Jaspreet Bumrah पर फिटनेस बहस: मोंटी पनेसर बोले – विदेशी टेस्ट में ही उतारो भारत का ‘एक्स-फैक्टर

Jaspreet Bumrah Fitness: इंग्लैंड के खिलाफ हाल ही में खत्म हुई पांच मैचों की टेस्ट सीरीज में भारत ने 2-2 से ड्रॉ कराकर सीरीज बचा ली। यह नतीजा नए कप्तान शुभमन गिल और युवा खिलाड़ियों के लिए आत्मविश्वास बढ़ाने वाला रहा, लेकिन इसी के साथ एक बड़ा क्रिकेटिंग मुद्दा भी चर्चा में रहा—जसप्रीत बुमराह की फिटनेस और वर्कलोड मैनेजमेंट।

इंग्लैंड सीरीज में बुमराह की सीमित भागीदारी

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इस सीरीज में Jaspreet Bumrah ने सिर्फ तीन टेस्ट मैच खेले। टीम मैनेजमेंट ने पहले से ही तय किया था कि वह पूरे पांच मैच नहीं खेलेंगे, ताकि उनकी फिटनेस बरकरार रहे। दिलचस्प बात यह है कि जिन दो टेस्ट मैचों में भारत ने जीत दर्ज की, उनमें बुमराह शामिल नहीं थे।

उनकी अनुपस्थिति में मोहम्मद सिराज ने शानदार प्रदर्शन किया और दोनों मुकाबलों में 5-5 विकेट लेकर भारत की जीत में अहम भूमिका निभाई। इससे यह सवाल उठ खड़ा हुआ कि क्या बुमराह को फिटनेस और वर्कलोड के नाम पर इतनी छूट मिलनी चाहिए, जबकि बाकी खिलाड़ी लगातार खेलते हैं।

मोंटी पनेसर का बयान – “विदेशी टेस्ट में बुमराह अनिवार्य”

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इंग्लैंड के पूर्व स्पिनर मोंटी पनेसर ने इस बहस पर अपनी राय रखते हुए कहा कि बुमराह विदेशी पिचों पर भारत के लिए “एक्स-फैक्टर” हैं। उन्होंने सुझाव दिया कि Jaspreet Bumrah को सभी विदेशी टेस्ट मैचों में खेलना चाहिए, क्योंकि उनकी गेंदबाजी वहां भारत के लिए गेम-चेंजर साबित हो सकती है।

पनेसर ने हिंदुस्तान टाइम्स से कहा—

“भारतीय टीम घर में बुमराह के बिना भी किसी को भी हरा सकती है, लेकिन विदेशी टेस्ट में उनकी जरूरत है। कप्तान और कोच उनसे कह सकते हैं कि होम टेस्ट में आपकी जरूरत नहीं है, लेकिन विदेशों में हमें आपका पूरा सहयोग चाहिए।”

घर में क्यों कम जरूरी हैं बुमराह?

भारत की घरेलू पिचें अक्सर स्पिनरों के अनुकूल होती हैं। यहां रविचंद्रन अश्विन, रविंद्र जडेजा, और अक्षर पटेल जैसे स्पिन गेंदबाज विरोधी टीम को परेशान करने के लिए पर्याप्त हैं। तेज गेंदबाजों की भूमिका सीमित ओवरों में या नई गेंद से शुरुआती झटके देने तक सीमित रहती है।

ऐसे में, पनेसर का मानना है कि बुमराह जैसे वर्ल्ड-क्लास पेसर को घर में खेलने के बजाय विदेशी दौरों के लिए बचाकर रखना ज्यादा फायदेमंद होगा।

विराट कोहली के दौर की रणनीति

गौर करने वाली बात यह है कि Jaspreet Bumrah के करियर की शुरुआत में भी ऐसा ही वर्कलोड मैनेजमेंट किया गया था। विराट कोहली की कप्तानी के शुरुआती दिनों में बुमराह ने अपने पहले तीन साल केवल विदेशी टेस्ट मैच खेले थे। भारत में उन्हें लगातार आराम दिया जाता था, ताकि वे विदेशी दौरे में अपनी फिटनेस और फॉर्म बनाए रख सकें।

उस समय यह रणनीति सफल भी रही थी, क्योंकि बुमराह ने दक्षिण अफ्रीका, इंग्लैंड और ऑस्ट्रेलिया में भारत को ऐतिहासिक जीत दिलाने में अहम भूमिका निभाई थी।

वर्कलोड मैनेजमेंट – जरूरी या विवादास्पद?

