज से डरना
  • मांसपेशियों में ऐंठन
  • दौरे पड़ना
  • गले और जबड़े की मांसपेशियों का जकड़ना
  • उलझन और भ्रम की स्थिति

रेबीज से बचाव कैसे किया जा सकता है?

सबसे जरूरी है कि अगर कुत्ते, बिल्ली या किसी जानवर ने काटा हो, तो तुरंत मेडिकल सहायता ली जाए। देरी नहीं करनी चाहिए। कुछ ज़रूरी कदम:

  1. घाव को तुरंत धोएं: काटे गए स्थान को 15-20 मिनट तक साबुन और साफ पानी से धोना चाहिए।
  2. फौरन डॉक्टर से संपर्क करें
  3. रेबीज वैक्सीन लगवाएं। यह टीका ही आपको रेबीज से बचा सकता है।
  4. इम्यूनोग्लोब्युलिन भी कई बार दिया जाता है यदि काटना बहुत गहरा हो।

बृजेश सोलंकी

रेबीज का इलाज क्या है?

एक बार अगर रेबीज के लक्षण शुरू हो गए, तो इसका कोई इलाज नहीं होता। तब यह लगभग 100% जानलेवा हो जाता है। इसीलिए इलाज से ज़्यादा ज़रूरी है रोकथाम और टीका

रेबीज का टीका कितना महंगा है?

रेबीज के टीके की कीमत ज्यादा नहीं है। ये आमतौर पर 300 से 400 रुपये के बीच में मिलता है। अब पहले की तरह 14 इंजेक्शन नहीं लगते, केवल 5 इंजेक्शन काफी होते हैं, जो कुछ हफ्तों के अंदर दिए जाते हैं।

अगर पिल्ला काट ले, तब भी खतरा होता है?

जी हां, रेबीज सिर्फ बड़े कुत्ते ही नहीं, बल्कि पिल्ले से भी हो सकता है। चाहे जानवर कितना भी छोटा हो या पालतू हो, अगर उसने काटा है तो टीका जरूर लगवाना चाहिए

बृजेश ने भी यही गलती की थी – उन्होंने सोचा कि पिल्ला छोटा है और उससे कोई खतरा नहीं होगा। लेकिन यही सोच उनकी जान की कीमत बन गई।

बृजेश सोलंकी की उपलब्धियाँ

बृजेश सोलंकी ने स्टेट लेवल पर उत्तर प्रदेश का प्रतिनिधित्व किया था। उन्होंने कई स्थानीय और राज्यस्तरीय टूर्नामेंट में अपनी टीम को जीत दिलाई थी। उन्हें उनके क्षेत्र में कबड्डी के उभरते सितारे के तौर पर देखा जाता था। कोच प्रवीण कुमार बताते हैं कि बृजेश में नेतृत्व की क्षमता थी और वे राष्ट्रीय स्तर पर खेलने के लिए पूरी तरह तैयार थे।

उनकी असमय मौत न सिर्फ एक परिवार की, बल्कि देश के खेल जगत की भी क्षति है।

FAQs: रेबीज से जुड़ी सामान्य सवाल-जवाब

सवाल 1: क्या हर कुत्ते के काटने पर रेबीज होता है?

नहीं, हर कुत्ते के काटने से रेबीज नहीं होता, लेकिन यह जानना मुश्किल है कि कौन सा कुत्ता संक्रमित है। इसलिए हर बार सावधानी जरूरी है

सवाल 2: रेबीज का टीका कब लगवाना चाहिए?

कुत्ते के काटते ही या खरोंच आने पर तुरंत डॉक्टर के पास जाकर टीका लगवाना चाहिए।

सवाल 3: क्या घरेलू कुत्ते के काटने पर भी टीका लगवाना पड़ता है?

हां, कई बार घरेलू जानवर भी रेबीज के वाहक हो सकते हैं। पालतू या आवारा – कोई भी कुत्ता हो, टीका जरूर लगवाएं।

सवाल 4: रेबीज के लक्षण कितने दिनों में दिखते हैं?

लक्षण आमतौर पर 2 से 3 महीने के अंदर दिखते हैं, लेकिन कई बार यह कुछ दिनों में भी उभर सकते हैं।

सवाल 5: क्या रेबीज से कोई बचा है?

अगर लक्षण शुरू होने से पहले वैक्सीन लगवा ली जाए तो बचाव 100% संभव है। लेकिन लक्षण आने के बाद बचना बेहद मुश्किल है।

निष्कर्ष: बृजेश की गलती से सीखें, लापरवाही ना करें

बृजेश सोलंकी की मौत से हमें एक बेहद जरूरी सीख मिलती है – जानवर के काटने को हल्के में न लें। एक छोटा सा टीका लगवा कर आप अपनी जान बचा सकते हैं। बृजेश की तरह किसी और की जिंदगी इस छोटी सी लापरवाही की भेंट न चढ़े, यही इस लेख का उद्देश्य है।

रेबीज जानलेवा है, लेकिन रोकथाम बहुत आसान है। बस आपको सतर्क रहना है और समय रहते सही कदम उठाना है।

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