राष्ट्रपति मुर्मू ने स्वीकार किया जगदीप धनखड़ का इस्तीफा, विपक्ष ने उठाए सवाल | Jagdeep Dhankhar resigns

Jagdeep Dhankhar resigns: देश की राजनीति में एक बार फिर से हलचल मच गई है। उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने अपने पद से इस्तीफा दे दिया है। यह इस्तीफा उन्होंने स्वास्थ्य कारणों का हवाला देते हुए राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू को सौंपा, जिसे उन्होंने तत्क्षण स्वीकार कर लिया। यह फैसला ऐसे समय आया है जब संसद का मानसून सत्र शुरू ही हुआ है।

स्वास्थ्य कारणों से लिया गया बड़ा फैसला

जगदीप धनखड़ ने अपने इस्तीफे में लिखा,
“स्वास्थ्य देखभाल को प्राथमिकता देने और चिकित्सा सलाह का पालन करने के लिए, मैं भारत के उपराष्ट्रपति पद से तत्काल प्रभाव से इस्तीफा दे रहा हूं, जैसा कि संविधान के अनुच्छेद 67(ए) में उल्लेखित है।”

यह पत्र राष्ट्रपति को सोमवार शाम को भेजा गया था, और अगले ही दिन, यानी मंगलवार 22 जुलाई को राष्ट्रपति कार्यालय ने इसे स्वीकार कर लिया। साथ ही, इसे गृह मंत्रालय को अग्रेषित कर दिया गया, जिसने इसे अपनी अधिसूचना में जारी कर दिया।

राज्यसभा में हुआ औपचारिक ऐलान

jagdeep dhankhar resigns

राज्यसभा की कार्यवाही के दौरान, बीजेपी सांसद घनश्याम तिवारी, जो उस समय अध्यक्ष की कुर्सी पर थे, ने सदन में घोषणा की कि उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ का इस्तीफा राष्ट्रपति द्वारा स्वीकार कर लिया गया है। इसके बाद, उपसभापति हरिवंश नारायण सिंह को राज्यसभा की अध्यक्षता करते हुए देखा गया।

राज्यसभा अध्यक्ष का यह इस्तीफा ऐसे समय पर आया है जब मानसून सत्र की शुरुआत हुई ही थी, जिससे यह फैसला और भी अचानक और अप्रत्याशित माना जा रहा है।

प्रधानमंत्री मोदी और विपक्ष की प्रतिक्रिया

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी इस अवसर पर X (पूर्व में ट्विटर) पर अपनी प्रतिक्रिया देते हुए लिखा:
“जगदीप धनखड़ जी को देश की सेवा करने के कई अवसर मिले हैं, जिनमें भारत के उपराष्ट्रपति के रूप में सेवा देना भी शामिल है। मैं उनके अच्छे स्वास्थ्य की कामना करता हूं।”

वहीं, विपक्ष की तरफ से कांग्रेस नेता जयराम रमेश ने इस इस्तीफे पर सवाल उठाए हैं। उन्होंने लिखा:
“उपराष्ट्रपति और राज्यसभा के अध्यक्ष का अचानक इस्तीफा चौंकाने वाला है। मैं शाम 5 बजे तक उनके साथ था और 7:30 बजे उनसे फोन पर बात की। उनके स्वास्थ्य को प्राथमिकता देना जरूरी है, लेकिन यह भी साफ है कि इस अप्रत्याशित इस्तीफे के पीछे कुछ और कारण हो सकते हैं। हालांकि, यह समय अटकलें लगाने का नहीं है।”

धनखड़ का कार्यकाल और योगदान

जगदीप धनखड़ ने अगस्त 2022 में उपराष्ट्रपति पद की शपथ ली थी। उनका कार्यकाल अगस्त 2027 तक चलने वाला था। इससे पहले वह राजस्थान के राज्यपाल और एक प्रसिद्ध वकील और सांसद भी रह चुके हैं। उन्होंने कई अवसरों पर संविधानिक मूल्यों और लोकतांत्रिक संस्थाओं की गरिमा को बनाए रखने की बात कही थी।

धनखड़ को खासतौर पर उनके संसदीय संचालन के तौर-तरीकों और सख्त रवैये के लिए जाना जाता था। उन्होंने कई बार विपक्षी दलों के तीखे सवालों का भी संयमित ढंग से जवाब दिया और संसद में अनुशासन बनाए रखा।

क्या इस्तीफे के पीछे हैं अन्य कारण?

हालांकि धनखड़ ने स्वास्थ्य को कारण बताया है, लेकिन कई राजनीतिक जानकारों का मानना है कि इस इस्तीफे के पीछे कुछ और कारण भी हो सकते हैं। जयराम रमेश की टिप्पणी ने इस संभावना को और हवा दी है कि कहीं न कहीं कुछ अंदरूनी राजनीतिक मतभेद या अन्य गंभीर कारण भी इस फैसले के पीछे हो सकते हैं।

इस मुद्दे पर अब तक सरकारी तौर पर कोई स्पष्टीकरण नहीं आया है, जिससे अटकलों का बाजार गर्म है। फिर भी, जब तक खुद धनखड़ या सरकार की तरफ से कोई खुलासा नहीं होता, तब तक यह सिर्फ एक “स्वास्थ्य आधारित इस्तीफा” ही माना जाएगा।

संविधान के अनुसार इस्तीफे की प्रक्रिया

भारतीय संविधान के अनुच्छेद 67(ए) के तहत, उपराष्ट्रपति स्वेच्छा से राष्ट्रपति को लिखित पत्र देकर अपने पद से इस्तीफा दे सकते हैं। धनखड़ ने इसी अनुच्छेद के अंतर्गत राष्ट्रपति को पत्र सौंपा और इसे तत्काल प्रभाव से लागू किया गया। राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने इसे उसी शाम स्वीकृति प्रदान कर दी

गृह मंत्रालय ने भी 22 जुलाई 2025 को एक अधिसूचना जारी कर इस इस्तीफे की जानकारी सार्वजनिक कर दी।

राज्यसभा में अब आगे क्या होगा?

धनखड़ के इस्तीफे के बाद अब राज्यसभा अध्यक्ष की कुर्सी खाली हो गई है। ऐसे में, जब तक नए उपराष्ट्रपति का चुनाव नहीं होता, तब तक राज्यसभा की कार्यवाही की अध्यक्षता उपसभापति हरिवंश नारायण सिंह करेंगे।

अब चुनाव आयोग की तरफ से उपराष्ट्रपति पद के लिए नई अधिसूचना जारी की जा सकती है, और संभवतः अगले एक-दो महीने में उपचुनाव भी कराए जाएंगे।

क्या यह सिर्फ स्वास्थ्य का मामला है?

धनखड़ का इस्तीफा भारतीय राजनीति के लिए एक बड़ा झटका है। यह ऐसे समय पर आया है जब देश में कई अहम विधायी चर्चाएं होनी हैं और संसद का मानसून सत्र शुरू हुआ है। उनके अचानक हटने से कई सवाल उठ खड़े हुए हैं।

जहां एक तरफ प्रधानमंत्री और बीजेपी ने इसे स्वास्थ्य संबंधी निर्णय बताया, वहीं विपक्ष और कुछ जानकार इसे एक बड़ा राजनीतिक घटनाक्रम मान रहे हैं।

फिलहाल जनता को इंतजार है कि आने वाले दिनों में इस फैसले के पीछे की सच्चाई सामने आती है या नहीं। लेकिन इतना जरूर है कि जगदीप धनखड़ का यह कदम आने वाले समय में भारतीय राजनीति पर असर जरूर डालेगा

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