क्रिकेट के मौजूदा दौर में वर्कलोड मैनेजमेंट एक बड़ा विषय बन गया है, खासकर तेज गेंदबाजों के लिए।

  • फायदे: खिलाड़ी लंबे समय तक फिट रहते हैं, चोटों का खतरा कम होता है, और बड़े टूर्नामेंट के लिए तरोताजा रहते हैं।

  • नुकसान: टीम को हमेशा अपने बेस्ट खिलाड़ी नहीं मिलते, और फॉर्म में कमी आने का जोखिम रहता है।

बुमराह के मामले में आलोचक कहते हैं कि जब आप टीम के सबसे अनुभवी पेसर हों, तो आपको अधिक मैच खेलने चाहिए, खासकर जब युवा गेंदबाजों को अनुभव देने का मौका मिलता है।

इंग्लैंड सीरीज के नतीजे और बुमराह की भूमिका

सीरीज में Jaspreet Bumrah ने जिन तीन मैचों में खेला, उनमें उनका प्रदर्शन अच्छा रहा, लेकिन टीम को जीत नहीं मिल पाई। वहीं, उनकी गैरमौजूदगी में भी भारत ने शानदार खेल दिखाया, जो टीम की बेंच स्ट्रेंथ का संकेत है।

इससे यह भी साबित होता है कि भारत अब बुमराह पर पूरी तरह निर्भर नहीं है, बल्कि मोहम्मद सिराज, मुकेश कुमार और उमेश यादव जैसे पेसर भी बड़ा असर डाल सकते हैं।

आने वाली टेस्ट सीरीज – बड़ा फैसला बाकी

भारतीय टीम की अगली दो टेस्ट सीरीज घर में वेस्टइंडीज और दक्षिण अफ्रीका के खिलाफ है। अब देखना होगा कि टीम मैनेजमेंट बुमराह को इन सीरीज में खिलाता है या फिर उन्हें आराम देता है।

अगर पनेसर का सुझाव माना जाता है, तो संभव है कि बुमराह घरेलू सीरीज में न खेलें और सीधे अगले विदेशी दौरे में वापसी करें।

बुमराह की फिटनेस का इतिहास

Jaspreet Bumrah का करियर कई बार चोटों से प्रभावित रहा है। 2022 में उनकी पीठ की चोट के कारण वह लंबे समय तक टीम से बाहर रहे। इस वजह से टीम मैनेजमेंट उनकी फिटनेस को लेकर और सतर्क हो गया है।

उनकी गेंदबाजी एक्शन और लंबे स्पेल डालने की आदत उनके शरीर पर ज्यादा दबाव डालती है, इसलिए यह रणनीति अपनाई जाती है कि उन्हें ओवरयूज न किया जाए।

फैंस की मिली-जुली प्रतिक्रिया

सोशल मीडिया पर Jaspreet Bumrah के वर्कलोड मैनेजमेंट को लेकर फैंस के बीच बहस छिड़ गई। कुछ लोगों का कहना है कि बुमराह को टीम के लिए हर फॉर्मेट में उपलब्ध रहना चाहिए, क्योंकि वे दुनिया के सबसे बेहतरीन गेंदबाजों में से एक हैं। वहीं, कुछ फैंस पनेसर की राय से सहमत हैं और मानते हैं कि उन्हें बड़े मैचों और विदेशी दौरों के लिए बचाकर रखना सही है।

संतुलन जरूरी है

Jaspreet Bumrah भारतीय क्रिकेट का अनमोल रत्न हैं। उनकी फिटनेस और प्रदर्शन सीधे-सीधे टीम इंडिया की सफलता से जुड़े हैं।

  • अगर उन्हें हर मैच में खिलाया जाए, तो चोट का खतरा बढ़ सकता है।

  • अगर उन्हें बार-बार आराम दिया जाए, तो टीम के संतुलन और उनकी लय पर असर पड़ सकता है।

ऐसे में, सही संतुलन बनाना ही सबसे बड़ी चुनौती है। आने वाले महीनों में यह देखना दिलचस्प होगा कि टीम इंडिया बुमराह को लेकर कौन-सी रणनीति अपनाती है—क्या वे पनेसर की सलाह मानेंगे या फिर उन्हें हर सीरीज में मैदान पर उतारेंगे।

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